जुलूस-प्रदर्शन पर पाबंदी और सोशल मीडिया पर आलोचना की स्वतंत्रता पर अंकुश के खिलाफ पटना में किया प्रर्दशन

पटना (लाइव इंडिया न्यूज18 ब्यूरो)। सिटीजन्स फोरम , पटना के बैनर तले आज सायंस कॉलेज,पटना से 1 बजे दिन में एक नागरिक मार्च का आयोजन किया गया। यह नागरिक मार्च ” पटना के प्रमुख स्थानों, सरकारी कार्यालयों पर जुलूस-प्रदर्शन पर पाबंदी और सोशल मीडिया पर आलोचना की स्वतंत्रता पर अंकुश के खिलाफ आयोजित किया गया था “। इस नागरिक मार्च में विभिन्न राजनीतिक दलों, मजदूर, छात्र – युवा, महिला संगठनों के प्रतिनिधियों के अलावे शहर के बुद्धिजीवियों , संस्कृतिकर्मियों , प्रबुद्ध नागरिकों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं की अच्छी- खासी भागीदारी थी।

नागरिक मार्च का नेतृत्व संस्कृतिकर्मी मोना झा , फिलहाल पत्रिका की सम्पादक प्रीति सिन्हा, मजदूर नेता जयप्रकाश ल़लन, पद्मश्री सुधा वर्गीज, राजनीति कर्मी अरूण कुमार मिश्र , कर्मचारी नेता रामनन्दन प्रसाद , राजनीतिक कार्यकर्ता नन्द किशोर सिंह , राजनीतिकर्मी विजय नारायण मिश्रा , छात्र नेता राधेश्याम, राजनीतिकर्मी मणिकांत पाठक, सामाजिक कार्यकर्ता रूपेश, ट्रेड यूनियन नेता अजय कुमार , राजनीतिक कार्यकर्ता विश्वजीत कुमार, राजनीतिकर्मी पुकार, संजय श्याम , संस्कृतिकर्मी जयप्रकाश आदि ने किया। इसके अलावे नागरिक मार्च में भाग लेने वाले प्रमुख लोगों में निगम कर्मी नेता मंगल पासवान , हरदेव ठाकुर, संस्कृति कर्मी राकेश राज, गौतम गुलाल, सामाजिक कार्यकर्ता सुनील सिंह , पत्रकार विनीत , छात्र नेता रामजी यादव , निकोलाई शर्मा , महिला नेता साधना मिश्रा , सिस्टर सुशली आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। अशोक राजपथ पर अवस्थित पटना विश्वविद्यालय के विभिन्न कॉलेजों से गुजरते हुए एवं गगनभेदी नारे लगाते हुए नागरिक मार्च भगत सिंह चौक , गांधी मैदान पहुंचकर एक सभा में बदल गया।

सभा का संचालन संस्कृतिकर्मी एवं सिटीजन्स फोरम , पटना के समन्वय समिति के सदस्य जयप्रकाश ने किया। सभा को पीयूसीएल की प्रांतीय अध्यक्ष प्रो. डेजी नारायण , राजनीति कर्मी अशोक प्रियदर्शी , नन्द किशोर सिंह , संस्कृतिकर्मी मोना झा , सामाजिक कार्यकर्ता सुधा वर्गीज , राजनीतिक कार्यकर्ता अरूण कुमार मिश्र , विजय नारायण मिश्रा , मजदूर नेता नरेंद्र कुमार , छात्र नेता आशीष , महिला नेता अनामिका , राजनीति कर्मी सतीश , पुकार , कर्मचारी नेता रामनन्दन प्रसाद , किसान नेता सच्चिदानंद प्रभात आदि ने सम्बोधित किया । लगभग सभी वक्ताओं ने जनतांत्रिक अधिकारों एवं नागरिक स्वतंत्रताओं पर बढ़ते हमले पर चिन्ता जताई ।

वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि राजधानी पटना के प्रमुख स्थानों, सड़कों एवं सरकारी कार्यालयों पर जुलूस-प्रदर्शन पर पाबंदी और सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति व आलोचना की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने की सरकार की कोशिशें दर असल जनता द्वारा लड़कर हासिल किये गये जनतांत्रिक अधिकारों एवं नागरिक स्वतंत्रताओं पर हमले हैं। पिछले वर्षों में केन्द्र एवं राज्य सरकार के जनविरोधी, दमनकारी एवं निरंकुश कार्रवाइयों के चलते लगातार जनतांत्रिक अधिकारों में कटौती की गई है और जनतंत्र के स्थान को संकुचित करने का कुप्रयास किया गया है । सरकार के इस गैर जनतांत्रिक रवैये के खिलाफ आने वाले दिनों में सशक्त जन गोलबंदी खड़ा करने की जरूरत को रेखांकित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि सभा, संगठन करने, जुलूस, प्रदर्शन, धरना आयोजित करने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं सोशल मीडिया पर सरकार की आलोचना की आजादी पर किसी प्रकार की पाबंदी या अंकुश हमें स्वीकार नही है।

नागरिक मार्च के अंत में मुख्य मंत्री के नाम प्रेषित स्मार पत्र को वहां मौजूद मैजिस्ट्रेट को सौंपा गया। इसके जरिए सरकार से मांग की गई कि वह अपने गलत फैसले को वापस ले और राजधानी पटना में मुख्य स्थानों , सड़कों एवं सरकारी कार्यालयों पर जुलूस-प्रदर्शन के आयोजन को सुनिश्चित करे। साथ ही सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति एवं आलोचना की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने सम्बन्धी जो फरमान जारी किये गये हैं, उसे अविलंब वापस ले। मणिकांत पाठक, संजय श्याम, प्रीति सिन्हा, जयप्रकाश ल़लन, विश्वजीत कुमार, मोना झा, नन्द किशोर सिंह, जयप्रकाश, पुकार, अजय कुमार, रूपेश आदि थे।

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