राष्ट्रीय पुस्तक मेले में ‘लोकराज के लोकनायक’ पुस्तक पर हुई परिचर्चा

लेखक से मिलिए कार्यक्रम में राकेश कुमार से रूबरू हुए पाठक

पटना(लाइव इंडिया न्यूज18 ब्यूरो)। पटना के गांधी मैदान में चल रहे राष्ट्रीय पुस्तक मेले में लेखक से मिलिए कार्यक्रम में रविवार को लोक नायक जयप्रकाश नारायण पर एनबीटी से प्रकाशित पुस्तक लोकराज के लोकनायक पुस्तक के लेखक राकेश कुमार से पाठक रूबरू हुए।

वहीं पुस्तक लोकराज के लोकनायक पर परिचर्चा भी आयोजित की गई। मुख्य अतिथि लेखक राकेश कुमार ने अपने विचार रखते हुए कहा कि ये उनकी पहली पुस्तक है जिसे आजादी के अमृत महोत्सव सीरीज आजादी@75 के तहत नेशनल बुक ट्रस्ट ने पिछले वर्ष प्रकाशित किया है। देशभर के पाठकों की पुस्तक पर बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है।

पुस्तक पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इस पुस्तक को कोरोना काल के दौरान जयप्रकाश जी से जुड़े स्थलों पर जाकर शोध कर लिखा गया है। इस पुस्तक में जयप्रकाश जी जब हजारीबाग जेल में थे ,तब कैसे और किन लोगों ने उन्हें जेल से भागने में मदद की, इसपर विस्तार से चर्चा की गई है। राकेश कुमार ने कहा कि इस पुस्तक में जेपी के 74 आंदोलन के पहले के और बाद के सभी पहलुओं पर लिखने का प्रयास किया है।

कार्यक्रम में पुस्तक पर चर्चा करते हुए पत्रकार विद्या सागर ने कहा कि आपदा को कैसे अवसर में तब्दील किया जा सकता है, यह राकेश कुमार से सिखने लायक है। कोरोना काल में जब लोग अपने घरों में कैद थे तो राकेश कुमार लोकनायक से जुड़े स्थलों पर बाइक से ही यात्रा कर शोध कर रहे थे। कोरोना काल समाप्ति तक इन्होंने पूरी किताब लिख दी। यह पुस्तक जेपी और जेपी आंदोलन के कई अनछुए पहलुओं पर लिखी गई जो इसे अन्य पुस्तकों से अलग करती है। शोध पर आधरित इस पुस्तक में जेपी के रसोईया से लेकर आंदोलन कवर कर रहे वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र किशोर समेत तमाम लोगों के संस्मरणों को शामिल किया गया है। वहीं कवि नागार्जुन द्वारा जेपी आंदोलन में रिक्शे के हुड पर बैठकर इंदु जी हुआ क्या आपको..कविता का भी जिक्र इस पुस्तक में मिलता है। पुस्तक में लेखक ने हर अनछुए पहलू को आगे लेकर आने का काम किया है।


कार्यक्रम में अतिथि आल इंडिया हॉकर्स फोरम के राष्ट्रीय महासचिव इरफान अहमद फातमी ने जेपी आंदोलन के दौरान के दिलचस्प वाकये पर चर्चा करते हुए लेखक राकेश कुमार को बेहतर पुस्तक लेखन के लिए बधाई दी।
कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार डॉ. विनय कुमार विष्णुपुरी व धन्यवाद ज्ञापन व्यंग्यकार श्रीकांत व्याश ने किया।