नई दिल्ली। लैंडिंग क्राफ्ट यूटिलिटी (एलसीयू) एल-58 पोर्ट ब्लेयर, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में भारतीय नौसेना में कमीशन किया गया। यह जहाज अपने चालक दल के अलावा 160 सैनिकों को भी ले जाने में सक्षम है। यह मार्क IV क्लास का आठवां और आखिरी जहाज है।
नौसेना के बेड़े में शामिल करते समय कमांडर कृष्ण के. यादव ने जहाज के पहले कमांडिंग अधिकारी के रूप में इसका कमीशन वारंट पढ़ा। एल-58 के नौसेना में शामिल होने के बाद अब भारत के पास कुम्भिर वर्ग के 3 एलसीयू और चतुर्थ श्रेणी के 8 एलसीयू हो गए हैं। इस जहाज में लड़ाकू वाहनों, युद्धक टैंक, बख्तरबंद समेत 900 टन वजन का सामान लादा जा सकता है। जीआरएसई ने यह आखिरी जहाज 31 दिसम्बर, 2020 को नौसेना को सौंपा था।
स्वदेशी रूप से डिजाइन किया गया यह जहाज
एलसीयू 58 एक उभयचर जहाज है, जो अपने चालक दल के अलावा 160 सैनिकों को ले जा सकता है। यह जहाज विभिन्न प्रकार के लड़ाकू वाहनों , मेन बैटल टैंक (एमबीटी), बीएमपी, बख्तरबंद वाहन, ट्रक के रूप में 900 टन वजन ले जाने में सक्षम है। जहाज की लंबाई 63 मीटर है और इसका इंजन 15 समुद्री मील (28 किमी प्रति घंटे) की गति से जहाज को चलाने में सक्षम है। नौसेना प्रवक्ता ने बताया कि जहाज पर पांच अधिकारियों और 50 नाविकों की एक उत्साही टीम तैनात है। कोलकाता की कंपनी जीआरएसई ने इसे स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और निर्मित करके राष्ट्र को ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान की सफलता में एक और कामयाबी दिलाई है।
स्वदेशी निर्मित बंदूकों का किया गया है इस्तेमाल
जहाज के मुख्य हथियारों में दो स्वदेशी रूप से निर्मित 30 मिमी सीआरएन 91 बंदूकें शामिल हैं, जो एक स्थिर ऑप्टोनिक क्रॉनिकल (एसओपी) द्वारा नियंत्रित होती हैं। इसके अलावा जहाज को हवा, सतह और उप-पारंपरिक खतरों से बेअसर करने के लिए छह मशीन गन पोस्ट लगा ई गई हैं। प्रवक्ता के मुताबिक जहाज में उन्नत इलेक्ट्रॉनिक सपोर्ट सिस्टम लगाया गया है ताकि दुश्मन रडार से बचा जा सके। इसके अलावा जहाज में लगा उन्नत इंटीग्रेटेड ब्रिज सिस्टम और एक परिष्कृत इंटीग्रेटेड प्लेटफ़ॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम क्रमशः जहाज के नौवहन और मशीनरी उपकरणों की एकल स्टेशन निगरानी की अनुमति देता है।
आपदा रहत और निगरानी कार्यों जैसी भूमिकाओं में मिलेगी तैनाती
प्रवक्ता का कहना है कि आज नौसेना में शामिल हुआ लैंडिंग क्राफ्ट यूटिलिटी (एलसीयू) 58 पोर्ट ब्लेयर पर आधारित होगा । इसे अंडमान और निकोबार के द्वीप समूह, बंगाल की खाड़ी, हिन्द महासागर क्षेत्र में खोज और बचाव, आपदा राहत, तटीय गश्ती और निगरानी कार्यों जैसे विभिन्न भूमिकाओं में तैनात किया जाएगा। यह लैंडिंग क्राफ्ट भारतीय नौसेना की ताकत के साथ ही अंडमान और निकोबार कमांड के आदर्श वाक्य ‘संयुक्तता के माध्यम से विजय’ को आगे बढ़ाएगा।
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