2024 में केंद्र की सत्ता से भाजपा को हटाना सीपीआई की पहली प्राथमिकता: पल्लव सेन गुप्ता

पटना। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यक्रम पर शनिवार को जनशक्ति भवन में व्याख्यान आयोजित किया गया। पार्टी के राष्ट्रीय सचिव एवं विश्वशांति परिषद् के नवनिर्वाचित अध्यक्ष कामरेड पल्लव सेनगुप्ता ने भारत में जनवादी क्रांति के कार्यभार और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यक्रम पर व्याख्यान देते हुए मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व विधान पार्षद वशी अहमद, ने की।

व्याख्यान को राज्य सचिव कॉमरेड रामनरेश पाण्डेय, राज्य सचिव मंडल सदस्य रामबाबू कुमार आदि ने संबोधित किया। इस मौके पर राज्य सचिव मंडल सदस्य रामलाला सिंह, विजय नारायण मिश्रा राज्य कार्यकारिणी सदस्य रवींद्रनाथ राय, गजनफर नबाब, जितेंद्र कुमार, अजय कुमार, संजय चैधरी, इरफान अहमद, अधिवक्ता उदय प्रताप सिंह, सहित बड़ी संख्या में पार्टी के नेता व कार्यकर्ता मौजूद थे।

व्याख्यान को संबोधित करते हुए कॉमरेड पल्लव सेन गुप्ता ने कहा कि सीपीआई का संघर्षो का इतिहास है। पार्टी को मजबूत करना है। जन सवालों को लेकर संघर्ष तेज किया जाएगा। सीपीआई की पहली प्राथमिकता 2024 में केंद्र से भाजपा नेतृत्व वाली मोदी सरकार को हटाना है। इस दिशा में पार्टी कार्य कर रही है। पूंजीवाद संकट के दौर से गुजर रहा है और भविष्य समाजवाद का है।

मंहगाई आमान छू रही है। पेट्रोल-डीजल की कीमत में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। जिसका असर आम उपभोक्ता वस्तुओं पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में अर्थव्यवस्था चैपट हो गई है। डॉलर के मुकाबले रुपये लगातार कमजोर हो रहा है। पूंजीपतियों के कर्ज माफ किया जा रहे। पूंजीपतियों को दिए गए दस लाख करोड़ रुपये के कर्ज को बट्टे खाते में डाल दिया गया है। मोदी सरकार में पूंजीपतियों की पूंजी लगातार बढ़ रही है तो गरीब और गरीब होते जा रहे हैं। मोदी सरकार अडानी समूह द्वारा किये गए धोखाधड़ी मामले की जांच संसद की संयुक्त समिति से कराने से भाग रही है। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा है। खाद की कीमत लगातार बढ़ती जा रही है। मोदी सरकार पूरी तरह किसान विरोधी है।

भाजपा-आरएसएस गठबंधन कारपोरेट घरानों द्वारा समर्थित हिंदू राष्ट्र के अपने सांप्रदायिक फासीवादी एजेंडे को लागू करने के लिए आक्रामक है। कारपोरेट साम्प्रदायिक फासीवाद देश की एकता और विविधता को खतरे में डाल रहा है। यह स्पष्ट है कि संविधान और धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को नष्ट करने के आरएसएस के नापाक मंसूबे को एक सतत राजनीतिक, वैचारिक और सामाजिक चुनौती केवल कम्युनिस्ट ही दे रहे है। सीपीआई ने आरएसएस-भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए लोकतांत्रिक और प्रगतिशील ताकतों का एक व्यापक गठबंधन बनाने और आजीविका के मुद्दों पर जन संघर्षों को तेज करने और आगे बढ़ने का आह्वान किया है।