औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। लो जी-मेढ़क-मेढ़की शादी हो गई। अब तो बारिश का अभाव झेल रहे औरंगाबाद जिले में वर्षां होनी तय हो ही गया है।
ऐसा मानना औरंगाबाद जिले के हसपुरा प्रखंड के अहियापुर और अलपा गांव के ग्रामीणों का है, जिन्होंने यह शादी कराई है। पहले शादी के मजे लीजिएं। देखिएं तस्वीरों में धुमधाम से बे-लगन शादी के लिए बारात निकली है। बैंड-बाजा और डीजे भी बज रहा है। बाराती झूम भी रहे है। बारात अहियापुर गांव से निकलकर मस्ती करती अलपा गांव में आजीवन कुंआरें हनुमान जी के मंदिर में पहुंची, जहां उनका स्वागत भी हुआ और बारातियों को भोजन भी कराया गया। बाराती-सरातियों ने छक कर भोजन किया। फिर मेढ़क-मेढ़की की शादी हुई। शादी के दौरान महिलाओं ने मांगलिक गीत भी गाये। इस अनोखी शादी को देखने के लिए सैकड़ो लोगों की भीड़ उमड़ी।
मेढ़क-मेढ़की को सजा-धजाकर बनाया गया दुल्हा-दुल्हन-
शादी के लिए मेढ़क-मेढकी को सजा-धजाकर दुल्हा-दुल्हन बनाया गया। फिर अलपा गांव की तुलसी जीविका समूह की सीएम तुलसी देवी के नेतृत्व में मेंढ़क-मेढ़की की शादी कराई गई।
अहियापुर के रितेश व अलपा के भीखर ने शादी में निभाई मेढ़क-मेढ़की के पिता की भूमिका, किया समधी मिलन-
मेंढ़क-मेढ़की की शादी में विवाह की सारी रस्में भी पूरी की गईं। बारात के दौरान अहियापुर गांव से शादी के लिए लाएं गये नर मेंढ़क के पिता रितेश कुमार बने। वही अलपा की मादा मेंढ़क के पिता का रोल भिखर पासवान ने निभाया। दोनों ने समधी मिलन भी किया। शादी में मेंढ़क बने दूल्हे का स्वागत अहियापुर गांव की सरिता देवी, सुमन देवी, कौशल्या देवी एवं चंद्रमणि देवी के साथ सैकड़ों महिलाओं ने किया। वर परिछन भी किया गया। इसके बाद शादी की रस्म अदायगी की गई। ब्राह्मण की भूमिका ओमप्रकाश पंडित ने निभाई जिन्होंने मंत्रोच्चार के बीच शादी संपन्न कराया।
बारिश नही होने पर वर्षां के लिए मेंढ़क-मेढ़की की शादी कराने की परंपरा-
गांवों में यह पुरानी मान्यता हैं कि बारिश नही होने पर मेढ़क-मेढ़की की शादी कराने से वर्षा होने लगती है। इसी पुरानी मान्यता का अनुसरण करते हुए वर्षा नही होने से परेशान हसपुरा प्रखंड के अहियापुर एवं अलपा गांव के ग्रामीणों ने मेंढ़क-मेढ़की की शादी धूमधाम से संपन्न कराई। अब देखना यह है कि बारिश कब होती है। फिलहाल तो औरंगाबाद के आसमान में बारिश के आसार नजर नही आ रहे है।