औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। औरंगाबाद-दाउदनगर में आगामी 13 अगस्त को लगने वाले राष्ट्रीय लोक अदालत में सुलह-समझौते के आधार पर अधिकाधिक वादों के निष्पादन को लेकर विभिन्न सुलहनीय वादों के दो हजार पक्षकारों को नोटिस भेजा गया है।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह जिला विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष मनोज कुमार तिवारी ने प्रेसवार्ता में कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए अबतक चिन्ह्ति करीब दो हजार वादों में विभिन्न न्यायालयों द्वारा संबंधित पक्षकारों को नोटिस प्रेषित किया जा चुका है। अबतक लगभग 100 वादों में प्री-काउंसिलिंग के दौरान पक्षकारों से अपने वादों को निस्तारण हेतु सहमति प्राप्त की गयी है। करीब दो सौ वाद प्री-काउंसिलिंग के दौर में है तथा अन्य वादो को भी जल्द से जल्द प्री-काउंसिलिंग हेतु आहुत किया जा रहा है।कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत को सफल बनाने में सबका सहयोग प्राप्त करने तथा मोटर दुर्घटना में मुआवाजा से संबंधित नये नियमों के प्रति लोगो में जागरूकता लाने की जरूरत है। उन्होने राष्ट्रीय लोक अदालत एवं हाल-फिलहाल में लाए गये मोटर दुर्घटना अधिनियम पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होने राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा अबतक की गयी विभिन्न गतिविधियों की भी जानकारी दी। जिला जज ने कहा कि जो भी पक्षकार राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से अपने सुलहनीय वादों का निस्तारण कराना चाहते हैं और उन्हें कोई नोटिस प्राप्त नहीं भी होता है और वे राष्ट्रीय लोक अदालत के दिन या उसके पूर्व किसी भी कार्य दिवस में उपस्थित होकर जिला विधिक सेवा प्राधिकार में अपना आवेदन दाखिल करते हैं तो संबंधित न्यायालय से उस वाद के अभिलेख की मांग करते हुए निस्तारण की कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने आम लोगों से भी अपील किया कि 13 अगस्त को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत का अधिक से अधिक लाभ उठायें। जिला जज ने कहा कि हाल फिलहाल सड़क दुर्घटनाओं के मामलों में वृद्धि हुई है। इसमें सड़क सुरक्षा से संबंधित नियमों का अनुपालन नहीं होना एक प्रमुख कारण रहा है। साथ ही यह भी देखा गया है कि सड़क दुर्घटना के बाद कई तरह की अप्रिय घटनाएं हुई हैं और प्रशासन और लोगों के बीच नोक-झोक, सड़क जाम जैसी घटनाएं भी घटित हुई है, जिसका केंद्र बिंदु सड़क दुर्घटना के बाद मिलने वाला मुआवजा रहा है। जिला जज ने कहा कि जिला विधिक सेवा प्राधिकार इसे लेकर बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलायेगा। साथ ही सड़क सुरक्षा से संबंधित नियमों का पालन हेतु लोगो को जागरूक करेगा।
प्रेसवार्ता में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह प्राधिकार के सचिव प्रणव शंकर ने मोटर दुर्घटना नियमावली पर विस्तार से जानकारी दी। कहा कि 15 सितम्बर 2021 से बिहार मोटर गाड़ी नियमावली से संबंधित नया नियम लागू हुआ है। इसके तहत वाहन दुर्घटना जनित वादो के निष्पादन के लिए दावा न्यायाधीकरण का गठन किया गया है। साथ ही मोटर वाहन दुर्घटना के कारण किसी व्यक्ति की मृत्यु की स्थिति तथा गंभीर रूप से घायल व्यक्तियों के लिए तत्कालिक अंतरिम मुआवजा भुगतान हेतु बिहार वाहन दुर्घटना सहायता निधि का प्रावधान किया गया है। इसके तहत सचिव, जिला सड़क सुरक्षा समिति सह जिला परिवहन पदाधिकारी उक्त मद से वास्तविक देनदारों को भुगतान की कार्रवाई हेतु कार्य करेंगें। वही थानाध्यक्ष, स्वास्थ्य केन्द्र या सदर अस्पताल, मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी एवं मोटर यान निरीक्षक के प्रतिवेदन के आलोक में किसी वाहन दुर्घटना में मृत्यु होने एवं गम्भीर रूप से जख्मी होने की स्थिति में अंतरिम मुआवजा राशि भुगतान हेतु प्रतिवेदन दुर्घटना दावा जांच पदाधिकारी सह अनुमंडल पदाधिकारी को भेजते हैं। अनुमंडल पदाधिकारी की अनुशंसा के आलोक में दुर्घटना दावा मूल्यांकन पदाधिकारी सह जिला पदाधिकारी वाहन दुर्घटना में मृत्यु की स्थिति में मृतक के आश्रितों को पांच लाख रूपये तथा गंभीर रूप से जख्मी व्यक्ति को पच्चास हजार रूपये तात्कालिक अंतरिम मुआवजा प्रदान किया जाता है। यहां यह भी जानना जरूरी है कि मृतक के आश्रित का तात्पर्य विवाहित मृतक के पति-पत्नी के नहीं रहने पर संतान, एक भी संतान नहीं रहने पर माता-पिता, अविवाहित व्यक्ति की मृत्यु होने पर माता-पिता एवं अविवाहित व्यक्ति माता-पिता के जीवित नहीं रहने पर बहन एवं भाई समान रूप से हकदार होते हैं। इसके बाद बीमा कम्पनियों से मोटर दुर्घटना वाद में विधिसम्मत मुआवजा मिलने का प्रावधान है। ये समस्त प्रावधान सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा उषा देवी वगैरह बनाम पवन कुमार वगैरह में दिये गये निर्णय के आलोक में किये गये है परंतु जागरूकता और जानकारी के अभाव लोग आवेश में कई तरह की अप्रिय घटना कारित करते हैं जिससे आम जन जीवन प्रभावित होने के साथ-साथ वे स्वयं भी कई कानूनी कार्रवाईयों के शिकार होते हैं। जिला विधिक सेवा प्राधिकार लोगों से अपील करता है कि वे सड़क सुरक्षा संबंधी कानूनों का पालन करें ताकि सड़क दुर्घटना के मामलों में कमी आए। अगर वे इन मामलों के शिकार होते हैं तो बिना किसी परेशानी के उन्हें मुआवजा प्राप्त होगा। अगर मुआवजा प्राप्त होने में कोई परेशानी होती है, तो वे जिला विधिक सेवा प्राधिकार से संपर्क कर सकते हैं।