पटना(लाइव इंडिया न्यूज18 ब्यूरो)। पटना हाईकोर्ट ने जाति आधारित गणना को रोकने की याचिका खारिज की याचिका को खारिज कर दी है। कोर्ट लगभग 25 दिन बाद इसका फैसला सुनाया है।
जातीय जनगणना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए यह कहा है कि- राज्य सरकार जातीय जनगणना करवा सकती है। दरअसल, जातिगत जनगणना का काम जनवरी 2023 से शुरू हुआ था। इसे मई तक पूरा किया जाना था, लेकिन हाई कोर्ट के रोक के बाद फिलहाल यह 80% ही पूरा हो पाया है।
पटना हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस पार्थ सार्थी की खंडपीठ नेलगातार 3 से 7 जुलाई तक पांच दिनों तक इस मामले में याचिकाकर्ता और बिहार सरकार की दलीलें सुनीं थी। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया था।
अब कोर्ट ने इस मामले में अपना बड़ा फैसला सुनाया है। आपको बताते चलें कि, बिहार में जाति आधारित गणना की शुरुआत सात जनवरी से हुई थी। पहले फेज का काम पूरा होने के बाद दूसरे फेज का काम 15 अप्रैल से किया जा रहा था। जाति आधारित गणना का काम पूरा होने से पहले चार मई को पटना हाईकोर्ट ने अपने एक अंतरिम आदेश में जाति आधारित गणना पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दिया था। इसका करीब 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है।