नई दिल्ली (विद्या भूषण शर्मा)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आज मन की बात कार्यक्रम के दौरान देश भर में किसानों ने थाली बजाकर मन की बात कार्यक्रम का विरोध किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब रविवार को साल 2020 की आखिरी ‘मन की बात’ कर रहे थे, तो उसी समय दिल्ली की सीमाओं समेत पूरे देश में कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान ताली-थाली बजा रहे थे। गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने ‘मन की बात’ शुरू होते ही हाथों में ड्रम और थालियां लेकर बजाना शुरू कर दिया। किसानों का कहना है कि, मोदी जी के ‘मन की बात’ का हम विरोध करते हैं। सरकार जब तक कानून वापस नहीं लेती, हम इसी तरह प्रधानमंत्री का विरोध करते रहेंगे।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रिय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि, जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि कोरोना थाली बजाने से भागेगा, उसी तरह किसानों ने भी थाली बजाया ताकि कृषि कानूनों को भगाया जाए। उन्होंने आगे कहा कि अब बस सरकार के लिए सुधार संकेत है कि सरकार जल्द सुधर जाए। 29 दिसंबर को हम सरकार के साथ मुलाकात करेंगे। वहीं नया साल सबके लिए शुभ हो और मोदी जी भी कानून वापस ले लें तो हम किसान भाइयों के लिए भी शुभ हो। किसानों ने 29 दिसंबर को सरकार के साथ बातचीत करने का प्रस्ताव रखा है। वहीं, इस वार्ता में 4 मुद्दों का एजेंडा भी तय किया गया है। इसके साथ ही किसानों ने आंदोलन की आगे की रूपरेखा भी तय कर दी है। अगर बातचीत बेनतीजा रही तो आंदोलन औरतेज होगा।
दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसान आज और कल यानी कि 27 और 28 दिसंबर को गुरु गोविंद सिंह के बेटे का शहीदी दिवस मनाएंगे। 29 दिसंबर को किसान 11 बजे सरकार से बात करने जाएंगे। अगर बात नहीं बनी तो 30 तारीख को किसान ट्रैक्टर से सिंघु से लेकर टिकरी और शाहजहांपुर बॉर्डर तक मार्च करेंगे। 31 और 1 तारीख को किसानों ने लोगों को सिंघु बॉर्डर पर बुलाया है। किसानों ने कहा है कि लोग लंगर खाने और किसानों के साथ नया साल मनाने के लिए सिंघु बॉर्डर पर आएं।