पटना(लाइव इंडिया न्यूज18 ब्यूरो)। आज ए. एन. सिन्हा इंस्टिट्यूट, पटना में पैरवी और बंदी अधिकार आंदोलन के संयुक्त बैनर तले कैद में बच्चे और अभिभावक विषय पर आहूत सेमिनार में बोलते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री, विधान पार्षद और जेल सुधार समिति के संयोजक प्रोफेसर संजय पासवान ने कहा की कैद में और जेल में बच्चों का रहना किशोर न्याय व्यवस्था का उल्लंघन है और इस मामले को सरकार और समाज के साथ संवाद के साथ हल करने की जरूरत है। इस मामले को आप लोग के साथ मैं सरकार के अधिकारियों के पास और विधान परिषद में भी संवाद करने के लिए तैयार हूं।
पूर्व राज्य बाल संरक्षण आयोग बिहार की अध्यक्षा निशा झा ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि 2016 तक बिहार की जेलों में 430 विधि विवादित बच्चों का होना किशोर न्याय व्यवस्था के लिए एक चुनौती था और आज भी बच्चे जेलो में रह रहे हैं। उसके सही आंकड़े मिले तो फिर इस समस्या को हल किया जाए।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के शोध छात्र प्रवीण कुमार ने कहा की जेलों में बंद बच्चे पुलिस वालों कल्याण पदाधिकारी की लापरवाही का नतीजा है इसलिए उन्हें उचित ट्रेनिंग और संवेदनशील करना चाहिए और इन्हें कम से कम इस पोस्ट पर लगातार 2 साल तक रहने देना चाहिए।
आइपीएस सुशील कुमार ने कहा की बिहार में 10000 पुलिस पदाधिकारियों को किशोर न्याय व्यवस्था पर सघन प्रशिक्षण देने की जरूरत है। बंदी अधिकार आंदोलन के संयोजक संतोष उपाध्याय ने कहा की जेलों में बंद बच्चे आपराधिक न्याय व्यवस्था के हिस्से न बने,इसके लिए मास्टर प्लान बनाना चाहिए साथ ही जेलों में बंद अपने परिवार के एकमात्र कमाऊ व्यक्ति जो बीपीएल परिवार से हैं या जिनकी आमदनी 60,000 रुपए वार्षिक से कम है उनकी 18 साल से नीचे के बच्चों को स्पॉन्सरशिप स्कीम से जोड़ने की योजना को अमलीजामा पहनाया जाना चाहिए इसके लिए फंड की बढ़ोतरी हो और ऐसे तमाम बच्चों को इस योजना से जोड़ा जाए बचपन बचाओ आंदोलन के संयोजक मुख्तार उल हक ने कहा पूरे विश्व में सबसे बड़ी आबादी बच्चों की बिहार में है इसलिए बिहार सरकार को और बिहार की जनता को सबसे ज्यादा ध्यान देना चाहिए।
ऑल इंडिया हॉकर्स फोरम के महासचिव इरफान अहमद फातमी ने सेमिनार में कहा कि विधि विवादित बच्चों की अग्रिम जमानत देने की शुरुआत की मांग उठी तो परमिशन होम के हालात को भी सुधारने की मांग उठी राज्य के पुलिस प्रशिक्षण कैरिकुलम में किशोर न्याय कानून को रखा जाए। जिला विधिक प्राधिकार सेवा के पैनल अधिवक्ता जेल के तरुण वार्ड में विजिट करे और किशोर बच्चों की शिनाख्त कर उनका मामला किशोर न्याय बोर्ड में स्थानांतरित कराएं। किशोर न्याय के तमाम सुधारक एक दूसरे से मीटिंग में मिले उन्हें जाने समझे और एक दूसरे की त्रुटियों से सबक लें जिससे किशोर न्याय व्यवस्था की खामियां दुरुस्त हो सके।
किशोर न्याय व्यवस्था की नियमावली सिर्फ किताबों में नहीं उसे व्यवहार में लाया जाए तब जाकर विधि विवादित बच्चे का पुनर्वास और सुधार हो सकेगा जिससे वह भविष्य के जागरूक नागरिक बन सकता है सेमिनार में इरफान अहमद, विजय कांत, सुनील झा, अनीश अंकुर आदि मौजूद रहे। धन्यवाद ज्ञापन पैरवी के दीनबंधु वत्स ने किया।