अमेरिका से कानून में मास्टर कुमार शानू ने जन्मदिन पर महावीर मंदिर में की पादुका सेवा

महावीर मन्दिर में शुरू हुई नयी परिपाटी

पटना(लाइव इंडिया न्यूज18 ब्यूरो)। महावीर मन्दिर में शनिवार से एक नई परिपाटी की शुरुआत हो गई। वह है अपने जन्मदिन के अवसर पर पादुका सेवा करना। अमेरिका के बोस्टन से कानून में मास्टर यानी एलएलएम की पढ़ाई करने वाले कुमार शानू ने शनिवार को महावीर मन्दिर में दो घंटे तक पादुका सेवा की। अपना 28 वां जन्मदिन मना रहे कुमार शानू ने महावीर मन्दिर पहुंचकर पादुका सेवा की इच्छा जताई।

पादुका सेवा करते कुमार शानू।

मन्दिर प्रबंधन की अनुमति के बाद वे शाम लगभग साढ़े चार बजे से साढ़े छह बजे तक मन्दिर के निकास द्वार के पास स्थित पादुका काउंटर पर रहे। महावीर मन्दिर में दर्शन-पूजन के लिए आनेवाले श्रद्धालुओं के जूते-चप्पल उठाकर उन्होंने काउंटर पर बने रैक में जमा किया और बदले में उन्हें टोकन दिया। इसी तरह अपना टोकन लेकर आनेवाले श्रद्धालुओं को उन्होंने पूरे भक्ति भाव से उनके जूते-चप्पल अपने हाथों से उठाकर दिया। कुमार शानू पेशे से अधिवक्ता हैं।वह कैट में बिहार सरकार का पक्ष रखते हैं।

महावीर मन्दिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने कुमार शानू के इस सेवा भावना की सराहना करते हुए कहा कि अपना जन्मदिन मनाने का एक अनूठा उदाहरण है। उन्होंने बताया कि कोई भी भक्त मन्दिर के रसीद काउंटर पर संपर्क कर इस तरह के सेवा कार्य कर सकता है। पादुका पूजन के अतिरिक्त झाड़ू लगाने, भक्तों को कतार में लगाने सहित कोई भी सेवा कार्य किया जा सकता है। शानू ने बताया कि जन्मदिन पर लोग पार्टी करते हैं, मन्दिरों में भी जाते हैं लेकिन उनके मन में मन्दिर में सेवा करने की इच्छा जागृत हुई।

भगवान राम के अनन्य भक्त हनुमान जी के दरबार में आनेवाले भक्तों की सेवा करके उन्हें आत्मीय अनुभूति हो रही है। आईएएस अधिकारी भी कर चुके हैं पादुका सेवा आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि पूर्व में तत्कालीन आईएएस अधिकारी आभाष चटर्जी पादुका सेवा कर चुके हैं। वे सचिवालय स्थित कार्यालय से लौटते समय महावीर मन्दिर में पादुका काउंटर पर अपनी सेवा देते थे। वर्तमान में बिहार सरकार के सिविल विमानन में कार्यरत अभियंता प्रभुनाथ सिंह महावीर मन्दिर में प्रतिदिन सुबह-शाम झाड़ू लगाते हैं। एक-दो और ऐसे भक्त सेवा कार्य करते हैं। आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि सैकड़ों वर्ष पूर्व तमिलनाडु में अलवर संप्रदाय के संत विप्रनारायण भक्तों की पद-धूलि झाड़ा करते थे।

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