वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सी.एस.आई.आर.) की लैब कोशिकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र (सी.सी.एम.बी.) ने ‘ड्राई स्वैब वाले आरटी-पीसीआर’ जांच को ठीक तरीके से करने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों को आवश्यक तकनीकी परीक्षण देने की पेशकश की है। इस बाबत केंद्र के निदेशक राकेश मिश्रा ने जानकारी देते हुए कहा है कि ‘कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनजर कोरोना नमूनों की जांच के लिए ड्राई स्वैब जांच अत्यंत उपयोगी है।’
नॉर्मल RT-PCR से ज्यादा ड्राई स्वैब आरटी पीसीआर फायदेमंद
जानकारी के मुताबिक सीएसआईआर की सीसीएमबी लैब ने ‘ड्राई स्वैब आरटी-पीसीआर’ प्रणाली विकसित की है। आरटी-पीसीआर टेस्टिंग की ये तकनीक नॉर्मल आरटी-पीसीआर से करीब 30 से 40 प्रतिशत तक सस्ती है। साथ ही ‘ड्राई स्वैब आरटी-पीसीआर’ जांच के दौरान रिजल्ट भी काफी तेजी के आते हैं।
क्या है ड्राई स्वैब RT-PCR टेस्ट ?
ड्राई स्वैब आरटी-पीसीआर कोविड संक्रमण का पता लगाने के लिए मौजूदा मानक आरटी-पीसीआर का ही एक सरल रूपांतर है। यह सीएसआईआर-सीसीएमबी द्वारा विकसित एक ड्राई स्वैब आरएनए-निष्कर्षण-मुक्त परीक्षण विधि है। डाइग्नोसिस के लिए इस प्रणाली में वायरल ट्रांसपोर्ट मीडियम (वीटीएम) में सैंपल कलेक्ट करने वाला स्टेप और फिर उसके बाद आरएनए आइसोलेट करने वाला स्टेप हटा दिया है।
क्या होता है RT-PCR टेस्ट ?
आरटी-पीसीआर टेस्ट का पूरा नाम ‘रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पोलीमरेज चेन रिएक्शन’ है। इसकी जांच प्रयोगशाला में की जाती है। इस टेस्ट के जरिए व्यक्ति के शरीर में वायरस का पता लगाया जाता है। इसमें वायरस के आरएनए की जांच की जाती है। ज्यादातर सैंपल नाक और गले से म्यूकोजा के अंदर वाली परत से स्वैब लिया जाता है।
नमूनों की जांच हेतु नए आरटी पीसीआर टेस्ट में समय की भी बचत
कोरोना वायरस के अधिक संक्रामक रूप के सामने आने के कारण वैज्ञानिकों के सामने चुनौती आ खड़ी हुई है। वे इससे निपटने के लिए और अधिक प्रयास कर रहे हैं। इस समय नमूनों की जांच को बढ़ाने के लिए हैदराबाद स्थित कोशिकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र ने आरटी पीसीआर जांच की क्षमता को कई गुना बढ़ाने के लिए ऐसी विधि विकसित की है जो कि समय भी बचाती है और किफायती भी है।
अब ऐसे होगा न्यू RT-PCR टेस्ट
इस नई विधि में जांच के नमूनों को वायरल ट्रांसफर माध्यम में डालने के लिए की जरूरत नहीं है। यह सूखे रूप में चंद मिनटों में आरटी पीसीआर जांच के लिए तैयार होगा। इससे यह मौजूदा जांच के लिए 30 से 40 फीसदी सस्ता होगा। इस संबंध में सीएसआईआर-सीसीएमबी के निदेशक राकेश मिश्रा बताते हैं कि “डाइग्नोसिस के लिए सीएसआईआर की लैब सीसीएमबी ने ये प्रणाली विकसित की है। इसमें वीटीएम में सैंपल कलेक्ट करने वाला स्टेप और फिर उसके बाद आरएनए आइसोलेट करने वाला स्टेप हटा दिया है। इसलिए ये तरीका बेहद सरल और एक्यूरेसी वाला है, जितना कि स्टैंडर्ड आरटी पीसीआर वाला मेथड है।
बताना चाहेंगे, इस विधि को देश के कई शोध और संस्थानों ने मान्यता दे दी है और इसके उपयोग को आईसीएमआर ने भी अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। ये विधी अभी किए जा रहे जांच के मानकों के अनुरूप है। नागपुर स्थित राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी संस्थान ने इस विधि का उपयोग करते हुए 50 हजार से ज्यादा नमूनों की जांच की है। इस विधि की तकनीक को अपोलो अस्पताल, मैरी लाइफ और स्पाइस जैसे सेवा प्रदाताओं को भी दिया गया है। अब उम्मीद जताई जा रही है कि इस विधि से देश में नमूनों की जांच तेजी से करने में मदद मिलेगी।
(सोर्स-PBNS)
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