नई दिल्ली। ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ की पहल पर भारतीय सेना को वायु रक्षा तोपों (एयर डिफेंस गन) के आधुनिकीकरण और गोला-बारूद खरीदने हेतु 6,000 करोड़ रुपये की मंजूरी मिल गई है। बताना चाहेंगे, लंबे समय से सेना को एयर डिफेंस गन के आधुनिकीकरण की आवश्यकता थी, जो पहले विदेशी स्रोतों से खरीदी गई थीं।
मिलेंगे रोजगार के अवसर
गौरतलब हो, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की बैठक में ‘बाय एंड मेक’ (भारतीय) श्रेणी के तहत सेना का यह प्रस्ताव मंजूर किया गया है। इसके अलावा छह स्टील्थ पनडुब्बियों का निर्माण करने के लिए 43 हजार करोड़ रुपए के स्वदेशी प्रोजेक्ट-75 आई को भी मंजूरी दी गई है। यह प्रोजेक्ट आधुनिक पारंपरिक पनडुब्बी निर्माण में आत्मनिर्भरता के लिए देश को आगे बढ़ाएगा और इससे रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
एक दर्जन भारतीय कंपनियों ने निर्माण के लिए जताई इच्छा
रक्षा मंत्रालय की ओर से ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ की पहल पर लगभग एक दर्जन भारतीय कंपनियों ने इस जटिल गन सिस्टम और संबंधित उपकरणों के निर्माण के लिए अपनी इच्छा जताई है। इसीलिए डीएसी ने 6,000 करोड़ रुपये की लागत से ‘बाय एंड मेक’ (भारतीय) श्रेणी में एयर डिफेंस गन और गोला-बारूद खरीदने के लिए मंजूरी दी है। इसके अलावा सशस्त्र बलों के लिए आवश्यक हथियारों और गोला-बारूद का स्टॉक जमा करने की अवधि 31 अगस्त, 2021 तक बढ़ा दी गई है।
15 दिनों के पूर्ण युद्ध के लिए गोला-बारूद जमा करने के पिछले साल मिले थे आदेश
दरअसल तीनों भारतीय सेनाओं को ‘टू फ्रंट वार’ की तैयारी के मद्देनजर 10 दिनों के बजाय 15 दिनों के पूर्ण युद्ध के लिए गोला-बारूद और हथियारों का स्टॉक जमा करने के आदेश पिछले साल दिए गए थे। इसके लिए सशस्त्र बलों को 50 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसके अलावा चीन सीमा (एलएसी) पर तैनात सैनिकों की जरूरत को देखते हुए सरकार ने पिछले साल सेनाओं को राइफल्स, मिसाइल, गोला बारूद, ड्रोन आदि खरीदने के लिए 21 जून, 2020 को 500 करोड़ रुपये और 15 जुलाई, 2020 को 300 करोड़ रुपये आपात फंड के रूप में दिए गए थे। तीनों सेनाओं को अधिकार दिए गए हैं कि वे अपनी जरूरत के हिसाब से घातक हथियार और गोला बारूद खरीद सकती हैं। इसी आपात फंड का इस्तेमाल करने की अवधि बढ़ाकर 31 अगस्त, 2021 कर दी गई है।
यह सबसे बड़ी ‘मेक इन इंडिया’ परियोजनाओं में से एक होगी
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बैठक के बाद कहा कि स्वदेशी प्रोजेक्ट-75 आई भारतीय उद्योग को पनडुब्बी निर्माण में निवेश के लिए अद्वितीय दीर्घकालिक अवसर देगा। भारतीय उद्योग और प्रमुख विदेशी ओईएम के बीच रणनीतिक गठजोड़ से भारत में पनडुब्बियों के लिए नवीनतम तकनीक का भी इस्तेमाल हो सकेगा। रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत यह पहली ऐतिहासिक स्वीकृति है। यह सबसे बड़ी ‘मेक इन इंडिया’ परियोजनाओं में से एक होगी और इससे भारत में पनडुब्बी निर्माण के लिए स्तरीय औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र तैयार होगा। इस अनुमोदन के साथ भारत पनडुब्बी निर्माण में राष्ट्रीय क्षमता हासिल करने के साथ ही अपने 30 साल पुराने पनडुब्बी निर्माण कार्यक्रम को जमीन पर उतार सकेगा।
(इनपुट-हिन्दुस्थान समाचार)