किसान बिल के खिलाफ 25 को भारत बंद का समर्थन देगी सीपीआई-सीपीएम

पटना। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी एवं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के बिहार राज्य सचिवमंडल ने 25 सितंबर के किसान बिल के खिलाफ भारत बंद को अपना समर्थन दिया है।

आज जारी बयान में सीपीआई के प्रभारी राज्य सचिव रामनरेश पांडेय व सीपीएम के राज्य सचिव अवधेश कुमार ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रहनुमाई वाली भाजपा-नीत एनडीए सरकार ने किसान विरोधी विधेयकों को राज्य सभा द्वारा पारित कराने में जिस प्रकार की जल्दबाजी दिखायी और अलोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनायी वह सर्वथा निंदनीय है और संसदीय लोकतंत्र की घोर अवमानना है।

12 राजनीतिक दलों के प्रायः 100 सांसदों द्वारा उक्त किसान विरोधी विधेयकों को प्रवर समिति के हवाले करने की मांग को ठुकराकर सत्ता पक्ष के इशारे पर उपसभापति ने जिस जल्दबाजी में ध्वनिमत से विधयेकों के पारित होने का एलान किया उसके स्वाभाविक नतीजे के तौर पर सदन में अभूतपूर्व हो-हल्ला और हंगामें का जो परिदृष्य बना वह लोकतंत्र को शर्मषार करने वाला था। ऊपर से आग में घी डालते हुए उप सभापति ने सरकारी शह पाकर आठ सांसदों को निलंबित कर दिया जो धरना पर बैठने को विवष हुए।

सीपीआई राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय व सीपीआईएम राज्य सचिव अवधेश कुमार।
सीपीआई राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय व सीपीआईएम राज्य सचिव अवधेश कुमार।

जो किसान विरोधी विधेयक इस प्रकार की अलोकतांत्रिक प्रक्रिया अपना कर पारित घोषित किये गये वे किसानों को कंगाल और कम्पनीदारों, देशी-विदेशी काॅरपोरेट घरानों को मालामाल करने की सरकारी नीतियों के दस्तावेज हैं। इससे किसानों की निर्भरता कंपनियों पर बढ़ जायेगी, कंट्रैक्ट फार्मिंग छोटे-मझोले किसानों को अपनी ही जमीन पर मजदूर बना देगी, आम लोगों की खाद्य सुरक्षा व जन वितरण प्रणाली ध्वस्त हो जायेगी, फसलों की न्यूनतम निर्धारित कीमत की गारंटी समाप्त हो जायेगी। कुल मिलाकर ये विधयेक किसानों की कंगाली और कृषि के कंपनीकरण (नये किस्म की जमींदारी) का वायस बनेंगे।

इसके प्रतिरोध में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति में शामिल सैकड़ों किसान संगठनों द्वारा आगामी 25 सितम्बर को आहुत अखिल भारतीय बंद/ हड़ताल को सक्रिय समर्थन देने का एलान करते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव रामनरेष पाण्डेय एवं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव अवधेश कुमार ने अपने कार्यकत्र्ताओं, हमदर्दों एवं आम जनता का आह्वान किया है कि भारत के संपूर्ण ग्रामीण जीवन और कृषि को घने अंधेरे के गर्तमें ले जाने वाले इन काले विधयेकों की फौरन वापसी की मांग को लेकर किसान संगठनों के साथ सड़कों पर उतरें और उसे सफल बनायें।