Patna (liveindianews18)। पैरवी व बंदी अधिकार आंदोलन के संयोजन में आज “कोरोना काल में बंदी अधिकार” विषय पर आयोजित ऑनलाइन परिचर्चा को संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री व बिहार विधान परिषद के सदस्य प्रोफेसर संजय पासवान ने कहा कि जेल में बंद कैदियों के अधिकारों की रक्षा के लिए मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और सरकार के बीच सकारात्मक संवाद जरुरी है। बंदियो के अधिकारों की लड़ाई मानवधिकार कार्यकर्ता व सरकार के साझे संवाद से ही जीती जा सकती है और संवाद के जरिये ही हम लोकतंत्र को बचा सकते है।
इस परिचर्चा में भाग लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता के के राय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार जेल से बंदियो को छोड़ा जा रहा है लेकिन उससे कहीं ज्यादा गिरफ्तारी हो रही है। सामाजिक-राजनैतिक कैदियों के प्रति सरकार कठोर रवैया अपना रही है। जेल सुधार गृह है जिसे सरकार कानून की लाठी से हांक रही है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद कैदियों की रिहाई तेजी से नहीं हो पा रही है न ही उन्हें वास्तविक अर्थ में मुफ्त क़ानूनी सहायता मिल रही है। बंदी अधिकार आंदोलन के संयोजक सन्तोष उपाध्यय ने कहा कि कोरोना का भय हर जेल में है और उनके जमानत, स्पीडी ट्रायल, इलाज का अधिकार,बाहरी दुनियह से संपर्क का अधिकार पर आघात पहुँचा है। पूर्व आईजी उमेश कुमार सिंह ने कहा कि जेल सुधार के लिए अधिकारियों व कार्यकर्ताओं को साथ मिलकर चलना होगा होगा।
परिचर्चा का संयोजन कर रहे पैरवी के दीनबंधु वत्स ने कहा कि कोरोना संकट से पूरी दुनियाँ प्रभावित हुई है। कैदियों को कोरोना संकट के बचाने के लिए जेल में भीड़ कम करने के साथ साथ जेल में स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाना होगा हमें यह समझना होगा कि जेल स्वास्थ्य जन-स्वास्थ्य का ही हिस्सा है। जेल तो पहले से ही संकटग्रस्त थी। कोरोना काल में जेल में बंद बूढ़े,असहाय, बालक, व महिलाओं की स्थिति और भी दयनीय हो गयी है और संक्रमण का खतरा भी बढ़ गया है। ऐसे समूहों को चिन्हित कर सरकार को अविलम्ब रिहा करना चाहिए। इस कार्यक्रम में इरफान अहमद,रविन्द्र सिंह, उमाशंकर सिंह, रॉकी, साक्षी गोपाल, रामनाथ ठाकुर आदि शामिल थे।