इन बेटे-बहुओं ने किया यह काम, मिला सेवाव्रती श्रवण कुमार सम्मान

औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। त्रेता युग में श्रवण कुमार ने अपने माता-पिता की ऐसी सेवा की थी कि कलियुग में भी हर मां-बाप की चाहत होती है कि बुढ़ापे में उनकी सेवा के मामले में उनका बेटा श्रवण कुमार जैसा निकले। हालांकि इस कलियुग में ऐसे श्रवण कुमार कम ही मिलते है। कलियुग में भी माता-पिता की बेहतर सेवा करने वालों को ढूंढ़ कर सेवाव्रती श्रवण कुमार सम्मान से नवाजा है, औरंगाबाद की सामाजिक संस्था बासमती सेवा केंद्र एवं जनेश्वर विकास केंद्र ने। सम्मान पाने वालों में कुछ बहुएं भी शामिल है। हालांकि सम्मान देने वाली संस्थाएं छोटी है लेकिन यह कहा जा सकता है कि इनकी सोंच जरूर बड़ी है।    

 

                   

देव के चैनपुर में आयोजित समारोह में संस्था ने दिया यह सम्मान

दरअसल यह सम्मान औरंगाबाद के अति नक्सल प्रभावित देव के चैनपुर में संस्था की प्रेरणास्त्रोत बासमती देवी की पुण्यतिथि पर बासमती सेवा केंद्र एवं जनेश्वर विकास केंद्र द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित समारोह में प्रदान किया गया। समारोह की अध्यक्षता रामजी सिंह ने की। कार्यक्रम की शुरुआत आगत अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर एवं बासमती देवी के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पार्पण कर की। इस दौरान अतिथियों का स्वागत सेवा केंद्र के उमेशचंद्र सिंह, पुरंजय कुमार सिंह, दिलीप कुमार सिंह, पारसनाथ सिंह, संतोष कुमार सिंह, ललन कुमार सिंह, रामप्रवेश सिंह एवं धनंजय कुमार सिंह ने माला पहनाकर और पुष्प गुच्छ देकर किया। आगत अतिथियों के स्वागत में स्वागत भाषण कविता विद्यार्थी ने किया जबकि संचालन सिद्धेश्वर विद्यार्थी ने तथा धन्यवाद ज्ञापन राजू कुमार सिंह ने किया।

“माता-पिता संतान के लिए जीवित तीर्थ” विषयक संगोष्ठी भी हुई आयोजित

इस मौके पर कार्यक्रम के प्रथम सत्र में आयोजक संस्था द्वारा “माता-पिता संतान के लिए जीवित तीर्थ” विषयक संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया। संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि पंचदेव धाम, चपरा के संस्थापक अशोक कुमार सिंह के अलावा लेखक डॉ. सुरेंद्र प्रसाद मिश्र, डॉ. रामाधार सिंह,  डॉ. राजेंद्र प्रसाद सिंह, ज्योतिर्विद् शिवनारायण सिंह एवं अजीत कुमार सिंह आदि ने विचार रखे। सभी वक्ताओं ने एक स्वर से कहा कि माता-पिता ही संतान के लिए चारों धाम हैं।  सनातन संस्कृति के अनुरूप अपने माता-पिता को जंगम तीर्थ मानते हुए  संतान को भक्ति भाव से सेवा करनी चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से उन्हें घर बैठे चारों धाम का पुण्य फल प्राप्त होता है। संतान का अस्तित्व माता पिता से ही है। इरासे  संतानें  उऋण नहीं हो सकतीं। संतान के लिए माता-पिता भगवान की तरह हैं। संगोष्ठी में
कवि रामकिशोर सिंह, लवकुश प्रसाद सिंह, पूर्व प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी सुमन अग्रवाल, साहित्य संवाद के अध्यक्ष लालदेव प्रसाद, समाजसेवी शंकर प्रसाद, मुखिया मनोज कुमार सिंह, रामजी चौहान, प्रो. दिनेश प्रसाद, शिक्षक अशोक कुमार पांडेय, विनय कुमार सिंह, शिक्षक उज्ज्वल रंजन एवं दरगाही प्रसाद ने भी माता-पिता के महत्व पर प्रकाश डाला। वक्ताओं ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए इसे विस्तृत रूप दिये जाने का भी प्रस्ताव रखा, जिसका उपस्थित लोगों ने भी से समर्थन किया।


कार्यक्रम के दूसरे सत्र में इन्हे मिला श्रवण कुमार सम्मान

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में माता-पिता एवं सास-ससुर की निष्ठापूर्वक सेवा करने वाले संतानों और बहुओं को सेवाव्रती श्रवण कुमार सम्मान से सम्मानित किया गया। इसके तहत बैंक के अवकाश प्राप्त अधिकारी प्रमोद कुमार सिंह (भरवार), उपेंद्र सिंह(देव), श्वेता देवी व उदय गुप्ता(नबीनगर), मनोज कुमार सिंह(तेलडीहा), अजीत कुमार सिंह(रसलपुर), अरुण मेहता(गजनाधाम) एवं राजकुमार रजक(नबीनगर)को आगत अतिथियों ने यह सम्मान प्रदान किया।  

 

कार्यक्रम में ये रहे मौजूद– कार्यक्रम में श्रीकृष्ण सिंह स्मारक स्थल के सचिव नीलमणि कुमार सिंह, देव के पत्रकार दीपक गुप्ता,  देव के पूर्व मुखिया नंदकिशोर मेहता, रामस्वरूप प्रसाद, ईं. अरुण कुमार सिंह, गोकुल सिंह, भृगुनाथ सिंह, यमुना सिंह, प्रो. अनील सिंह, समाजसेवी सुरेंद्र प्रसाद सिंह, पूर्व मुखिया अशोक कुमार सिंह,  बेढ़नी पंचायत के मुखिया मनोज सिंह, संजय सिंह, धर्मेन्द्र कुमार सिंह, सत्यचंडी महोत्सव समिति के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह, सैनिक आरपी सिंह, उमंगा महोत्सव के अध्यक्ष संजय सिंह, कोषाध्यक्ष ललन सिंह , वीरेंद्र कुमार सिंह, सीताथापा महोत्सव के कोषाध्यक्ष देवलाल प्रसाद, उमा सिंह, एंटी करप्शन के आदित्य  श्रीवास्तव, पत्रकार रामाकांत सिंह, सत्यचंडी न्यास समिति के अध्यक्ष रामप्रवेश मिश्र  उप मुखिया रंजन कुमार सिंह, गोपाल सिंह एवं रामबदन सिंह आदि मौजूद रहे। आगत अतिथियों  का समारोह में  सैकड़ों लोग उपस्थित थे।    

  

         

चार साल से श्रवण कुमारों को सम्मानित कर रही संस्था– आयोजक संस्था के सचिव सिद्धेश्वर विद्यार्थी ने बताया कि केंद्र पिछले चार साल से यह सम्मान प्रदान कर रही है। इसके पीछे संस्था का एकमात्र उदेश्य बेटे-बहुओं को माता-पिता और सास-ससुर की सेवा के लिए सेवाभाव जगाना है। उन्होंने बताया कि संस्था द्वारा उन बेटे-बहुओं को यह सम्मान दिया जाता है, जिनके माता-पिता और सास-ससुर पेंशनर नही है। इसके पीछे संस्था की सोंच यह है कि सरकारी सेवा से सेवानिवृत पेंशनधारियों की सेवा तो पेंशन राशि पाने के लिए उनके बच्चें करते ही है लेकिन जो पेंशनधारी नही है, वे उपेक्षित रहते है। यही वजह है कि पेंशन नही पाने वाले माता-पिता और सास-ससुर की निःस्वार्थ भाव से सेवा करने वाले बेटे-बहुओं को ही संस्था श्रवण कुमार सम्मान से सम्मानित करती है।