पटना। बिहार भाजपा में बड़ा उलटफेर हुआ है। भाजपा ने बिहार के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी का पत्ता साफ करते हुए दिलीप जायसवाल को कमान सौंपी है। केंद्रीय नेतृत्व ने एक साल के भीतर ही प्रदेश अध्यक्ष के पद से सम्राट चौधरी को हटाने का फैसला ले लिया।
लोकसभा चुनाव के नतीजे और कुशवाहा वोट बैंक में विपक्ष की सेंधमारी सम्राट चौधरी के पद से हटाए जाने का मुख्य कारण माना जा रहा है। बिहार में भूमि सुधार मंत्री के रूप में काम कर रहे दिलीप जायसवाल को बीजेपी ने प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है।
कौन हैं दिलीप जायसवाल
बिहार सरकार में भूमि एवं राजस्व मंत्री दिलीप जायसवाल मूल रूप से खगड़िया जिले के रहने वाले हैं। बीजेपी के कद्दावर नेता माने जाते हैं। तीसरी बार विधान परिषद के सदस्य बने हैं। पूर्णिया-अररिया – किशनगंज क्षेत्र संख्या 23 से एनडीए प्रत्याशी के रूप में तीन बार से चुनाव जीत रहे हैं। लगातार 20 वर्षों तक बिहार प्रदेश भाजपा के कोषाध्यक्ष भी रहे हैं।
बिहार राज्य भंडारण निगम के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। जयसवाल सिक्किम भाजपा के राज्य प्रभारी और माता गुजरी विश्वविद्यालय से संबद्धमाता गुजरी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज किशनगंज के प्रबंध निदेशक भी हैं। उन्होंने 2005 से 2008 तक बिहार राज्य भंडारा निगम के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया है।
दिलीप जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के मायने
लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार में वैश्य समाज के लोगों की भाजपा से नाराजगी की खबरें आ रही थी। उस वक्त पूर्वी चंपारण में भाजपा के दिग्गज वैश्य नेताओं की बड़ी बैठक बुलाई गई थी। इसकी जिम्मेदारी भाजपा ने दिलीप जायसवाल को ही दिया था। उसी वक्त भरोसा दिलाया गया था कि लोकसभा चुनाव के बाद संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी वैश्य समाज के नेता को दी जाएगी।
दिलीप जायसवाल अतिपिछड़ा वैश्य समाज से आते हैं। बीजेपी ने बिहार में अतिपिछड़ा वोटबैंक को साधने और इसपर अपनी पकड़ मजबूत बनाकर रखने के लिए लगातार काम करती रही है। अतिपिछड़ा वोटबैंक को जोड़कर रखने के लिए दिलीप जायसवाल पर पार्टी ने भरोसा जताया है। सम्राट चौधरी से ठीक पहले इसी समाज से संजय जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था।
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