नई दिल्ली। पीएम मोदी ने शनिवार, 11 मार्च 2023 को ‘प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान (पीएम विकास)’ पर पोस्ट बजट वेबिनार को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, पिछले कुछ वर्षों में सरकार कौशल भारत मिशन और कौशल विकास केंद्रों के माध्यम से करोड़ों युवाओं के कौशल को बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इन योजनाओं के माध्यम से देश में युवाओं को रोजगार के ढेर सारे अवसर मिल रहे हैं।
‘पीएम-विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों की समृद्ध परंपरा को संरक्षित करना’
पीएम ने कहा कि बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए कौशल विकास के क्षेत्र में अधिक लक्षित दृष्टिकोण की आवश्यकता है और पीएम-विश्वकर्मा योजना उसी सोच का परिणाम है। उन्होंने कहा कि पीएम-विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य न केवल पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों की समृद्ध परंपरा को संरक्षित करना है बल्कि उनका विकास करना भी है। पीएम मोदी ने कहा कि अब स्किल इंफ्रास्ट्रक्चर सिस्टम को उनकी जरूरतों के मुताबिक बदलने की जरूरत है।
‘पिछले कई दिनों से बजट के बाद वेबिनार का सिलसिला चल रहा है’
पीएम मोदी ने कहा, पिछले कई दिनों से बजट के बाद वेबिनार का सिलसिला चल रहा है। पिछले तीन साल बजट के बाद बजट को लेकर स्टेक होल्डर्स से बात करने की एक परंपरा हमने शुरू की है। जो बजट आया है उसको हम जल्दी से जल्दी बहुत ही फोकस वे में कैसे लागू करें, स्टेक होल्डर्स उसके लिए क्या सुझाव देते हैं, उनके सुझावों पर सरकार कैसे अमल करे, यानि एक बहुत ही उत्तम तरीके का मंथन चला है और मुझे खुशी है कि सभी एसोसिएशंस व्यापार और उद्योग से जुड़े हुए बजट का जिनके साथ सीधा संबंध है, चाहे वो किसान हो, महिला हो, युवा हो, आदिवासी हो, हमारे दलित भाई-बहन हो, सभी स्टेक होल्डर्स हजारों की तादाद में पूरा दिनभर बैठे। इससे बहुत ही उत्तम सुझाव निकले हैं, सरकार को भी उपयोग में आएं ऐसे सुझाव आए हैं।
‘बजट को कैसे सर्वाधिक उपकारक बनाया जाए, इसकी सटीक चर्चा की’
उन्होंने आगे जोड़ते हुए कहा, मेरे लिए खुशी की बात ये है कि इस बार बजट वेबिनार में बजट में ये होता, ये न होता ऐसी कोई चर्चा करने की बजाय सभी स्टेक होल्डर्स ने इस बजट को कैसे सर्वाधिक उपकारक बनाया जाए, इसके क्या रास्ते हो सकते हैं, इसकी सटीक चर्चा की है। यह हमारे लिए लोकतंत्र का एक नया और महत्वपूर्ण अध्याय है। जो चर्चा संसंद में होती है, जो चर्चा सासंद करते हैं, वैसे ही गहन विचार जनता जनार्दन से भी मिलना अपने आप में बहुत ही उपकारक एक्सरसाइज है।
‘आज बजट का ये वेबिनार भारत के करोड़ों लोगों के हुनर और उनके कौशल को समर्पित’
पीएम ने कहा, आज बजट का ये वेबिनार भारत के करोड़ों लोगों के हुनर और उनके कौशल को समर्पित है। बीते वर्षों में हमने स्किल इंडिया मिशन के माध्यम से, कौशल विकास केंद्रों के माध्यम से करोड़ों युवाओं की स्किल बढ़ाने, उन्हें रोजगार के नए अवसर देने का काम किया है। कौशल जैसे क्षेत्र में हम जितना स्पेसिफिक होंगे, जितनी टारगेटेड अप्रोच होगी, उतने ही बेहतर परिणाम मिलेंगे। पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना और उसको अगर सरल भाषा में कहना है तो विश्व कर्मा योजना ये इसी सोच का नतीजा है। इस बजट में पीएम विश्वकर्मा योजना के ऐलान से आमतौर पर व्यापक चर्चा हुई है, अखबारों का भी ध्यान गया है, जो अर्थवेत्ता हैं उनका भी ध्यान गया है और इसलिए इस योजना की घोषणा ही एक आकर्षण का केंद्र बन गई है। अब इस योजना की आवश्यकता क्या रही, क्यों इसका नाम विश्वकर्मा ही रखा गया, कैसे आप सभी स्टेकहोल्डर्स इस योजना की सफलता के लिए बहुत ही अहम हैं। इन सभी विषयों पर कुछ बातें मैं भी करूंगा और कुछ बातें आप भी चर्चा से मंथन करके निकालेंगे।
‘भगवान विश्वकर्मा सृष्टि के नियंता और निर्माता माने जाते हैं’
उन्होंने कहा, हमारी मान्यताओं में भगवान विश्वकर्मा सृष्टि के नियंता और निर्माता माने जाते हैं। उन्हें सबसे बड़ा शिल्पकार कहा जाता है। जो विश्वकर्मा की मूर्ति की कल्पना की उनमें सारे हाथों में अलग-अलग औजार हैं। हमारे समाज में अपने हाथ से कुछ न कुछ सृजन करने वाले और वो भी औजार की मदद से करने वाले, उन लोगों की एक समृद्ध परम्परा रही है जो टैक्सटाइल के क्षेत्र में काम करते हैं, उनकी तरफ तो ध्यान गया है लेकिन हमारे लोहार, स्वर्णकार, कुम्हार, बढ़ई, मूर्तिकार, कारीगर, राजमिस्त्री अनेकों हैं जो सदियों से अपनी विशिष्ट सेवाओं की वजह से समाज का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। इन वर्गों ने बदलती हुई आर्थिक जरूरतों के मुताबिक समय-समय पर खुद में भी बदलाव किया है, साथ ही इन्होंने स्थानीय परंपराओं के अनुसार नई-नई चीजों का आविष्कार भी किया है। जैसे महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में हमारे किसान भाई-बहन अनाज को बांस से बने एक स्टोरेज स्ट्रक्चर में रखते हैं। इसे कांगी कहते हैं और इसे स्थानीय कारीगर ही तैयार करते हैं। इसी तरह अगर हम तटीय इलाकों में जाएं तो समाज की जरूरतों को पूरा करने के लिए तरह-तरह की शिल्प का विकास हुआ है। अब केरल की बात करें तो केरल की उरु बोट पूरी तरह हाथ से तैयार की जाती है। मछली पकड़ने वाली इन नौकाओं को वहां के बढ़ई ही तैयार करते हैं। इसे तैयार करने के लिए विशेष तरह का कौशल, दक्षता और विशेषज्ञता चाहिए होती है।
‘लोगों का आकर्षण बनाए रखने में कारीगर की भूमिका महत्वपूर्ण’
पीएम मोदी ने कहा, स्थानीय शिल्प के छोटे पैमाने पर उत्पादन और उनके प्रति लोगों का आकर्षण बनाए रखने में कारीगर की भूमिका महत्वपूर्ण होती है लेकिन दुर्भाग्य से हमारे यहां पर उनकी भूमिका एक प्रकार के समाज के भरोसे ही छोड़ दी गई है और उनकी भूमिका को सीमित कर दिया गया। स्थिति तो ये बना दी गई कि इन कार्यों को छोटा बताया जाने लगा, कम महत्व का बताया जाने लगा जबकि एक समय ऐसा भी था कि इसी से दुनिया में हमारी पहचान थी। ये निर्यात का एक ऐसा प्राचीन मॉडल था जिसमें बहुत बड़ी भूमिका हमारे कारीगरों की ही थी लेकिन गुलामी के लंबे कालखंड में ये मॉडल भी चरमरा गया। आजादी के बाद भी हमारे कारीगरों को सरकार से एक जो इंटरवेंशन की आवश्यकता थी, जहां जरूरत पड़े मदद की आवश्यकता थी, वो नहीं मिल पाई। नतीजा यह हुआ कि आज अधिकांश लोग इस अनऑर्गनाइज सेक्टर से सिर्फ अपना जीवनयापन करने के लिए कुछ न कुछ जुगाड़ करके गुजारा कर लेते हैं। कई लोग अपना पुस्तैनी और पारंपरिक व्यवसाय छोड़ रहे हैं। उनके पास आज की आवश्यकताओं के अनुसार ढलने के लिए सामर्थ्य कम पड़ रहा है। पीएम ने कहा, हम इस वर्ग को ऐसे ही अपने हाल पर नहीं छोड़ सकते। ये वो वर्ग है जो सदियों से पारम्परिक तरीकों के उपयोग से अपने शिल्प को बचाए हुए हैं। ये वो वर्ग हैं, जो अपने असाधारण कौशल और यूनिक क्रिएशन से अपनी पहचान बनाए हुए हैं। ये आत्मनिर्भर भारत की सच्ची भावना के प्रतीक है। हमारी सरकार ऐसे लोगों को, ऐसे वर्गों को नए भारत का विश्वकर्मा मानती है और इसलिए उनके लिए विशेष तौर पर पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना शुरू की जा रही है। ये योजना नई है, लेकिन महत्वपूर्ण है।
‘पीएम विश्वकर्मा योजना का फोकस एक बहुत बड़े बिखरे हुए समुदाय की तरफ है’
पीएम ने कहा, आमतौर पर हम सुनते रहते हैं कि मनुष्य तो सामाजिक प्राणी है और समाज की विभिन्न शक्तियों के माध्यम से समाज व्यवस्था विकसित होती है, समाज व्यवस्था चलती हैं। कुछ ऐसी विधाएं होती हैं जिनके बिना समाज का जीवन बसना भी मुश्किल होता है, बढ़ने का तो सवाल ही नहीं होता है, इसकी हम कल्पना ही नहीं कर सकते। हो सकता है, उन कार्यों को आज टेक्नोलॉजी की मदद मिली हो, उनमें और आधुनिकता आई हो, लेकिन उन कार्यों की प्रासंगिकता पर कोई सवाल खड़ा नहीं कर सकता। जो लोग भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को जानते हैं वो ये भी जानते हैं कि किसी परिवार में फैमिली डॉक्टर हो या ना हो लेकिन आपने ये देखा होगा फैमिली सुनार जरूर होता है। यानि हर परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी एक खास सुनार के यहां से ही गहने बनवाते हैं, गहने खरीदते हैं, ऐसे ही गांव में, शहरों में, विभिन्न कारीगर हैं जो अपने हाथ के कौशल से औजार का उपयोग करते हुए जीवन यापन करते हैं। पीएम विश्वकर्मा योजना का फोकस ऐसे एक बहुत बड़े बिखरे हुए समुदाय की तरफ है। महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज की कल्पना को देखें तो गांव के जीवन में खेती किसानी के साथ ही अन्य व्यवस्थाएं भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है। गांव के विकास के लिए गांव में रहने वाले हर वर्ग को सक्षम बनाना, आधुनिक बनाना ये हमारी विकास यात्रा के लिए आवश्यक है।
‘पीएम विश्वकर्मा योजना के माध्यम से करोड़ों लोगों की बड़ी मदद होने जा रही है’
पीएम मोदी ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा, मैं अभी कुछ दिन पहले ही दिल्ली में आदि महोत्सव गया था, वहां मैंने देखा कि हमारे आदिवासी जनजातीय क्षेत्र के हस्तकला में और अन्य कामों में जिन्हें महारथ है, ऐसे कई लोग आए थे, उन्होंने वहां स्टॉल लगाए थे लेकिन मेरा ध्यान एक तरफ और गया, वहां लाख से चूड़ी बनाने वाले जो लोग थे, लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र थे। वहां जो भी लोग आते थे पांच दस मिनट वहां खड़े ही रह रहे थे। उसी प्रकार से लोहे का काम करने वाले लुहार भाई-बहन है, मिट्टी का बर्तन बनाने वाले हमारे कुम्हार भाई-बहन है, लकड़ी का काम करने वाले हमारे लोग हैं, सोने का काम करने वाले हमारे सुनार हैं, इन सभी को अब सपोर्ट किया जाना आवश्यक है। जैसे हमने छोटे दुकानदारों के लिए, रेहड़ी पटरी वालों के लिए पीएम स्वनिधि योजना बनाई इसका उन्हें लाभ मिला। वैसे ही पीएम विश्वकर्मा योजना के माध्यम से करोड़ों लोगों की बड़ी मदद होने जा रही है। पीएम मोदी ने कहा, महात्मा गांधी की ग्राम स्वराज की दृष्टि गांव के प्रत्येक वर्ग के विकास को समाहित करती है। यह न केवल कृषि और खेती बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों और पहलुओं को भी शामिल करती है।
उल्लेखनीय है कि वेबिनार की इस शृंखला का मकसद केंद्रीय बजट (2023-24) में की गई घोषणाओं पर विचारों और सुझावों को एकत्र करना है, ताकि उन सभी घोषणाओं पर सही दिशा में काम किया जा सके। ‘पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान’ का उद्देश्य कारीगरों और शिल्पकारों को डोमेस्टिक और ग्लोबल वैल्यू चेन से जोड़ना है। ऐसा करके सरकार उनके प्रोडक्ट्स-सर्विसेस की क्वालिटी, स्केल और रीच में सुधार करना चाहती है।