पटना में बोले राम माधव : हम किसानों को मिनिमम सपोर्ट प्राइस नहीं मैक्सिमम सेल प्राइस देना चाहते हैं

  • भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव व आरएसएस के विचारक राम माधव के पुस्तक ‘बिकॉज इंडिया कम्स फर्स्ट ’ का हुआ विमोचन
  • वैचारिक राजनीति विषय पर संगोष्ठी का किया आयोजन, कई विचारधार के वक्ता हुए शामिल

पटना(लाइव इंडिया न्यूज18 ब्यूरो)। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव रहे वरीष्ठ चिंतक विचारक राम माधव ने किसान आंदोलन को लेकर कहा कि हम एमएसपी के समर्थक हैं। किसानों को एमएसपी मिलना चाहिए। हम एमएसपी मतलब मिनिमम सपोर्ट प्राइस नहीं किसानों को मैक्सिमम सेलिंग प्राइस देना चाहते हैं। राम माधव रविवार को पटना के एनएन सिन्हा समाज अध्ययन संस्थान में कबीर के लोग एवं कैटलिस्ट कॉलेज की ओर से पुस्तक विमोचन एवं वैचारिक राजनीति विषय पर आयोजित संगोष्ठी में अपने विचार रख रहे थे।

राम माधव लिखित पुस्तक ‘बिकॉज इंडिया कम्स फर्स्ट ’ का इस अवसर पर विमोचन किया गया। राम माधव ने कहा कि जैसे उद्योगपति अपने सामान कि मिनिमम प्राइस नहीं मैक्सिम प्राइस रखते हैं। सरकार उसकी कीमत तय नहीं करती वैसे हीं किसान आखिर आज तक मिनिमम प्राइस क्यों मैक्सिम प्राइस क्यों नहीं तय कर सकते। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार इसी दिशा में पहल कर रही है। राम माधव ने कहा कि विचारहीन राजनीति के दौर में विचारशील और संवेदनशील होना अति आवश्यक है। यही लोकतंत्र का जीवन है। नैतिक चरित्र और विचारशीलता वैचारिक राजनीति को दिशा देती है। सामाजिक लोकतंत्र में सभी वर्ग एवं जाति के लोगों को स्वयं ऊपर उठना होगा।

वैचारिक राजनीति विषय पर अपने विचार रखते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता व ऑल इंडिया हॉकर्स फोरम के महासचिव इरफान अहमद फातमी ने राम माधव को उनकी नई किताब के लिए बधाई दी। कहा कि उनकी पार्टी ताे शुरू से राष्ट्रवादी रही है। राष्ट्रवादिता के कारण ही उनकी पार्टी का विभाजन हो गया। आज देश में जो मुद्दे हैं उसपर गौर करने की और उसके समाधान की जरूरत है। बिना विचार के राजनीति कैसे हो सकती है।

पटना विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे प्रो. नवल किशोर चौधरी ने कहा कि सभी दलों एवं मतों की लोगों के साथ मिल बैठकर विचार करना ही लोकतंत्र में वैचारिक राजनीति है। विचार शुद्धता विश्वविद्यालय महाविद्यालय में प्रथम जबकि राजनीति में द्वितीय होनी चाहिए। आद्री के प्रोफेसर पीपी घोष ने कहा कि राष्ट्रवाद, पहचान भारत में महत्वपूर्ण है जो संस्कृति पर आधारित होता है। राजनीति भी संस्कृति से प्रभावित होता है। जन अधिकार पार्टी के नेता राघवेंद्र कुशवाहा ने कहा कि राजनीति में विचार गतिशील नहीं होने से व्यवस्था कमजोर होता है।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी के प्रोफेसर एवं कांग्रेस नेता डॉ अमरनाथ पासवान ने कहा कि वैचारिक राजनीति में हमेशा पुनर्विचार की आवश्यकता होती है। भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के चेयरमैन प्रो आर सी सिन्हा ने कहा कि राष्ट्रवाद एक खुली अवधारणा है जिसमें सभी के विचार का समावेश होता है।

मुखिया एवं राजद नेता ऋतु जायसवाल का मानना है कि लोकतंत्र का दल के अंदर होने से वैचारिक राजनीति मजबूत होती है। अध्यक्षता करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री सह बिहार विधान परिषद के सदस्य प्रो संजय पासवान ने कहा कि चाणक्य, चंद्रगुप्त की धरती बिहार का यह कर्तव्य है कि राजनीतिक बहुलता में भी सामाजिक समरसता एवं राष्ट्रीय एकता को सुरक्षित करना चाहिए। स्वागत कटलिस्ट कॉलेज के नीरज अग्रवाल ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन कबीर के लोग की विजय चौधरी ने किया।