- गर्भकाल के दौरान समय पर जांच न करने से गर्भवती महिलाओं में बढ़ सकती हैं स्वास्थ्य संबंधित समस्यायें
- प्रसव पूर्व जांच के दौरान हाई रिस्क प्रेगनेंसी के मामलों को चिह्नित कर दी जाती है उचित सलाह और दवायें
आरा | बिहार विकास मिशन अंतर्गत मातृ-मृत्यु दर में कमी लाने के लिए राज्य सरकार गंभीर है। राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग की सार्थक पहल का ही परिणाम है कि आज मातृ-मृत्यु दर में लगातार कमी आ रही है। जिसकी सफलता का कारण है संस्थागत प्रसव के साथ-साथ जिले में प्रसव पूर्व जांच को बढ़ावा देना। गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच यानी एंटी नेटल केयर (एएनसी) बहुत जरूरी है। इसके लिए सभी सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ आंगनबाड़ी केंद्रों पर आरोग्य दिवस का आयोजन होने के साथ-साथ एएनएम, आशा कार्यकर्ताओं व आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविकायें घर-घर जाकर गर्भवती महिलाओं को इसके लिये प्रेरित करती हैं। प्रसव के पहले ही संभावित जटिलता का पता चल जाता है, जिससे प्रसव के दौरान होने वाली परेशानियों में काफी कमी भी आती है और इससे होने वाली मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में भी कमी आती है। गर्भावस्था की संपूर्ण अवधि के दौरान कम से कम चार बार एएनसी जरूरी है।
जांच से हाई रिस्क प्रेगनेंसी के मामलों को चिह्नित किया जाता है :
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. केएन सिन्हा ने बताया, प्रसव पूर्व जांचों को कराना इसलिए भी जरूरी है ताकि समय से पता चल सके कि मां और बच्चे कितने स्वस्थ हैं। प्रसव पूर्व होने वाली जांचों से गर्भावस्था के समय होने वाले जोखिम को पहचानने, गर्भावस्था के दौरान रोगों की पहचान करने और उसकी रोकथाम करने में आसानी होती है। इन जांचों से हाई रिस्क प्रेग्नेंसी (एचआरपी) के मामलों को चिह्नित किया जाता है, फिर उनकी उचित देखभाल की जाती है। प्रसव पूर्व जांचों में मुख्यतः खून, रक्तचाप और एचआईवी की जांच की जाती है। एएनसी से गर्भावस्था के समय होने वाली जटिलताओं का पहले ही पता चल जाता है। गर्भावस्था के दौरान अगर मां को कोई गंभीर बीमारी होती है जैसे एचआईवी, तो समय रहते भ्रूण को बीमारी से बचाया जा सकता है। एनीमिक होने पर प्रसूता का सही इलाज किया जा सकता और भ्रूण की सही स्थिति का पता लगाया जा सकता है।
बच्चे को जन्म देने के साथ जरूरी है महिला का स्वस्थ रहना :
इस अभियान का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ उन्हें बेहतर परामर्श देना है। बेहतर पोषण गर्भवती महिलाओं में खून की कमी को होने से बचाता है। एक महिला के लिए स्वस्थ बच्चे को जन्म देने के साथ ही जरूरी है कि वह भी स्वस्थ रहे। ऐसी स्थिति में मां की सही समय पर प्रसव पूर्व जांच होना आवश्यक है जिससे मां व बच्चा दोनों स्वस्थ रहें और समय रहते दोनों की जान बचाई जा सके। इसलिये जांच के बाद चिह्नित एनीमिक महिलाओं को आयरन फोलिक एसिड की दवा दी जाती है और उन्हें हरी साग- सब्जी, दूध, सोयाबीन, फल, भूना हुआ चना एवं गुड़ खाने की सलाह दी जाती। साथ ही, गर्भावस्था के आखिरी दिनों में कम से कम चार बार खाना खाने को कहा गया। जिससे उनके साथ उनके गर्भस्थ शिशु का स्वास्थ्य बेहतर और मजबूत हो सके।