भारत-चीन कोर कमांडर स्तरीय 11वें दौर की बैठक 13 घंटे चली। दोनों देशों के बीच 9 अप्रैल को चुशूल-मोल्दो सीमा पर बने बैठक स्थल पर आयोजित की गई थी और वार्ता शुक्रवार देर रात 11.30 बजे खत्म हुई। दोनों पक्षों के बीच पूर्वी लद्दाख में एलएसी के साथ-साथ डिसएंगेजमेंट से जुड़े बाकी मुद्दों के समाधान के लिए विचारों का विस्तृत आदान-प्रदान हुआ। दोनों पक्ष मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुसार बकाया मुद्दों को तेजी से सुलझाने की आवश्यकता पर सहमत हुए।
सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने पर सहमति
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि अन्य क्षेत्रों में डिसएंगेजमेंट करने से दोनों पक्षों के लिए सेनाओं की संख्या में कमी करने और शांति व सौहार्द की पूर्ण बहाली सुनिश्चित करने तथा द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति को सफल बनाने का मार्ग प्रशस्त होगा। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत थे कि अपने नेताओं की सहमति से मार्गदर्शन लेना, अपने संवाद को जारी रखना और शेष मुद्दों के पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान की दिशा में जल्द से जल्द काम करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने जमीन पर संयुक्त रूप से स्थिरता बनाए रखने, किसी भी नई घटना से बचने और संयुक्त रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने पर भी सहमति जताई ।
मुद्दों का तेजी से हल निकालने पर सहमत
इस बयान में गोगरा, डेप्सांग और हॉट स्प्रिंग इलाके से सैनिकों की वापसी को लेकर कायम गतिरोध का जिक्र किए बिना कहा गया है कि दोनों पक्ष बाकी बचे मुद्दों का तेजी से हल निकालने पर सहमत हैं लेकिन पूर्वी लद्दाख के इन इलाकों से सैनिकों को पीछे हटाने के बारे में कोई स्पष्ट बात नहीं कही गई है। हालांकि, एलएसी पर तनाव न बढ़ने देने को लेकर दोनों देश गंभीर हैं।