1 दिसंबर से शुरू होगा मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के लिए आवेदन, जानिए कितने लोगों को मिलेगा अनुदान

पारंपरिक व्यवसाय और स्टार्टअप में होता है अंतर : संदीप पौण्डरीक

स्टार्टअप के विस्तार की अनंत संभावनाएंः संदीप पौण्डरीक

पटना(लाइव इंडिया न्यूज18 ब्यूरो)। उद्योग विभाग के प्रधान सचिव संदीप पौण्डरीक की अध्यक्षता में विभाग की विभिन्न योजनाओं की समीक्षात्मक बैठक अधिवेशन भवन में आयोजित की गई जिसमें मुख्यमंत्री उद्यमी योजना, बिहार स्टार्टअप योजना, जिला नवप्रवर्तन योजना, खाद्य प्रसंस्करण उन्नयन योजना, हैंडलूम एवं रेशम प्रक्षेत्र की योजनाएं आदि की विस्तार से जिलावार समीक्षा की गई। प्रधान सचिव संदीप पौण्डरीक ने बैठक में बताया कि वर्ष 2022-23 के लिए मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के लाभुकों के चयन हेतु अगले चरण के आवेदन की प्रक्रिया 1 दिसंबर 2022 से प्रारंभ होगी।

Sandeep Paundrik ias bihar

इस वर्ष 8000 लाभुकों को इस योजना के तहत चयनित किया जाएगा और उन्हें 10 लाख रुपए तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी जिसमें ₹5 लाख ऋण के रूप में और ₹5 लाख अनुदान के रूप में होगा। कुल 8000 उद्यमियों में से 5000 उद्यमी पिछले साल की तरह ही चयनित किए जाएंगे जबकि टेक्सटाइल, लेदर और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में में उद्योग लगाने हेतु 2000 नए उद्यमियों का चयन किया जाएगा। योजना के तहत 1000 ऐसे उद्यमी भी चयनित किए जाएंगे जो बियाडा द्वारा नव विकसित औद्योगिक शेड में टेक्सटाइल, लेदर या खाद्य प्रसंस्करण की यूनिट लगाना चाहेंगे।

उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने के लिए लाभुकों का चयन किया जाएगा । आवेदन के समय आवेदक का चालू खाता और जीएसटी का होना अनिवार्य नहीं है। लेकिन चयनित होने के बाद आवेदक को अपना चालू खाता बैंक में खोलना होगा और जीएसटी निबंधन कराना होगा, तभी उन्हें योजना के तहत पहली किस्त की राशि का भुगतान किया जाएगा।

उद्योग विभाग द्वारा बिहार स्टार्टअप के संबंध में वेबिनार का आयोजन भी किया गया जिसकी अध्यक्षता विभाग के प्रधान सचिव संदीप पौण्डरीक ने की। वेबिनार में पारंपरिक बिजनेस और स्टार्टअप के बीच के फर्क को बताया गया । विशेषज्ञों ने बताया कि पुराने तरीके से चलने वाले व्यवसाय जिसका मूल उद्देश्य प्रोडक्शन और उसकी मार्केटिंग जैसे आटा चक्की मसाला उद्योग या कोई अन्य परंपरागत सर्विस हो जिसका उद्देश्य लाभ कमाना है, वह पारंपरिक बिजनेस की श्रेणी में आता है जबकि स्टार्टअप में इनोवेशन का इस्तेमाल करके बाजार में पहले से मौजूद चीजों में सुधार करते हुए नए तरीके से काम किया जाता है।

मोबाइल ऐप से खाना मंगवाना या खेती में ड्रोन का इस्तेमाल करना इनोवेशन और क्रिएटिविटी के कुछ उदाहरण हैं। स्टार्टअप के लिए नयापन और क्रिएटिविटी बहुत आवश्यक होता है। स्टार्टअप का आईडिया यूनिक होना चाहिए जिसे अभी तक कोई जानता नहीं हो और जिस पर अभी तक ज्यादा काम नहीं हुआ है। स्टार्टअप में शुरुआत में बढ़ने की दर धीमी रहती है। इसमें बिजनेस मॉडल को तैयार करने और उसको टेस्ट करने में समय लगता है। मॉडल बन जाने के बाद भी इसे देश और दुनिया भर में पेश करने और सक्षम होने में समय लगता है। इसलिए शुरुआत में इसकी वृद्धि की दर पारंपरिक व्यवसाय की तुलना में कम होती है। पर स्टार्टअप धीरे-धीरे दुनिया भर में आसमान छूने लगता है। स्टार्टअप में आगे बढ़ने के लिए आधुनिक तकनीक की अहम भूमिका होती है। आधुनिक तकनीक के सहारे स्टार्टअप अपने उत्पाद और सर्विस को दूसरों से भिन्न बनाते हैं तथा कम लागत में तेजी से विकास कर पाते हैं।

स्टार्टअप को शुरुआत से ही प्लानिंग और स्ट्रेटजी बनानी पड़ती है। स्टार्टअप में तकनीकी विकास, बिजनेस डेवलपमेंट, मैनेजमेंट के लिए लोगों की जरूरत पड़ती है।टीम की जरूरत होती है। जैसे ही कंपनी विकसित होने लगती है, इसमें अधिकाधिक कर्मचारियों और संबंधित लोगों को अपने साथ जोड़ना होता है। स्टार्टअप में नयापन होता है और विश्व स्तर पर कंपनी के पहुंचने की संभावना रहती है। उद्योग विभाग के प्रधान सचिव संदीप पौण्डरीक ने बताया कि बिहार स्टार्टअप नीति-2022 के तहत सरकार द्वारा चयनित स्टार्टअप को 10 साल के लिए ₹10 लाख की रकम बिना ब्याज के देने का प्रावधान किया गया है। महिला उद्यमियों के स्टार्टअप को सीडफंड के रूप में 10 लाख 50 हजार तक की राशि दी जाती है जबकि अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति तथा दिव्यांग जनों को सीडफंड के रूप में ₹11,50,000 तक देने का प्रावधान किया गया है।