नई दिल्ली (विद्या भूषण शर्मा)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार सुबह 11 बजे माघ महीने की पवित्रता को समझाते हुए ‘मन की बात’ कार्यक्रम की शुरुआत की। बता दें यह दूसरा मौका है जब पीएम मोदी ने साल 2021 में ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिए देशवासियों से संवाद किया। मन की बात पीएम मोदी का मासिक रेडियो कार्यक्रम है जिसके जरिए वे देशवासियों जुड़ते हैं। यह कार्यक्रम प्रत्येक महीने के अंतिम रविवार को प्रसारित होता है।
युवाओं को नया सोचने, नया करने में संकोच नहीं करना चाहिए
इस बार पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा आज आत्मनिर्भर भारत का मंत्र गांव-गांव पहुंच रहा है। युवाओं को नया सोचने, नया करने में संकोच नहीं करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि पानी हमारे लिए एक सामूहिक उपहार है। उन्होंने माघ महीने की पवित्रता को समझाते हुए पानी के महत्व को बताया। उन्होंने वर्षाजल के संचयन के लिए सौ दिनों का अभियान शुरू करने पर बल दिया। पीएम ने कहा कि पानी का स्पर्श जीवन के लिए जरूरी है और विकास के लिए भी। पानी को लेकर हमें अपनी सामूहिक जिम्मेदारी को समझना होगा। जल हमारे लिए जीवन भी है, आस्था भी है और विकास की धारा भी।
आत्मनिर्भरता की पहली शर्त होती है, अपने देश की चीजों पर गर्व होना
पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के माध्यम से कहा आत्मनिर्भरता की पहली शर्त होती है, अपने देश की चीजों पर गर्व होना। अपने देश के लोगों द्वारा बनाई वस्तुओं पर गर्व होना। उन्होंने कहा कि अपने देश में बनी चीजों पर जब हर देशवासी गर्व करता है, उससे जुड़ता है तो ‘आत्मनिर्भर भारत’ सिर्फ एक आर्थिक अभियान न रहकर वह ‘नेशनल स्प्रिट’ बन जाता है। आगे जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान में साइंस की शक्ति का बहुत बड़ा योगदान है। आत्मनिर्भर का मतलब अपनी किस्मत का फैसला खुद करना।
प्रधानमंत्री ने जल के महत्व को समझाया
पीएम मोदी ने जल के महत्व को समझाया। उन्होंने कहा कि जल हमारे लिए जीवन भी है और आस्था भी। भारत में कोई ऐसा दिन नहीं होगा, जब देश के किसी-न-किसी कोने में पानी से जुड़ा कोई उत्सव न हो। माघ के दिनों में तो लोग अपना घर-परिवार, सुख-सुविधा छोड़कर पूरे महीने नदियों के किनारे कल्पवास करने जाते हैं। साथ ही कहा कि पानी एक तरह से पारस से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। कहा जाता है पारस के स्पर्श से लोहा सोने में परिवर्तित हो जाता है। वैसे ही पानी का स्पर्श, जीवन के लिए जरूरी है, विकास के लिए जरूरी है। जल हमारे लिए जीवन भी है, आस्था भी है और विकास की धारा भी है। उन्होंने कहा कि पानी को लेकर हमें अपनी सामूहिक जिम्मेदारियों को समझना होगा। बारिश के मौसम की चर्चा करते हुए पीएम मोदी ने वर्षाजल के संचयन के लिए सौ दिनों का अभियान शुरू करने पर बल दिया।
पीएम मोदी ने संत रविदास को किया याद
पीएम मोदी ने संत रविदास को भी स्मरण किया। उन्होंने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि मैं संत रविदास जी की जन्मस्थली वाराणसी से जुड़ा हुआ हूं। संत रविदास जी के जीवन की आध्यात्मिक ऊंचाई को और उनकी ऊर्जा को मैंने उस तीर्थ स्थल में अनुभव किया है। जब भी माघ महीने और इसके आध्यात्मिक सामाजिक महत्व की चर्चा होती है, तो संत रविदास जी बिना वह पूरी नहीं होती।
पीएम मोदी ने भारत के महान वैज्ञानिक डॉक्टर सी.वी. रमन का भी स्मरण कराया
पीएम मोदी ने भारत के महान वैज्ञानिक डॉक्टर सी.वी. रमन का स्मरण कराया। उन्होंने कहा कि आज नेशनल साइंड डे है। आज का दिन ‘रमन इफेक्ट’खोज को समर्पित है। उन्होंने कहा कि हम जैसे दुनिया के दूसरे वैज्ञानिकों के बारे में जानते हैं, वैसे ही हमें भारत के वैज्ञानिकों के बारे में भी जानना चाहिए। उन्होंने कहा कि ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ में साइंस की शक्ति का बहुत बड़ा योगदान है। आत्मनिर्भर का मतलब अपनी किस्मत का फैसला खुद करना है।
गौरतलब है कि प्रकाश को लेकर नवीन कार्य के लिए सी.वी.रमन को वर्ष 1930 में नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया था। वे विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले एशियाई थे। उनका आविष्कार उनके नाम से पहचाना गया। आज उसे रमन प्रभाव के नाम से जाना जाता है।
जब अंतरिक्ष मिशन चंद्रयान ने चांद पर पानी होने की घोषणा की थी, तो उसके पीछे रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी का ही कमाल था। फॉरेंसिक साइंस में भी रमन प्रभाव काफी उपयोगी साबित हो रहा है। डॉ. रमन ने वर्ष 1928 में आज के ही दिन रमन प्रभाव की खोज की थी। यही कारण है कि इस दिन को भारत में प्रत्येक वर्ष ‘राष्ट्रीय विज्ञान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
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