Bihar को NPGC से इसी माह से मिलने लगेगी 1122 MW बिजली

दूसरी यूनिट से परीक्ष्यमान बिजली उत्पादन सफल

तीसरी इकाई से भी 6 माह के भीतर ही होने लगेगा बिजली उत्पादन

औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। देश की प्रमुख ऊर्जा उत्पादक कंपनी राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम(एनटीपीसी लि.) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी नबीनगर पावर जनरेटिग कंपनी(एनपीजीसी) की औरंगाबाद जिले के नबीनगर के शिवनपुर में स्थापित सुपर थर्मल पावर परियोजना से इस माह से बिहार को 1122 मेगावाट बिजली मिलने लगेगी। यह स्थिति परियोजना की 660 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता की दूसरी यूनिट से परीक्ष्यमान बिजली उत्पादन में सफलता के बाद बनने जा रही है। वर्तमान में परियोजना की पहली यूनिट उत्पादित हो रही 660 मेगावाट बिजली में से बिहार को 85 प्रतिशत यानी 561 मेगावाट की आपूर्ति की जा रही है। वही परियोजना की दूसरी यूनिट से व्यावसायिक उत्पादन आरंभ हो जाने पर इसी अप्रैल माह से ही बिहार को 1122 मेगावाट बिजली मिलने लगेगी।

एनपीजीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विजय सिह ने बताया कि परियोजना की दूसरी इकाई से इसी माह से 660 मेगावाट बिजली का वाणिज्यिक उत्पादन शुरू हो जाएगा। गौरतलब है कि परियोजना की 660 मेगावाट की एक इकाई से वर्ष 2019 से ही वाणिज्यिक उत्पादन हो रहा है। श्री सिंह ने बताया कि परियोजना से उत्पादित बिजली में 85 प्रतिशत बिहार को, 10 प्रतिशत उतर प्रदेश को, 4 प्रतिशत झाारखंड को और एक प्रतिशत बिजली सिक्किम को आपूर्ति की जा रही है और दूसरी तथा तीसरी यूनिट से उत्पादन आरंभ होने पर भी इन राज्यों को इसी अनुपात में बिजली की आपूर्ति होगी। इस हिसाब से परियोजना की पहली यूनिट से अभी बिहार को 85 प्रतिशत यानी 561 मेगावाट बिजली की आपूर्ति की जा रही है और दूसरी यूनिट से उत्पादन आरंभ होने पर 561×2 यानी कुल 1122 मेगावाट बिजली मिलेगी। परियोजना की पहली यूनिट से वाणिज्यिक उत्पादन शुरू करते ही बिहार को 561 मेगावाट बिजली मिलनी शुरू हो गई थी जो अब बढ़कर दोगुनी यानी 1122 मेगावाट हो जाएगी। उन्होंने कहा कि परियोजना की दूसरी यूनिट से परीक्ष्यमान उत्पादन 31 मार्च को सफलतापूर्वक किया गया। इस दौरान दूसरी यूनिट को लगातार 72 घंटे तक फुल लोड पर चलाकर बिजली उत्पादन किया गया। इस दौरान इकाई की मशीनरी और संयंत्रों ने बेहतर ढंग से कार्य किया और कही से किसी प्रकार की बाधा नहीं आयी। परियोजना की दूसरी यूनिट अब वाणिज्यिक उत्पादन के लिए लगभग तैयार है। इसी महीने से इस यूनिट से वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने जा रहा है। ऐसी स्थिति में कुल उत्पादन 1320 मेगावाट हो जाएगा। उन्होंने बताया कि इस परियोजना के निर्माण पर 18000 करोड़ की लागत आई है। इसके माध्यम से प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से आठ से 10 हजार कामगारों को रोजगार मिल रहा है। इसमें ज्यादातर कामगार बिहार के हैं।

Untitled-1


6 माह के भीतर तीसरी इकाई से भी होने लगेगा बिजली उत्पादन

एनपीजीसी की सुपर थर्मल पावर परियोजना की तीसरी यूनिट से भी अगले 6 माह के भीतर बिजली का व्यावसायिक उत्पादन शुरू हो जाएगा। इस इकाई के सिंक्रोनाइजेशन का काम गत 28 मार्च को सफलतापूर्वक संपन्न करा लिया गया। अब इस इकाई का शीघ्र ही ट्रायल किया जाएगा और इसके बाद यह इकाई भी बिजली के व्यवसायिक उत्पादन के लिए पूरी तरह तैयार हो जाएगी। मुख्य कार्यकारी अधिकारी विजय सिंह ने बताया कि परियोजना की तीसरी इकाई को अगले 6 माह के भीतर राष्ट्र को समर्पित कर दिये जाने की योजना है। इस इकाई के चालू हो जाने के बाद बिहार को एनपीजीसी परियोजना से 1683 मेगावाट बिजली मिलने लगेगी। तीसरी यूनिट के चालू होने के साथ ही इस परियोजना के पहले चरण का निर्माण कार्य भी पूरा हो जाएगा। तीनों इकाइयों के चालू हो जाने के बाद बिहार राज्य में ही आवश्यकता के अनुसार न केवल बिजली का उत्पादन होने लगेगा बल्कि अन्य प्रांतों तथा पड़ोसी देशों को भी यहां से बिजली दी जा सकेगी।

एरा ने किए सिविल तो भेल ने किए यांत्रिक कार्य

किसी भी ताप विद्युत उत्पादन इकाई की स्थापना में ब्वायलर का काम सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है। एनपीजीसी की नबीनगर सुपर थर्मल पावर परियोजना में इसके सिविल कार्य एरा इंफ्रा इंजीनियरिंग लि. और यांत्रिक कार्य को भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लि.(भेल) पूरा करा रही है। दोनों ही कंपनियां परियोजना के कार्यों को बेहतर तरीके से पूर्ण कर रही है। वर्ष 2012 में तीनों यूनिट के लिए शुरु किये गये ब्वायलर संबंधी सिविल कार्य को एरा 2022 तक पूर्ण करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। इस बीच 2019 में पहली यूनिट का काम पूरा होने के बाद तीसरी यूनिट व्यावसायिक उत्पादन की ओर अग्रसर है। वही भेल के परियोजना महाप्रबंधक परितोष पंडित एवं प्रबंधक कृष्णा साह ने बताया कि सुरक्षा के सभी मानकों पर खरा उतरते हुए भेल एनपीजीसी परियोजना का कार्य कर रही है। सुरक्षा मानकों पर खरा उतरने के कारण ही परियोजना में निर्माण कार्य के दौरान अभी तक कोई दुर्घटना नही घटी है और इसके लिए हमें पुरस्कार भी मिले है। उन्होने कहा कि 2014 से भेल इस परियोजना में ब्यावलर संबंधी यांत्रिक कार्य कर रही है। इस दौरान कोरोना को लेकर लाॅकडाउन की त्रासदी के बावजूद हमारे कार्मिकों ने अतिरिक्त प्रयास कर यह मुकाम हासिल किया है कि परियोजना की दूसरी यूनिट अब व्यावसायिक उत्पादन का लक्ष्य प्राप्त करने जा रही है। कहा कि परियोजना में लग रहे 3 × 660 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता के तीनों ब्वायलर सुपर क्रिटिकल और नवीनतम तकनीक पर बने है। इस तकनीक का राष्ट्रीय स्तर पर अबतक सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा है। परियोजना के तीनों ही यूनिट इसी मानक के है। पहली युनिट से डेढ़ साल से व्यावसायिक उत्पादन जारी है। वही अब दूसरी यूनिट से व्यावसायिक उत्पादन की बारी है। इसके बाद तीसरी यूनिट की बारी आयेगी। गौरतलब है कि पूर्व में एनपीजीसी की स्थापना बिहार सरकार और एनटीपीसी के संयुक्त उपक्रम के रूप में की गई थी। बाद में इस उपक्रम के बिहार सरकार के शेयर एनटीपीसी ने खरीद लिए और इस प्रकार यह एनटीपीसी की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी बन गई है।