सीपीआई नेताओं की कन्हैया को मनाने की कोशिशें हुई नाकाम
पटना(आरती शर्मा)। मार्क्सवाद के रास्ते छात्र व फिर शुरुआती जीवन को आगे बढ़ाने वाले जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष व सीपीआई नेता कन्हैया कुमार अब गांधी के रास्ते आगे की राजनीति करेंगे। कन्हैया कुमार 28 सितंबर को कांग्रेस का हाथ थाम लेंगे। वे कांग्रेस नेता व पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के समक्ष वे कांग्रेस में शामिल होंगे।
कांग्रेस में उनके जाने की चर्चा पिछले एक माह से अधिक समय से चल रही है। कन्हैया कुमार के साथ गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी के भी कांग्रेस में जाएंगे। बताया जा रहा है कि राहुल गांधी मिशन 2024 को लेकर तैयारियों में जुटे हैं और उसी का हिस्सा युवा व मोदी के खिलाफ मुखर चेहरों को पार्टी में शामिल करना है।
कन्हैया के कांग्रेस में शामिल होने की स्थिति में बिहार में कांग्रेस को युवा चेहरा मिलेगा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ पिछले दिनों कन्हैया कुमार की मुलाकात हुई थी। इसके बाद प्रियंका गांधी से कन्हैया के मुलाकात की खबर है।
सूत्रों के अनुसार कन्हैया और जिग्नेश को कांग्रेस में शामिल कराने के लिए गुजरात प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल, जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष व कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शकील अहमद खान समेत आधा दर्जन से अधिक कांग्रेसी जो कन्हैया के नजदीक है वे मध्यस्थता कर रहे हैं। वहीं कन्हैया को पार्टी में रोकने को लेकर भी सीपीआई का नेतृत्व लगा है। सीपीआई की राष्ट्रीय सचिव अमरजीत कौर व महासचिव डी राजा लगातार कन्हैया को पार्टी में बने रहने के लिए प्रयास कर रहे हैं। 16 सितंबर को कन्हैया कुमार के कांग्रेस में जाने की खबर को भाकपा के महासचिव डी. राजा ने खारिज किया था। उन्होंने कहा था कि कन्हैया पूरी मजबूती के साथ पार्टी के साथ जुड़े हैं।
कन्हैया को पार्टी नहीं छोड़ने के लिए बिहार सीपीआई विधायक दल के नेता रामरतन सिंह और विश्वजीत कुमार सहित कई नेता लगातार बात कर रहे हैं। हालांकि सूत्रों की माने तो कन्हैया ने कांग्रेस में शामिल होने का निर्णय ले लिया है। वहीं कन्हैया को कांग्रेस में राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी जिम्मेदारी मिलने की संभावना है।
वर्ष 2019 में बेगूसराय लोकसभा सीट से कन्हैया कुमार सीपीआई के प्रत्याशी थे। यहां राजद ने भी अपना उम्मीदवार दिया था। कन्हैया लगभग 4.5 लाख वोट से भाजपा नेता गिरिराज सिंह से चुनाव हार गए थे। लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद से हीं कन्हैया का पार्टी के अंदर संघर्ष शुरू हो गया था। अब बताया जा रहा है कि कन्हैया के साथ पार्टी के छात्र विंग एआईएसएफ के राष्ट्रीय सचिव सुशील कुमार व बिहार के राज्य सचिव रंजीत पण्डित के अलावा कन्हैया के बहुत खास छात्र नेता भी 28 सितम्बर को कांग्रेस के हाथ का साथ देंगे।