सियासत के लिए कराए जाते हैं दिल्ली जैसे दंगे : डॉ. गोपाल कृष्ण

पटना। इस देश में किसी भी मुद्दे से लोगों का ध्यान भटकाने व बांटने वाली सियासत करने के लिए दिल्ली जैसे दंगे जान बुझकर कराए जाते हैं। इसके पीछे सियासतदानों की सोची समझी साजिश होती है। उक्त बातें ऑल इंडिया तंजीम ए इंसाफ की तरफ से आयोजित दिल्ली के दंगे और उसकी सियासत विषय पर सेमिनार में मुख्य वक्ता डॉ. गोपाल कृष्ण ने कही।

सेमिनार को सम्बोधित करते जब्बार आलम व मंचासीन अतिथि।

उन्होंने कहा कि दिल्ली के दंगे ऐसे हीं नहीं हुए इसके पीछे सीएए, एनपीआर, एनआरसी व यूआईडी के खिलाफ चल रहे आंदोलन को दबाना था। इसके लिए सियासी लोगों ने जानबूझ कर वहां दंगे करवाए। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रो. जब्बार आलम ने कहा कि दिल्ली दंगे देश भर में चल रहे आंदोलन को कुचलने के लिए करवाये गए और अब साजिश के तहत लेफ्ट पार्टी के नेताओं व सुप्रसिद्ब सामाजिक कार्यकर्ताओं का नाम इसमें घसीटा जा रहा है। अल्पसंख्यकों के रहनुमाई की बात करने वाले नीतीश कुमार आज संघ परिवार व भाजपा के सामने नतमस्तक हो गए हैं। अब इसकी स्थिति ये हो गई है कि ये किसान का बेटा होते हुए भी जनविरोधी किसान बिल के खिलाफ बोल नहीं पा रहे हैं।

कार्यक्रम में विचार रखते महासचिव इरफान अहमद फातमी

कार्यक्रम में अपने विचार रखते हुए ऑल इंडिया तंजीम ए इंसाफ के महासचिव इरफान अहमद फातमी ने कहा कि आज अल्पसंख्यक समुदाय को सोचना होगा कि उनके पक्ष में खुलकर कौन खड़ा हो रहा है और उन्हें किसके साथ राजनीति को आगे बढ़ना है। देश में कभी एनआरसी, एनपीआर व सीएए के नाम पर तो कभी धार्मिक मसले उछाल कर उनके असल सवाल से भटकाने का काम किया जा रहा है। आज जरूरत है कि अल्पसंख्यक समुदाय के बीच बेकारी, बेरोजगारी, अशिक्षा जैसे सवालों पर बात करने और उसके समाधान का। मदरसा के आधुनिकीकरण का अच्छे तालीम का ताकि उनका सर्वांगीण विकास हो सके। दिल्ली के दंगे के नाम पर सामाजिक, राजनीति व निर्देश लोगों को फसाया जा रहा है। इसका पुरजोर विरोध होना चाहिए। सेमिनार को प्रमुख रूप से विजय नारायण मिश्रा, गजनफ नवाब, रविंद्र नाथ राय, प्रो. कमाल आदि ने सम्बोधित किया। सेमिनार की अध्यक्षता मसूद मंजर ने किया। कार्यक्रम में मो. रजाक, शौकत अली, मो. मन्नान, तारिक फतह आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।