पटना (लाइव इंडिया न्यूज18 ब्यूरो)। बिहार विधान परिषद् की 34 समितियों के पुनर्गठन का पत्र छह जून को जारी किया गया था‚ लेकिन पुनर्गठन के महज छह दिन बाद ही अनुसूचित जाति एवं जनजाति समिति के अध्यक्ष डॉ. संजय पासवान ने समिति से इस्तीफा दे दिया है। भाजपा विधान पार्षद व पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे डॉ. संजय पासवान ने अपने साथ जातिगत भेदभाव का आरोप लगाया। मौजूदा समय में अपनी ही सरकार को दलित अत्याचार के मुद्दे पर दिन–रात कोसने वाली भाजपा के दलित प्रेम को इससे धक्का लगना तय है।
विधान परिषद सभागार में कार्यकारी सभापति अवेधश नारायण सिंह ने नवगठित समितियों के अध्यक्ष व संयोजकों के साथ बैठक की थी। इसी बीच बैठक में शामिल भाजपा विधान पार्षद संजय पासवान ने अपना इस्तीफा कार्यकारी सभापति को सौंप दिया और सीधे बाहर निकल गए। संजय पासवान ने समिति से अपने इस्तीफे की पुष्टि की है। उनका कहना है कि बिना उनके परामर्श के उन्हें इस समिति का सदस्य बनाया गया था और वे इससे नाखुश थे। कहा कि जरूरी नहीं कि अनुसूचित जाति से आनेवाले को ही अनुसूचित जाति की समिति का अध्यक्ष बनाया जाए। उन्होंने इसे जातिगत भेदभाव का मामला बताते हुए कहा कि असल में इस तरह से अनुसूचित जाति से आनेवाले नेताओं को विशेष समुदाय के साथ काम करने के लिए छोड़ दिया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि अनुसूचित जाति के नेताओं को मुख्यधारा में आने से रोका जा रहा है और इसी का उन्होंने विरोध किया है। संजय पासवान का निशाना असल में उनकी पार्टी पर है। वजह यह है कि विधान परिषद् की समितियों के पुनर्गठन में सभी पार्टियों से राय ली जाती है। संजय पासवान को जिस समिति में जगह मिली है‚ वह उनकी पार्टी का फैसला है‚ यह खुद संजय पासवान को भी पता है। ऐसे में उन्होंने इस्तीफा देकर पार्टी के सामने अपनी नाराजगी जाहिर कर दी है।