औरंगाबाद जिला परिषद के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र संख्या-25 से हेमा है उम्मीदवार
औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। बिहार त्रिस्तरीय पंचायत आम निर्वाचन-2021 के दसवें और अंतिम चरण की मतगणना कल यानी 10 दिसम्बर को होनी है। इसी कड़ी में औरंगाबाद जिले के अति नक्सल प्रभावित देव और कुटुम्बा प्रखंड की पंचायती राज संस्थाओं के विभिन्न पदों की मतगणना क्रमशः शहर के सच्चिदानंद सिंहा कॉलेज और किशोरी सिंहा महिला कॉलेज में संपन्न होगी।
मतगणना किसी भी चुनाव की प्रक्रिया का अंतिम भाग है और जब किसी खास की चुनावी किस्मत का फैसला होना होता है, तो यह न केवल बेहद खास हो जाती है बल्कि संबंधित उम्मीदवार का परिणाम जानने की हर किसी को उत्सुकता होती है। ऐसी ही उत्सुकता औरंगाबाद जिला परिषद के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र संख्या- 25 के आने वाले चुनाव परिणाम को लेकर है। इसकी वजह इस सीट से जिला पार्षद पद का चुनाव लड़ रहे सभी उम्मीदवार नही बल्कि सिर्फ एक और एक ही उम्मीदवार है। वह उम्मीदवार है, हेमा कुमारी, जो जेल में बंद अत्यंत नामचीन नक्सली विकास यादव की दूसरी बीवी है।गौरतलब है कि विकास प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी का जोनल कमांडर रहा है। विकास चुनाव की लोकतांत्रिक पद्धति को “वोट का रास्ता गुलामी का रास्ता” कहकर इसकी कटु आलोचना करता रहा है लेकिन जीवन में पहली बार गिरफ्तारी के बाद जब वह जेल से छूटा था, तो उसने पप्पू यादव की पार्टी जन अधिकार पार्टी(लोकतांत्रिक) का दामन थाम लिया था।
कुछ दिन वह जाप में रहा लेकिन बाद में राजनीति उसे रास नही आई। उसने एक नये नक्सली संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया(पीएलएफआई) का दामन थाम लिया और संगठन का बिग कमांडर बन बैठा। कमांडर बनते ही उसने पीएलएफआई के संगठन के नेटवर्क को औरंगाबाद के इलाके में खड़ा किया, पर नये संगठन के पहले ही एक्शन के बाद वह अपनी पूरी टीम के साथ पुलिस के हत्थें चढ़ गया और आज वह जेल में बंद है। विकास के जेल में रहने के बावजूद उसकी पत्नी हेमा कुमारी कुटुम्बा प्रखंड में क्षेत्र संख्या-25 से जिला पार्षद पद का चुनाव लड़ने मैदान में उतरी। चुनाव प्रचार के दौरान पोस्टर, पंपलेट और फ्लेक्स में हेमा के साथ विकास की भी तस्वीर लगी। हेमा ने पूरे दम खम के साथ इलाके में घुम घुम कर वोट भी मांगा। 8 दिसम्बर को मतदान हुआ। अब 10 दिसम्बर को मतगणना होगी। इसी मतगणना से हेमा की चुनावी किस्मत का फैसला होना है। ऐसे में देखना यह है कि इलाके के लोग नक्सली की बीवी को नेता मानते हुए उसका नेतृत्व स्वीकार करते है या नकार देते है, इसका फैसला कल का चुनाव परिणाम तय करेगा।