औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। बिहार विधानसभा में शराब की बोतलों की बरामदगी का मामला अभी थमा भी नही हैं कि औरंगाबाद के सदर अस्पताल में शराब की खाली बोतलों के मिलने से सनसनी मच गयी है।
शराब की ये बोतले सदर अस्पताल में इंट्री करते ही स्लिप काउंटर के कर्कट के उपर साफ दिख रही है। शराब की ये हरी हरी बोतले चीख चीख कर कह रही है कि अस्पताल में हमारा सेवन करने वाले लोग मौजूद है। निःसंदेह शराब का सेवन करने वाले लोग यहां आने वाले मरीज और उनके परिजन तो नही होगे। ऐसे में तिरछी नजर तो यहां काम करने और रात में ङ्यूटी के दौरान रातों को रंगीन बनाने वाले कर्मियों पर ही जाती है या इसके सेवनकर्ता दिन के उजाले में भी शराब का सेवन करने वाले यहां के कर्मी भी हो सकते है। इस बात को इससे भी बल मिलता है कि सदर अस्पताल के सरकारी एम्बुलेंस को चलाने वाला ड्राईवर धर्मेंद्र अपने औरंगाबाद शहर के टिकरी रोड स्थित घर से शराब के साथ हाल में ही पकड़ा गया था। उसके घर से शराब से भरी 65 बोतले मिली थी। अस्पताल के कर्मी के घर से शराब मिलने का भी यह साफ संकेत है कि सदर अस्पताल में पिय्यकड़ों की कमी नही है, जो नीतीश सरकार की पूर्ण शराबबंदी की नीति को ताक पर रखकर शराब गटकने में लगे है।
सदर अस्पताल में एक दर्जन से अधिक शराब की हरी हरी खाली बोतलों के नजर आने पर जब वहां पर मौजूद गार्ड से पूछा गया तो उसने सीधा पल्ला झाड़ते हुए कहा कि वह कुछ नही जानता। वह दिन में ड्यूटी करता है। रात में यहां कौन क्या करता है, क्या नही करता, उसे कुछ पता नही है। लेकिन गार्ड की बातों का यह संकेत है कि रात के अंधेरे में सदर अस्पताल में यहां वह सब होता है, जो नही होना चाहिए।
सदर अस्पताल में शराब की खाली बोतलों के मिलने की खबर करने के दौरान ही सामाजिक कार्यकर्ता संगीता सिंह मिल गई, जो अपना इलाज कराने आई थी। संगीता ने कहा कि शराब जब बिक ही नही रही है, तो यहां शराब की बोतले कहा से आ गई। सरकारी संस्थानों में ऐसी गतिविधियां न हो, इसके लिए सरकार को फुलप्रूफ प्रबंध करना चाहिए।
वही इस मामले को लेकर जब सिविल सर्जन डॉ. कुमार वीरेंद्र प्रसाद से बात की गई तो उन्होने इसके प्रति अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा कि वे मामले की जांच करायेंगे। जो भी दोषी होंगे, उनपर कार्रवाई होगी। ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि सिविल सर्जन महोदय क्या कार्रवाई करते है या मामला फिर आया गया हो जाता है।