पटना (लाइव इंडिया न्यूज18 ब्यूरो)। मगध विश्वविद्यालय में करोड़ों रुपये की अनियमितता को लेकर विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) ने सोमवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए विश्वविद्यालय के चार पदाधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया। इन सभी के खिलाफ ३० करोड़ रुपये से अधिक की गड़बड़ी में विश्वविद्यालय के कुलपति ड़ॉ. राजेन्द्र प्रसाद के साथ आपराधिक षड़यंत्र में शामिल होने के सबूत पाये गये हैं।
गिरफ्तारी के बाद सभी पदाधिकारियोें को निगरानी की विशेष न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। एसवीयू ने जिन लोगों को अपनी गिरफ्त में लिया‚ उनमें मगध विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो. पुष्पेन्द्र प्रसाद वर्मा‚ प्रॉक्टर प्रो. जयनंदन प्रसाद सिंह‚ पुस्तकालय प्रभारी प्रो. विनोद कुमार और कुलपति ड़ॉ. राजेंद्र प्रसाद के आप्त सचिव सह असिस्टेंट रहे सुबोध कुमार शामिल हैं।
मालूम हो कि एसवीयू ने मगध विश्वविद्यालय में ३० करोड़ रुपये से अधिक की गड़बड़ी को लेकर प्राथमिकी दर्ज करने के बाद १७ नवम्बर को कुलपति के बोधगया स्थित आवास‚ कार्यालय और गोरखपुर स्थित ठिकानों पर छापेमारी की थी। इन ठिकानों की तलाशी लिये जाने पर ९५ लाख रुपये नगद‚ विदेशी मुद्रा तथा जमीन के कागजात मिले थे। फिलहाल कुलपति मेडि़कल लिव पर हैं। एसवीयू के मुताबिक‚ मगध विश्वविद्यालय में उत्तर पुस्तिका‚ पुस्तक और गार्ड़ की प्रतिनियुक्ति आदि के नाम पर ३० करोड़ रुपये से अधिक की गड़बड़ी पाई गई है। जांच के दौरान संलिप्तता के साIय मिलने के बाद चार पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया गया।
सोमवार को एसवीयू ने इन्हें पूछताछ के लिए बुलाया था। घंटों की गयी पूछताछ में चारों पदाधिकारियों ने एसवीयू के सवालों का सही ढंग से जवाब नहीं दिया‚ जिसके बाद देर शाम सभी को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तार किये गये प्रो. पुष्पेन्द्र प्रसाद वर्मा मगध विश्वविद्यालय के साथ आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के भी रजिस्ट्रार हैं। इनपर कुलपति के इशारे पर फर्जी भुगतान करने का आरोप है। वहीं‚ पुस्तकालय प्रभारी प्रो. विनोद कुमार पर ई–लाइब्रेरी के नाम पर फर्जी तरीके से मोटी राशि खर्च करने का आरोप है‚ जबकि प्रोक्टर प्रो. जयनंदन प्रसाद सिंह को विश्वविद्यालय की सुरक्षा के लिए निजी गार्ड़ की प्रतिनियुक्ति में हुए घपले को लेकर गिरफ्तार किया गया है।
असिस्टेंट सुबोध कुमार एसवीयू द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में नामजद हैं। सूत्रों के मुताबिक मगध विश्वविद्यालय के कुलपति ड़ॉ. राजेंद्र प्रसाद के खिलाफ हुई कार्रवाई के बाद भी ये सक्रिय थे और उनके इशारे साIय को प्रभावित करने की साजिश में लगे थे।
(आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं. व्हाट्सएप ग्रुप व टेलीग्राम एप पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें. Google News पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें)