इंद्रपुरी बराज से रेल पुल तक खनन पर एनजीटी की रोक के बावजूद सोननद से बालू की निकासी जारी : विधायक

औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। सोननद में रेल पुल के पास से बालू की अवैध निकासी को रोकने के लिए पुल के दोनो तरफ बने हाईट गेज को तोड़ने के आरोप में खुद के समेत 21 समर्थकों पर प्राथमिकी के बाद नबीनगर के राजद विधायक विजय कुमार सिंह उर्फ डबलू सिंह ने औरंगाबाद के जिला खनन पदाधिकारी मुकेश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

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मोर्चा खोलते हुए उन्होने अपने यहां स्थित आवास पर प्रेसवार्ता में कहा कि मैं राजद का सिपाही हूं और लालू प्रसाद हमारे सर्वमान्य नेता है। हमारे नेता ने हमे डरना नही बल्कि हक और अधिकार के लिए डरना नही लड़ना सिखाया है। जिस हाईट गेज को तोड़ने के आरोप में मुझ पर और मेरे समर्थकों पर प्राथमिकी दर्ज कराई गयी है, उसका इस्तेमाल बालू माफिया और अवैध निकासी करने वालों द्वारा खनन पदाधिकारी की मिलीभगत से किया जाता है जबकि उस इलाके के लोगो के आवागमन का भी इसी रास्ते से होता है। इस रास्ते को हाईट गेज लगाकर आम लोगो के लिए बंद कर देना और बालू माफियाओं के लिए चालू रखना कही से भी न्यायोचित नही है। हाईट गेज को तोड़ा जाना जनता द्वारा की गई परिणति है और इसमें उनकी और समर्थकों की कही से भी संलिप्तता नही है। इसके बावजूद उन पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई है तो इसका डर उन्हे नही है बल्कि वें इससें कानूनी तरीके से निपटेंगे।

श्री सिंह ने आरोप लगाया कि जिला खनन पदाधिकारी के संरक्षण में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण(एनजीटी) के नियमों और प्रावधानों को ताक पर रखकर सोननद में बालू का खनन कराया जा रहा है। जहां तक उन्हे जानकारी है कि एनजीटी ने सोननद में इंद्रपुरी बराज से लेकर सोननगर रेल पुल तक बालू की निकासी पर रोक लगा रखी है। इसके बावजूद तमाम कायदे-कानूनों को ताक पर रखते हुए ढ़ाई फीट के बदले 20 फीट की गहराई तक खुदाई कर बालू की निकासी की जा रही है। सड़क और रेल पुल के नुकसान को दरकिनार कर पुल के नीचे तक से बालू की निकासी होती रही है। इतना ही नही बालू माफिया को सोननद से बालू की निकासी के लिए नदी के अंदर पांच से आठ किलोमीटर तक लंबी सड़के बनी है। नदी में सड़क का निर्माण एनजीटी के नियमों के विपरीत है और खनन पदाधिकारी यह बताये कि किसके आदेश पर नदी में सड़क बनी है। कहा कि खनन पदाधिकारी की मिलीभगत से बरसात के दिनों में भी सोन से बालू की लगातार निकासी होती रही है और कागज में इसे स्टाॅक से बिक्री का खेंल किया जाता रहा है।