नहाय खाय से आरंभ हुआ लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छ्ठ, आज शाम व्रती करेंगी खड़ना

औरंगाबाद/गोह(लाइव इंडिया न्यूज18 ब्यूरो)। ‘नहाय-खाय’ के साथ सोमवार से लोक आस्था से जुड़ा सूर्योपासना का चार दिवसीय महापर्व कार्तिक छ्ठ आरंभ हो गया है। लोक पर्व के आरंभ पर पूरे जिले में हजारों छ्ठव्रतियों ने पवित्र नदियो, सरोवरो एवं तालाबों में अंतः करण की शुद्धि के लिए स्नान किया। इससे बाद छ्ठ व्रतियों ने अपने अपने घरों में प्रसाद स्वरूप कद्दू भात का भोजन बनाया।

प्रसाद को सूर्यदेव को अर्पित करने के बाद खुद ग्रहण किया और बंधु-बांधवों इष्ट मित्रों को खिलाया। इस दौरान छ्ठ व्रतियों एवं श्रद्धालुओं ने छ्ठी मईया के सुमधुर गीत गाए जिससे वातावरण अध्यात्ममय हो गया।

इस क्रम में देवकुंड स्थित सहस्त्रधारा तालाब, पुनपुन नदी के देवहरा तट, मरही धाम, महदीपुर आहर, गोह पोखरा, दादर स्थित पोखरा, मलहद स्थित तालाब में सोमवार को स्नान कर कर्तिक छठ के पहले दिन छठ व्रत करने वाले पुरुषों और महिलाओं ने अंत:करण की शुद्घि के लिए नदियों, तालाबों और विभिन्न जलाशयों में स्नान करने के बाद अरवा चावल, चने की दाल और लौकी (कद्दू) की सब्जी के रूप में प्रसाद ग्रहण किया।

अभी छठ के गीत चहुंओर गूंज रहे हैं। व्रतियों द्वारा गाए जा रहे छठ के गीत से पूरा माहौल भक्तिमय हो गया है।गोह, देवहरा, उपहारा व देवकुंड के बाजारों में भी रौनक है। टोकरी, सूप, नारियल, ईख समेत फलों की बिक्री के लिए दुकानों पर भीड़ लगी है। लोग दुकानों में घी, गुड़, गेहूं और अरवा चावल की खरीददारी कर रहे हैं। इस दौरान परिवार की समृद्धि और कष्टों के निवारण के लिए महापर्व के दूसरे दिन मंगलवार को छठ व्रती दिन भर बिना जलग्रहण किए उपवास रखने के बाद सूर्यास्त होने पर ‘खरना’ करेंगे। इस दौरान वे भगवान भास्कर की पूजा करेंगे और बाद में दूध और गुड़ से बने खीर का प्रसाद सिर्फ एक बार खाएंगे तथा जब तक चांद नजर आएगा, तब तक ही जल ग्रहण कर सकेंगे और इसके बाद से उनका  36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाएगा।

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