पटना। कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के कारण गेहूं की खरीद लड़खड़ा गयी है। पैक्स और व्यापार मंडल खरीद के पहले सप्ताह में एक दाना तक किसानों से नहीं खरीद सके हैं। अधिकतर क्रय केंद्र बंद पड़े हैं। सहकारिता विभाग अभी एजेंसियों का चयन भी नहीं कर सका है। खरीद केंद्रों के चालू नहीं होने और कोरोना के कारण व्यापारियों द्वारा भी खेतों तक पहुंच कर एमएसपी से अधिक रेट पर खरीद में रुचि न दिखाने से किसानों को उपज की रखवाली और सुरक्षा की चिंता सता रही है।
मौसम भी किसान का साथ नहीं दे रहा है। वहीं‚ विभाग अपने सांकेतिक लIय को इस बार पूरा कर ले‚ यह दूर–दूर तक दिखाई नहीं दे रहा है। गेहूं खरीद प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन है। पैक्स को रोजाना देर शाम मुख्यालय को ऑनलाइन रिपोर्ट भेजनी थी। यह रिपोर्ट एफसीआई‚ सहकारिता विभाग‚ खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग को भी भेजी जानी है‚ लेकिन पैक्स से लेकर राज्य मुख्यालय तक खरीद प्रणाली से जुड़े सहकारिताकर्मी कोविड की चपेट में हैं। इससे मॉनिटरिंग और रिपोटिंर्ग व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है।
इस वित्तीय वर्ष में सरकारी गेहूं की खरीद 1975 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 15 मई तक होनी है। लIय एक लाख मीट्रिक टन का है। सरकार ने पैक्स–व्यापार मंडल को निर्देश दिया है कि सभी किसानों का गेहूं खरीदा जाए। लक्ष्य के साथ रैयत किसानों से 150‚ गैर रैयत से 50 क्विंटल तक ही गेहूं खरीद कर भुगतान 48 घंटे के भीतर ही करना है। दो पंचायतों में खेती करने वाले उस पैक्स–व्यापार मंडल पर गेहूं बेच सकेंगे‚ जिसमें उनका घर आता है।
इसी घोषणा के साथ 15 अप्रैल से खरीद शुरू करने का ऐलान किया गया था। इसकी आधिकारिक घोषणा होते–होते खरीद की तारीख 20 अप्रैल हो गयी। सहकारिता मंत्री के यहां से मिली जानकारी के अनुसार 22 अप्रैल तक कहीं भी खरीद शुरू नहीं हो पायी थी। तीन हजार से अधिक पैक्स–व्यापार मंडल को खरीद करनी है‚ लेकिन मात्र 200 एजेंसियों का चयन हो सका है।