तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसान-मजदूरों ने किया बिहार विधान सभा पर मार्च, 26 को भारत बंद का ऐलान

पटना (लाइव इंडिया न्यूज18 ब्यूरो)। आज बिहार विधान सभा के बजट सत्र के अंतिम दिन राज्य के कोने – कोने से आये हजारों किसानों एवं खेत मजदूरों ने राजधानी पटना में विधान सभा मार्च किया। बिहार राज्य किसान सभा और बिहार राज्य खेत मजदूर यूनियन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित विधानसभ मार्च में भाग लेने आये किसानों और खेत मजदूरों के काफिले पटना गांधी मैदान के उत्तर-पश्चिम छोर पर स्थित शहीद पीर अली पार्क से जुलूस की शक्ल में झंडा, बैनर, कटआउट्रस, तख्तियों आदि से सुसज्जित होकर निकले और कारगिल चैक, भगत सिंह प्रतिमा, नेताजी सुभाष स्मारक होते हुए जे.पी गोलंबर तक पहुंचे जहां पुलिस बल ने भारी बैरिकेडिंग कर उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया। धंटों तक वहां प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच रास्साकसी होती रही, मगर प्रदर्शनकारी लगातार डटे रहे और शांतिपूर्ण प्रदर्शन चलता रहा।

शहीद पीर अली पार्क से प्रस्थान करने से पूर्व किसान- मजदूर प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव अतुल कुमार अंजान ने कहा कि किसानों का संधर्ष अब जिस मुकाम पर पहुंच गया है वहां यह लड़ाई किसान बनाम कारपोरेट की बन गयी है, एक तरफ गांव है तो दूसरी तरफ कारपोरेट। कारपोरेटी करण किसान और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को निगल जाना चाहती है। यदि किसान विराधी तीनों काले कानून लागू हो गये तोे वे किसानों की बर्बादी , खेत मजदूरों की कंगाली और संपूर्ण ग्राम्य जीवन की तबाही का बायस बन जाएंगे। इतना ही नहीं इनके स्वाभाविक नतीजे के तौर पर आमलोगों के लोकतांत्रिक व संवैधानिक अधिकार एक के बाद एक छिनते चले जायेंगे। इसलिए किसानों का यह आंदोलन किसानों के हकों, खेत मजदूरों के जीवनयापन के संधर्ष के साथ-साथ लोकतंत्र एवं संविधान की रक्षा का व्यापक आंदोलन बन गया है और इसीलिए उसे देश भर के विविध संधर्षशील , प्रगतिशील , लोकतांत्रिक एवं वामपंथी शक्तियों का समर्थन प्राप्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि 26 मार्च को संयुक्त किसान मोर्चा ने काले कानूनों के खिलाफ भारत बंद का ऐलान किया है। इसमें हर जगह लोग 4 से 5 घंटे तक अपने इलाके को शांतिपूर्ण तरीके से बंद कराएंगे।

अंजान ने बिहार के किसानों और खेत मजदूरों का विशेष रूप से आहवान करते हुए याद दिलाया कि यह घरती नीलहाें के खिलाफ गांधी जी द्वारा चलाये गये चम्पारण किसान सत्याग्रह और जमींदारी प्रथा के खिलाफ स्वामी सहजानंद सरस्वती द्वारा चलाये गये किसान आंदोलन की घरती है और यहां से जो चिगारी फूटेगी वह कृषि क्रांति का मार्ग प्रशस्त करेगी। उन्होंने किसान आंदोलन के विरुद्ध जारी दमनात्मक सरकारी कार्रवाइयों का उल्लेख करते हुए कल बिहार विधान सभा द्वारा आनन फानन में पारित कराए गये विशेष पुलिस सुरक्षा बल विधेयक को काला विधेंयक करार देते हुए कहा कि नीतीश सरकार मोदी सरकार की राह चल पड़ी है। इसलिए सभी लोकतंत्रप्रेमियों को ऐसे कानूनों के विरोध में एकजुट होकर आवाज उठानी चाहिए।

श्री अनजान ने कहा कि भाजपा – एनडीए सरकारों द्वारा अबतक मान्याव स्थापित लोकतांत्रिक, संवैधानिक व विधायी परम्पराओं का तेजी से उल्लंधन किया जा रहा है जिसका ताजा उदाहरण बिहार विधान सभा के उपाध्यक्ष पद के लिए सत्ताधारी एनडीए द्वारा अपना उमीदवार खड़े करना है। प्रायः 1967 से यह परंपरा रही है कि लोक सभा और विधान सभाओं के अघ्यक्ष पद पर सत्ताधारी दल/ गठबंधन के और उपाघ्यक्ष पद पर विपक्ष के नुमाइंदे चुने जाते रहे हैं। परंतु विगत वर्षों में इस स्वस्थ परंपरा का खुलमखुल्ला उल्लंधन होता रहा है जिसकी पुनरावृति करने से बचने हेतु यदि बिहार विधान सभा के उपाध्यक्ष पद पर विपक्ष के नुमांइदे को आसीन करने का काम नीतीश कुमार जी करें तो लोकतंत्र के लिए एक स्वस्थ संदेश जायेंगा।

प्रदर्शनकारियों को संबोधित करने और उनका नेतृत्व करने वालों में प्रमुख थे- भारतीय खेत मजदूर यूनियन के उपाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद नागेन्द्रनाथ ओझा, बिहार राज्य किसान सभा के महासचिव अशोक प्रसाद सिंह, बिहार राज्य खेत मजदूर यूनियन के अध्यक्ष रामनरेश पांडेय , महामंत्री जानकी पासवान , किसान विभाग के प्रभारी प्रमोद प्रभाकर, रामबाबू कुमार, इरफान अहमद फातमी के अलावे नौजवान संध, छात्र संध , महिला समाज, ऐटक , प्रगतिशील लेखक संध, इप्टा एवं अन्य जन संगठनों के नेताओं व कार्यकत्ताओं ने भी उक्त मार्च में सक्रिय भागीदारी निभाई।