कामना रहित हो करें सत्कर्म तो मिलेगी आत्मा को शांति : जियर स्वामी

औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। बारुण के पौथु में चल रहे पांच दिवसीय ज्ञान यज्ञ के चैथे दिन सोमवार को प्रवचन में जियर स्वामी जी ने कहा कि हम जगत् की व्यवस्था में लगें, परंतु हमे अपनी मृत्यु और काल को याद करना चाहिए। जो व्यक्ति मृत्यु और काल को हमेशा याद करता है, वह व्यक्ति इस संसार में रहकर भी संसार के अवस्थाओं से, संसार की दशाओं से, संसार की व्यवस्थाओं में लिप्त नही होता।

जब हम काल और मृत्यु को भूल जाते हैं तब हम इस संसार में रह करके अपने को अंहकार में हो करके अपने को स्वयं अनीति, अन्याय, कुकर्म, उपद्रव की हम जननी बन जाते हैं, अधिकारी बन जातें हैं। इसलिए मनुष्य को यह बार बार यह जानना चाहिए कि मृत्यु ने हमारी चोटी को पकड़ा हुआ है। कब इसके गाल में चले जाएंगे इसका कोई ठीक नही है।


जीवन में शांति के लिए कामना का त्याग करे-

कहा कि कर्म करते हुए फल की कामना नही करना चाहिए। कर्म तो करना चाहिए लेकिन फल रहित होकर करना चाहिए। इससे आत्मा को शांति मिलेगी। यदि नही भी फल की कामना करेंगे और अच्छे कर्म करेंगे तो फल हमें ही प्राप्त होगा। कामना रहित हो करके यदि कर्म करते हैं तो उसमें बहुत आनंद आता है। उसमें टेंशन, अटेंशन की संभावना नही रहती है। कामना लेकर कोई काम करते हैं तो थोड़ा टेंशन, डिप्रेशन, शोक और कहीं भटकाव की संभावना बनी रहती है। जो जीवन में शांति चाहता है, वह कामना का त्याग करे। इससे हर पल, हर क्षण हमें शांति ही शांति है। आशा और कामना हमें उस फांसी पर लटका देती है, उस सूली पर लटका देती है जब तक प्राण, जब तक श्वास रहता है तब तक हम कुछ कर हीं नही पाते। हमेशा संशय में रहते हैं। मनोरथ का कभी समापन नही होता है।