सेनारी नरसंहार में सभी आरोपी को पटना हाईकोर्ट ने किया बरी

  • निचली अदालत ने 38 अभियुक्त में से 15 को किया था दोषी करार
  • सन् 1999 में प्रतिबंधित एमसीसी ने 34 लोगों को गोली मार और गला काट किया था निर्मम हत्या
  • अधिवक्ता अंशुल राज के दलीलों के सामने नहीं टिक सका सरकारी पक्ष

पटना (लाइव इंडिया न्यूज18 ब्यूरो)। बिहार के सबसे चर्चित सेनारी नरसंहार के 15 दोषियों को पटना हाईकोर्ट ने शुक्रवार को बरी कर दिया। कोराना लॉकडाउन के बीच हाईकोर्ट ने यह बड़ा फैसला सुनाया है। पटना हाईकोर्ट ने सेनारी नरसंहार में आजीवन कारावास की सजा काट रहे सभी 15 दोषियों को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में पटना हाईकोर्ट के डबल बेंच ,जस्टिस अश्विनी कुमार सिंह व अरविंद श्रीवास्तव ने बरी कर दिया हैं ।

पटना हाईकोट की फाइल फोटो।
पटना हाईकोट की फाइल फोटो।

हाईकोर्ट के अधिवक्ता अंशुल राज के दलीलों के सामने सरकारी पक्ष नहीं टिक सका। 18 मार्च 1999 को जहानाबाद जिले ( वर्तमान में अरवल ) के सेनारी गांव में प्रतिबंधित एमसीसी के सशक्त उग्रवादियों ने 34 लोगों को गोली मारकर एवं गला काटकर निर्मम हत्या कर दिया था । महिलाओं तक को नही छोड़ा गया था।

अरवल का सेनार गांव जहां 35 लोगों की हुई थी हत्या
अरवल का सेनार गांव जहां 35 लोगों की हुई थी हत्या

इस नरसंहार में 38 लोगों के खिलाफ पुलिस ने चार्जशीट दाखिल किया था। निचली अदालत ने 15 लोगों को आजीवन कैद की सजा सुनाया था वहीं 23 लोगों को बरी कर दिया था।

बता दें कि जहानाबाद के सेशन कोर्ट ने 15 नवंबर 2016 को अपना फैसला सुनाया था। फैसले में 15 लोगों को दोषी ठहराया गया जबकि आरोपी बनाए गए 20 लोगों को बरी कर दिया था।

सेनारी नरसंहार के वो आरोपित जिन्हें 15 नंवबर 2016 को कोर्ट ने सुनाई थी सजा
सेनारी नरसंहार के वो आरोपित जिन्हें 15 नंवबर 2016 को कोर्ट ने सुनाई थी सजा

18 मार्च 1999 को बिहार के सेनारी में भुमिहार समाज से जुड़े 34 लोगों को निर्ममता से मौत के घाट उतार दिया गया था। मामले में आरोपी बनाए गए ज्‍यादातर लोग भाकपा (माओवादी) से जुड़े हुए थे।

आरोपियों को धारा 146, 302/149, 307/149 और ईएस एक्ट 3/4 के तहत दोषी पाया गया था। इन धाराओं के तहत किसी घटना को अंजाम देने के लिए पांच से ज्यादा लोगों का इक्ट्ठा होना और गलत इटेंशन के साथ मर्डर करने का मामला है।