पटना (लाइव इंडिया न्यूज18 ब्यूरो)। प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी कम्युनिष्ट नेता पूर्व विधायक गणेश शंकर विद्यार्थी का 97 वर्ष की उम्र में सोमवार की देर रात पटना में निधन हो गया। गणेश शंकर विद्यार्थी बिहार के नवादा व रजौली विधानसभा से एक-एक बार विधायक रहे। वे सीपीआईएम के राष्ट्रीय सचिव, पोलित ब्यूरो मेंबर व राज्य सचिव भी रहे। उन्होंने पटना के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली।
गणेश शंकर विद्यार्थी का जन्म रजौली में वर्ष 1924 हुआ था। उनका परिवार इलाके में काफी प्रतिष्ठित था। बताया जाता है कि गणेश शंकर विद्यार्थी का पूरा परिवार कांग्रेसी था। परिवार में वह इकलौता ऐसे शख्स थे जो कम्युनिस्ट पार्टी के साथ खड़े होकर अंतिम सांस तक चलते रहे।
छह बार जेल गए थे गणेश शंकर विद्यार्थी, सात साल जेल में रहे
गणेश शंकर विद्यार्थी अपने जीवन काल में छह बार जेल गए। करीब सात साल अपने जीवन का जेल में बिताए। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के समय एक साल जेल में रहे। 1944 में एक जुलूस के कारण जेल गए। 1946 में कैदियों की रिहाई आंदोलन के कारण जेल गए। 1948 में उनके संगठन को गैर कानूनी घोषित कर दिया गया था। तब तीन साल तक जेल में रहे। 1962 में करीब चार माह जेल में रहे। 1964 में सीपीआई से अलग सीपीएम अलग बनी तब नजरबंद रहे थे। 1965 में सुप्रीम कोर्ट में अपनी पैरवी करने खुद गए थे तब गिरफ्तार कर लिए गए थे। तब ढाई साल तक जेल में रहे। स्वतंत्रता सेनानी रहे। लेकिन पेंशन नहीं ली।
Aisf से शुरू की सफर CPI से होते हुए CPIM के 18 साल तक राज्य सचिव रहे
अखिल भारतीय छात्र संघ (AISF) से अपने छात्र जीवन में ही अंग्रेजों के खिलाफ गणेश शंकर विद्यार्थी ने लड़ाई की शुरुआत की। आजदी के आंदोलन के दौरान वे बिहार में अंग्रेजों के लिए मुसिबत बन गए। इस दौरान अंग्रेजी हुकुमत ने उन्हें कई बार कैद किया। आजादी के बाद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) से जुड़े। 1952 में पहली बार वे विधानसभा का चुनाव सीपीआई की टिकट पर लड़े। बाद में जब सीपीआई का बंटवारा हुआ तो बिहार में सीपीआईएम में चले गए। सीपीआईएम के विस्तार में उनकी महत्वपूर्ण भुमिका रही। 18 वर्ष तक वे सीपीआईएम के राज्य सचिव रहे।