बसंत पंचमी पर हजारों भक्तों ने मां उमंगेश्वरी का किया दर्शन

मदनपुर(औरंगाबाद) (लाइव इंडिया न्यूज18 ब्यूरो)। मदनपुर के उमगा पहाड़ पर त्रेता युगीन स्थापत्य कलाकृतियों से आलौकिक भव्य सूर्य मंदिर और आदी शक्ति मां उमंगेश्वरी और गौरी शंकर की मंदिरों में एक ओर जहां दर्शन और पूजा अर्चना करते है। वहीं बसंत पंचमी के अवसर पर मंगलवार को मां उमंगेश्वरी और भगवान सूर्य की हजारों भक्तों ने दर्शन किए।श्रद्धा भक्ति और धार्मिक आस्था और विश्वास का स्थल उमंगेश्वरी पहाड़ जहां देवी देवताओं, ऋषियों, मुनियों का पावन स्थल रहा है।

शक्ति साधना और धार्मिक ,ऐतिहासिक उमगा पहाड़ पर आलौकिक प्रकृति की अनुपम मनोदृश्य लोगों का आकर्षित करता है।यहां सरस्वती पूजा,और बसंत पंचमी के अवसर पर हजारों भक्त यहां आकर पूजा अर्चना तो करते ही हैं।भगवान भक्तों के हर मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।यही वजह है कि सैकड़ों वर्षो से भक्तों का मेला लगता है।इस मेला में न केवल औरंगाबाद जिले के बल्कि देश प्रदेश के अन्य भागों से लोग आते हैं और पूजा अर्चना कर मन्नते मानते हैं। उमंगेश्वरी पर्वत श्रृंखला पर अनेक देवी देवताओं का प्राकृतिक गुफाओं,मंदिरों का अदभूत संगम है।

भगवान शिव और मां पार्वती की पसंदीदा है यह स्थल

उमगा पहाड़ पर अधिकांश पेड़ बेल की है। जो भगवान शंकर के अति प्रिय वृक्ष है। यहां तीन से लेकर ग्यारह तक बेल पत्र पाए जाते हैं।जहां सावन माह में गौरी शंकर गुफा में,भगवान शिव और मां आदी शक्ति की नटराज परिदृश्यात्मक मंदिर है।साथ ही सहस्त्र शिवलिंग यहां स्थापित है।जिसमें बेल पत्र और जलाभिषेक हजारों शिव भक्त करते हैं।जो भक्त श्रद्धा निष्ठा और भक्ति से पूजा करते और जलाभिषेक सावन माह में करते हैं उन्हें अवश्य मन्नते पुरी होती है।

कोविड 19 को लेकर सरकारी स्तर पर मेला आयोजन पर रोक होने के वाबजूद हजारों श्रद्धालु भक्त बसंत पंचमी के अवसर पर उमंगेश्वरी पहाड़ पर पहुंचे जहां लोग पूजा अर्चना किए। इस वर्ष मेला में मनोरंजन के संसाधन नहीं आए।
हर वर्ष बसंत पंचमी के अवसर पर लगने वाले मेला में देश के प्रख्यात सर्कस, चिडिया घर, मौत का कुआं, चर्खी, झुला, कर्तवय दिखाने वाले सहित अन्य खेल तमाशे वाले आते थे। पर इस वर्ष कोरोना महामारी की वजह से नहीं आए जिससे लोग उदासीन रहे। मेला में हजारों मन्नत मांगने वालें हजारों भक्त यहां आए। कोरोना के नियमों का पालन तो दूर मास्क लगाए भी नहीं थे।प्रशासनिक व्यवस्था नहीं थी।

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