भारत में मेडिकल वैल्यू ट्रैवल को बढ़ावा देने के लिए साथ काम करेंगे आयुष मंत्रालय और ITDC

नई दिल्ली। मेडिकल वैल्यू ट्रैवल (MVT) दुनियाभर में स्वास्थ्य संबंधी असमानताओं को दूर करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसी को देखते हुए आयुष मंत्रालय ने भारत पर्यटन विकास निगम (ITDC) के साथ आयुर्वेद और चिकित्सा की अन्य पारंपरिक प्रणालियों में मेडिकल वैल्यू ट्रैवल को बढ़ावा देने के लिए एक साथ काम करने को लेकर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इस लेख में हम मेडिकल वैल्यू ट्रैवल क्या है और इसको लेकर भारत का लक्ष्य क्या है इस पर नजर डालेंगे।

समझौता ज्ञापन में क्या है
समझौता ज्ञापन के अनुसार, आयुष मंत्रालय ITDC के अधिकारियों को आयुर्वेद और चिकित्सा की अन्य पारंपरिक प्रणालियों में मेडिकल वैल्यू ट्रैवल के बारे में प्रशिक्षण प्रदान करेगा। यह ऐसे पर्यटक सर्किट की पहचान करेगा जहां आयुर्वेद और चिकित्सा की अन्य पारंपरिक प्रणालियों में मेडिकल वैल्यू ट्रैवल को बढ़ावा देने की अपार गुंजाइश हो।

नॉलेज टूरिज्म को भी बढ़ावा
आयुष मंत्रालय के सुझाव पर ITDC ‘नॉलेज टूरिज्म’ के तहत पर्यटन स्थलों में भारतीय चिकित्सा पद्धति के ऐतिहासिक विरासत स्थलों को शामिल करेगा। ITDC पर्यटकों के लिए इससे संबंधित और उपयोगी फिल्म या साहित्य विकसित कर सकता है। ITDC द्वारा चलाए जा रहे होटलों में आयुर्वेद और योग केंद्र की स्थापना भी की जायगी। आयुष मंत्रालय के सुझाव पर ITDC साथ में कार्यशालाओं का भी आयोजन करेंगे।

JWG की होगी नजर
समझौता ज्ञापन के कार्यान्वयन और प्रगति की निगरानी Joint Working Group (JWG) द्वारा की जाएगी। आयुष मंत्रालय और ITDC के प्रतिनिधि इस ग्रुप की सह-अध्यक्षता करेंगे। JWG मलेशिया, सिंगापुर और थाईलैंड आदि द्वारा अपनाई गई सर्वोत्तम मेडिकल वैल्यू ट्रैवल तौर-तरीकों की भी पहचान करेगा जिससे भारत को मेडिकल वैल्यू ट्रैवल के लिए पसंदीदा गंतव्य के रूप में प्रचारित किया जा सके।

G20 की बैठक के दौरान भी हुई चर्चा
केरल के तिरुवनंतपुरम में भारत की अध्यक्षता में G20 की हाल ही में संपन्न पहली स्वास्थ्य कार्य समूह की बैठक में G20 प्रतिनिधियों ने भारत में मेडिकल वैल्यू ट्रैवल को बढ़ावा देने के अवसरों और चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया। बैठक के समापन समारोह में नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी के पॉल ने कहा कि आयुर्वेद के क्षेत्र में देश में 23 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर है जो साफ तौर पर मेडिकल वैल्यू ट्रैवल को बढ़ावा देगी।

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क्या है मेडिकल वैल्यू ट्रैवल

वर्तमान समय में मेडिकल वैल्यू ट्रैवल शब्द यात्रा की दुनिया में काफी प्रयोग से लाया जा रहा है। इस पर्यटन में रोगी चिकित्सा उपचार प्राप्त करने के लिए किसी दूसरे देश में जाते हैं। भारत मेडिकल वैल्यू ट्रैवल के क्षेत्र में काफी मजबूत होकर आ रहा है। भारत आयुष दवाओं, आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी और होम्योपैथी का एक बड़ा केंद्र है। वर्तमान सरकार की योजना आयुष चिकित्सा पर्यटन को ‘हील इन इंडिया’ थीम के साथ आगे बढ़ाने की है। आयुष कार्यक्रम के तहत पारंपरिक दवाओं और चिकित्सा पद्धतियों को प्रोत्साहित किया जाएगा।

भारत का लक्ष्य

आयुष के माध्यम से भारत ने पारंपरिक चिकित्सा उपचार से स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई है। भारत में आयुष पारंपरिक चिकित्सा से सस्ती और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सबके लिए उपलब्ध है। इसलिए भारत में योग आयुष चिकित्सा पद्धति मेडिकल वैल्यू को बढ़ावा देने का एक माध्यम है। भारत का लक्ष्य दुनिया भर के रोगियों की सहायता हेतु चिकित्सा तथा मूल्य-आधारित स्वास्थ्य देखभाल का एक वैश्विक केंद्र बनाना है। 13 लाख से अधिक एलोपैथिक डॉक्टरों, 34 लाख नर्सों और 8 लाख आयुष (आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध व होम्योपैथी) डॉक्टरों के साथ, भारत गुणवत्तापूर्ण एवं सस्ती चिकित्सा देखभाल के माध्यम से सभी देशों के रोगियों को आवश्यक देखभाल प्रदान करेगा।

मेडिकल टूरिज्म का वैश्विक बाजार

हाल के वर्षों में भारत में मेडिकल वैल्यू ट्रैवल में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी है। ग्लोबल वेलनेस इंस्टीट्यूट (जीडब्ल्यूआई) की रिपोर्ट ‘द ग्लोबल वेलनेस इकोनॉमी: लुकिंग बियॉन्ड कोविड’ के अनुसार, ग्लोबल वेलनेस इकोनॉमी सालाना 9.9 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। आयुष आधारित हेल्थकेयर और वेलनेस अर्थव्यवस्था के 2025 तक 70 बिलियन डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है।

भारत के लिए वसुधैव कुटुम्बकम

भारत में औषध उद्योग केवल एक कारोबार नहीं है, बल्कि यह हमारी भावनाओं से भी जुड़ा हुआ है। यह केवल लाभ के उद्देश्य से नहीं है, बल्कि “वसुधैव कुटुम्बकम” के भारतीय दर्शन से भी प्रेरित है। कोरोना महामारी के दौरान भारत ने वैक्सीन मैत्री के तहत अपने पड़ोसियों और मित्र देशों के साथ ही अल्पविकसित, अविकसित देशों को वसुधैव कुटुम्बकम् के आधार पर वैक्सीन प्रदान की। कोरोना महामारी के खिलाफ भारत द्वारा किए गए प्रयासों की विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी सराहा की थी। भारत हमेशा से स्वास्थ्य के क्षेत्र में पूरी दुनिया का बड़ा मददगार साबित हुआ है।