जयंती विशेष : वन्देमातरम् गीत के रचयिता बंकिमचंद्र चटर्जी की जयंती आज

स्वतंत्रता आंदोलन के दौराम वंदेमातरम् गीत ने जनमानस में राष्ट्रीयता की अलख जगाई थी। आज भी राष्ट्रीय गीत सुनकर, प्रत्येक भारतीय गर्वित अनुभव करता है। इसी राष्ट्रीय गीत के रचयिता बंकिमचंद्र चटर्जी की आज जयंती है। अपने गीत से उन्होंने शस्यश्यामला भारत भूमि की अर्चना की। बंकिमचंद्र चटर्जी को प्रख्यात उपन्यासकार, कवि, गद्यकार और पत्रकार के रूप में जाना जाता है। वे बांग्ला के अतिरिक्त, दूसरी भाषाओं पर भी समान अधिकार रखते थे। उन्हें लोग बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय के नाम से भी जानते हैं। आइये, राष्ट्रीय गीत के रचयिता की जीवन यात्रा का परिचय पाते हैं।

पश्चिम बंगाल में जन्मे बंकिमचंद्र

बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय का जन्म, 27 जून, 1838 को पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के, कांठलपाड़ा ग्राम में हुआ। वे एक समृद्ध और परंपरागत बंगाली परिवार में जन्मे थे। उन्होंने मेदिनीपुर में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की। इसके बाद बंकिम चंद्र चटर्जी ने हुगली के एक महाविद्यालय में प्रवेश लिया। किताबों के प्रति बंकिम चंद्र चटर्जी की रुचि बचपन से ही थी। वे पहले आंग्ल भाषा की ओर भी आकृष्ट थे, पर बाद में उन्हें अपनी मातृभाषा के प्रति लगाव उत्पन्न हुआ। वे एक मेधावी व मेहनती छात्र थे। पढ़ाई के साथ- साथ खेलकूद में भी उनकी रुचि थी। वर्ष 1856 में उन्होंने कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में प्रवेश लिया। वे पहले भारतीय थे जिन्होंने उस दौर में प्रेसीडेंसी कॉलेज से, बीए की उपाधि ग्रहण की। उन्होंने कानून की भी पढ़ाई की। वर्ष 1858 में डिप्टी मजिस्ट्रेट का पदभार संभाला।

साहित्य की ओर ऐसे हुए उन्मुख

बंकिमचंद्र चटर्जी को बंगला और संस्कृत साहित्य की अच्छी जानकारी थी। सरकारी नौकरी में रहते हुए, उन्होंने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारतीयों पर अंग्रेजों के दमनचक्र को बहुत नजदीक से देखा था। सरकारी नौकरी में होने के कारण बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय किसी सार्वजनिक आन्दोलन में प्रत्यक्षतः भाग नहीं ले सकते थे, पर उनका मन कचोटता था। इसलिए उन्होंने साहित्य के माध्यम से, स्वतंत्रता आन्दोलन में अपना योगदान देने का संकल्प लिया। बंकिम चंद्र चटर्जी कविता और उपन्यास दोनों लिखते थे। वे दोनों ही विधाओं में न केवल पारंगत बने, बल्कि अपनी बेहतरीन रचनाओं से भारतीय साहित्य को समृद्ध किया। साल 1865 में उनकी प्रथम बांग्ला कृति दुर्गेशनंदिनी प्रकाशित हुई। उनकी अन्य रचनाओं में मृणालिनी,विषवृक्ष, चंद्रशेखर, रजनी, देवी चौधरानी और राजसिंह प्रमुख है।

आनंदमठ से लिया गया वन्देमातरम् गीत

राष्ट्रीय गीत वन्देमातरम् की रचना बंकिमचंद्र चटर्जी ने अपने उपन्यास आनंदमठ में की थी। यह उपन्यास वर्ष 1882 में प्रकाशित हुआ। आनंदमठ में ईस्ट इंडिया कंपनी से वेतन के लिए लड़ने वाले भारतीय मुसलमानों और संन्यासी ब्राह्मण सेना का वर्णन किया गया है। वन्देमातरम् गीत इतना लोकप्रिय था कि, स्वयं गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने इसका संगीत तैयार किया। बंकिमचंद्र चटर्जी की रचनाओं के अनुवाद दुनिया की कई भाषाओं में हुए। उनकी कई रचनाओं पर फिल्में भी बनीं। शासकीय सेवा में रहते हुए भी, उन्होंने स्वातंत्र्य चेतना जागृत करने में, अपनी महती भूमिका निभाई। 08 अप्रैल वर्ष 1894 को बंकिमचंद्र चटर्जी का निधन हो गया।