हरिद्वार महाकुंभ : सोमवती अमावस्या पर श्रद्धालु कर रहे हैं शाही स्नान, महाकुंभ में जाने के लिए इन नियमों का पालन जरूरी

हरिद्वार महाकुंभ में आज दूसरे शाही स्नान के तहत तमाम अखाड़ों के साधु-संत और श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा रहे हैं, साथ ही विदेशों से आए अनेक भक्त भी स्नान कर रहे हैं। आज सोमवती अमावस्या का पवित्र शाही स्नान है। महाकुंभ में इस स्नान का विशेष महत्व होता है, इसलिए आज भीड़ थोड़ी ज्यादा होने का अनुमान है। आस्था और अध्यात्म का यह विश्व का सबसे बड़ा जमघट है, जिसे महाकुंभ के नाम से जाना जाता है। हालांकि इस बार कोविड को देखते हुए सरकार ने घाटों पर स्नान करने जाने वाले श्रद्धालुओं व साधु-संतों के लिए कई प्रकार की सख्तियां लागू की हैं।

कोविड की वजह से सावधानियां

महामारी के मद्देनजर सरकार और प्रशासन ने कई तरह की व्यवस्थाओं का इंतजाम किया है:

श्रद्धालुओं को कुंभ में शामिल होने के लिए कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट देनी होगी, अन्यथा अनुमति नहीं दी जाएगी।
अगर श्रद्धालु ट्रेन से हरिद्वार पहुंच रहे है तो उन्हें रेलवे स्टेशन पर रजिस्ट्रेशन करवाना होगा और जो लोग बस से पहुंच रहे हैं उन्हें बस स्टैंड पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
जिसके पास कोरोना रिपोर्ट नहीं होगी उनका रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर ही एंटीजन टेस्ट किया जाएगा, जिसकी रिपोर्ट अगले 15 मिनट में दे दी जाएगी।
नेगेटिव आने पर मेले में जाने की अनुमति होगी और पॉजिटिव आने पर क्वारेनटाइन सेंटर भेज दिया जाएगा। ये क्वारेनटाइन सेंटर सरकार द्वारा बनाए गए हैं।

इस बारे में और जानकारी देते हुए वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि, रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। आप ई-पोर्टल पर भी जाकर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। इसके लिए 3 चीजों की आवश्यकता होगी। पहली कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट, दूसरा कोई एक पहचान-पत्र और तीसरी मेडिकल रिपोर्ट। तीनों चीजें जमा करने के बाद ऑटोमेटिक ई-पास बन जाएगा, जिसे लेकर व्यक्ति महाकुंभ में शामिल हो सकते हैं।

महाकुंभ का महत्व

इस साल कुंभ मेला हरिद्वार में आयोजित किया गया है। ऐसा माना जाता है कि जब समुद्र मंथन के बाद अमृत को लेकर देव और दानव लड़ रहे थे तब अमृत की बूंदे छलक कर चार स्थानों पर गिरी। प्रयागराज, नासिक, उज्जैन और मायापुरी जिसे अब हरिद्वार के नाम से जाना जाता है। इन्हीं स्थानों पर हर 12वें साल कुंभ आयोजित होता है, लेकिन इस बार हरिद्वार में कुंभ 12 वर्ष बाद नहीं बल्कि 11 वर्ष बाद लगा है। कुंभ का आयोजन ज्योतिष गणना के आधार पर किया जाता है। लेकिन वर्ष 2022 में बृहस्पति ग्रह कुंभ राशि में नहीं होंगे इसलिए इसी वर्ष 11वें साल में कुंभ का आयोजन किया जा रहा है।

शाही स्नान का महत्व

वैसे तो हरिद्वार में गंगा में डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालु जाते रहते हैं लेकिन कुंभ में हर स्नान का अपना विशेष महत्व होता है। कुंभ में स्नान करने से कई प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है। इस बार पहला प्रमुख स्नान 11 मार्च शिवरात्रि को हुआ हुआ था।

सोमवती अमावस्या पर स्नान का महत्व

मान्यताओं के अनुसार सोमवती अमावस्या पर कुंभ स्नान से शनि की अशुभता और राहु केतु से बनने वाले दोषों से भी निजात मिलती है। कुंभ में स्नान, दान और पूजा से जीवन में सुख शांति और समृद्धि आती है। ऐसा माना जाता है कि, अमावस्या पर कुंभ शाही स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है तथा पितृ दोष भी दूर हो जाते हैं।

कितने और कब हैं शाही स्नान

महाकुंभ में शाही स्नान का विशेष महत्व होता है। इस बार कुंभ में कुल 4 शाही स्नान हैं। जो इस प्रकार हैं:

पहला शाही स्नान, 11 मार्च शिवरात्रि को हुआ था।
दूसरा शाही स्नान, 12 अप्रैल यानी आज सोमवती अमावस्या के दिन है।
तीसरा मुख्य शाही स्नान, 14 अप्रैल मेष संक्रांति के दिन होगा।
चौथा शाही स्नान, 27 अप्रैल बैसाख पूर्णिमा के दिन होगा।