World Hearing Day: 2 प्रतिशत बच्चों में जन्मजात होता है बहरापन, समय पर पहचान कर इलाज संभव

आज विश्व श्रवण दिवस यानी वर्ल्ड हियरिंग डे है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य कान की सुरक्षा और बधिरता से बचाव के प्रति लोगों को जागरूक करना है। आज के समय में ऐसे कई कारक हैं जो हमारी सुनने की क्षमता को प्रभावित करते हैं। आधुनिक जीवनशैली का हिस्‍सा बन चुके ईयर फोन और डीजे जैसी उपकरण कानों के लिए नुकसानदेह हैं।

बधिरता यानी बहरापन एक बड़ी समस्या है, जिसके विषय में जागरूकता आवश्यक है। इस बारे में लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर डॉ. एन. एन. माथुर कहते हैं कि कान बहना, ऊंची आवाज में संगीत सुनना, बुढ़ापा आदि श्रवण संबंधी समस्याओं के कारण हैं। इस बारे में जागरूकता लाकर और श्रवण संबंधी समस्या होने पर इसके जल्‍द उपचार के साथ समस्‍याओं से बचा जा सकता है। आज श्रवण संबंधी समस्‍याओं के लिए कई उपकरण भी मौजूद हैं, जिससे इसका इलाज संभव है। इसलिए जरूरी है कि बहरेपन को जल्दी-जल्दी पहचानें और इसका इलाज कराएं।

नवजात शिशु में बहरापन

सबसे पहले बहरापन पहचानने के लिए नवजात शिशु की जांच करायी जानी चाहिए। अब हमारे पास ऐसी मशीनें हैं, जिन्‍हें लगाते ही पता चल जाता है कि बच्चे में बहरापन है या नहीं। डॉ. माथुर बताते हैं कि 2 प्रतिशत बच्चों में बहरापन पैदा होने के साथ ही होता है, कुछ बच्चों में ये बहुत ज्यादा होता है।

बच्चों में बहरेपन के लक्षण

  • मॉं की आवज सुनकर न मुस्काराना और 3 से 6 महीने में शिशु का आवाज की दिशा में गर्दन नहीं घुमाना।
  • हां-हूं जैसी आवाज न करना, तेज आवाज पर शिशु द्वारा प्रतिक्रिया न करना।

इलाज

अगर बच्चे में बहरापन की या कम सुनने की शिकायत है तो हियरिंग ऐड लगाए जाते है या कॉकलियर इम्प्लांट लगाया जाता है।

वृद्धावस्था में बहरापन

वृद्धावस्था के लोगों को हियरिंग टेस्ट की जरूरत होती है। ये ग्रुप 65 से 75 साल की उम्र का है जिनमें सुनने की क्षमता कम होने लगती है। बुजुर्गों में सुनने की क्षमता उम्र के साथ कम होना सामान्य है। इसके लिए विशेषज्ञ को दिखाएं, सुनने की क्षमता की जांच कराएं। विशेषज्ञ की परामर्श से ही हियरिंग ऐड का प्रयोग करें।

बुजुर्गों में सुनने की क्षमता कम होने के लक्षण

• बात न सुन पाना, अक्सर दोबारा बोलने के लिए कहना, बात करने से कतराना, अकेले व अलग रहना, ज्यादा बोलना जिससे किसी की बात न सुननी पड़े
क्या रखें सावधानियां

बुजुर्गों में सुनने के समस्या और न बढ़े इसके लिए कुछ सावधानियां भी रखनी जरूरी है। मोबाइल का इस्तेमाल कम करें, तेज आवाज में एक बार ही सुनने पर एक बार में ही कान पर असर हो सकता है।

• संगीत सुनने के लिए हेडफोन का इस्तेमाल न करें, हेडफोन से कान में दबाव बढ़ जाता है और हेडफेन से कानो को क्षति होती है।