कोविड-19 मरीजों के अस्पताल में इलाज को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने किये अहम बदलाव

नई दिल्ली(विद्या भूषण शर्मा)। देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच केंद्र सरकार ने शनिवार को कोविड-19 मरीजों के इलाज को लेकर कई अहम बदलाव किए हैं, जिसके बाद अब मरीजों को अस्पताल में भर्ती करवाए जाने के लिए कोविड-19 की पॉजिटिव रिपोर्ट की जरूरत नहीं होगी। पहले अस्पतालों में भर्ती करवाने के लिए कोविड पॉजिटिव रिपोर्ट या फिर सीटी-स्कैन की जरूरत होती थी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस बारे में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रमुख सचिवों को निर्देश दिया है, जिसके अनुसार अगले 3 दिनों के भीतर इस नई नीति को अमल में लाने को कहा गया है।

केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुसार, सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के अस्पतालों में निजी अस्पतालों (राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उपलब्ध) में COVID मरीजों का प्रबंधन निम्नलिखित रूप में होगा:

1) स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, ”यदि कोरोना का संदिग्ध मामला होता है तो उसे सीसीसी, डीसीएचसी या डीएचसी वॉर्ड में भर्ती किया जाए। अस्पताल या सेवा केंद्र में भर्ती होने के लिए कोविड रिपोर्ट की जरूरत नहीं है।

2) किसी भी मरीज को सर्विस देने के लिए इनकार नहीं किया जा सकता। इसमें ऑक्सीजन या आवश्यक दवाएं भी शामिल हैं, भले ही मरीज किसी दूसरे शहर का ही क्यों न हो।”

3) किसी भी मरीज को इस आधार पर प्रवेश देने से मना नहीं किया जा सकता कि उसके पास उस शहर का वैलिड आईडी कार्ड नहीं है, जहां पर अस्पताल स्थित है। अस्पताल में एंट्री जरूरत के हिसाब से होगी।

कोई पहचान पत्र न रखने वाले लोगों का भी होगा टीकाकरण

इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोई पहचान पत्र न रखने वाले लोगों का भी टीकाकरण करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके मुताबिक ऐसे लोगों का को-विन पोर्टल पर पंजीकरण किया जाएगा और उनके टीकाकरण के लिए विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे। इन लोगों की पहचान करने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी। बताना चाहेंगे कि सरकार के इस कदम का फायदा सीधे तौर पर उन नागरिकों को होगा, जिनके पास कोई भी पहचान पत्र नहीं है।

स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देश में कहा गया है कि होम आइसोलेशन में लगातार 10 दिनों तक रहने और लगातार तीन दिनों तक बुखार न आने की स्थिति में मरीज होम आइसोलेशन से बाहर आ सकते हैं और उस अवस्था में उसे टेस्टिंग की जरूरत नहीं है।

इन दिशानिर्देशों के मुताबिक स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा मरीज की स्थिति को हल्का या बिना लक्षण वाला केस तय किया जाना चाहिए। ऐसे मामले में मरीज के सेल्फ आइसोलेशन की उनके घर पर व्यवस्था होनी चाहिए। मरीज जिस कमरे में रहते हों उसका आक्सीजन सैचुरेशन भी 94 फीसदी से ज्यादा होना चाहिए और उसमें वेंटिलेशन की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए।