- आध्यात्मिक पर्यटन की संभावनाएं: ध्यान, योग, स्वास्थ्य विषय पर हुई चर्चा, अतिथियों ने दिए कई महत्वपूर्ण सुझाव
पटना(लाइव इंडिया न्यूज18 ब्यूरो)। आध्यात्मिक पर्यटन के लिए बिहार देश में सबसे बेहतर पर्यटन स्थल है। यहां सभी धर्मवलंबियों की आस्था से जुड़े धार्मिक स्थल मौजूद हैं, जहां देश-विदेश के पर्यटक हर साल मत्था टेकने आते हैं। बिहार सरकार का पर्यटन विभाग धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम कर रहा है। बिहार को देश में आध्यात्मिक पर्यटन की राजधानी बनाने की दिशा में पर्यटन विभाग लगातार काम कर रहा है।
उक्त बातें पर्यटन विभाग के सचिव अभय कुमार सिंह ने पटना के ज्ञान भवन में आयोजित दो दिवसीय ट्रैवेल और टूरिज्म फेयर (टीटीएफ) 2023 के दूसरे और अंतिम दिन पहले सत्र में आध्यात्मिक पर्यटन की संभावनाएं : ध्यान, योग, स्वास्थ्य विषय पर आयोजित परिचर्चा में कही।
पर्यटन सचिव ने कहा कि पटना में तख्तश्री हरमंदिर साहिब जो भी लोग आते हैं उन्हें प्रकाशपुंज जरूर जाने के लिए प्रेरित करें, वहां गुरु साहब से जुड़ी कई स्मृतियों को संजोया गया है। जो पर्यटक बोधगया आते हैं उनके रूकने के लिए गेस्ट हाउस, होटल के साथ ही बोधगया में पर्यटन केंद्र की स्थापना की गई है। पर्यटन विभाग की योजना है कि हर सप्ताह के अंत में दो दिन संध्या में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाए। इसके साथ ही होटल व गेस्ट हाउस में जो लोग रूकते हैं उन्हें सुबह में मेडिटेशन कराया जाए जिससे वे शांति का एहसास कर सकें। पूरे बोधगया में एकसाथ सभी होटलों में एक समय में यह आयोजन हो।
उन्होंने कहा कि मेडिटेशन से जुड़े जो भी कोर्स चल रहे हैं, इसकी जानकारी पर्यटन विभाग की ओर से वेबसाइट पर दी जाएगी। मेडिटेशन से जुड़े कोर्स का प्रचार-प्रसार किया जाएगा। श्री सिंह ने कहा कि मुंडेश्वरी मंदिर व केसरिया स्तूप को और विकसित करने पर काम किया जा रहा है। पर्यटक सुविधाएं भी बढ़ाई जाएगी। केसरिया में 20 करोड़ की लागत से विकास के काम किए जा रहे हैं। वहीं नालंदा के तेल्हाड़ा को कैसे विकसित किया जाए इसपर विचार किया जाएगा। पर्यटन सचिव ने कहा कि देव सूर्य मंदिर के विकास पर सरकार काम कर रही है। इसके विकास को लेकर पूरी कार्ययोजना है। देव सूर्य मंदिर पहुंचने के लिए वहां गलियां संकरी है उसे ठीक करने के लिए औरंगाबाद के जिलाधिकारी से अनुरोध करेंगे।
कार्यक्रम में अपने विचार रखते हुए मोहन देशमुख, केंद्र प्रभारी, विपश्यना केंद्र, पटना ने कहा कि भगवान बुद्ध ने ध्यान की ‘विपश्यना-साधना’ द्वारा बुद्धत्व प्राप्त किया था। महात्मा बुद्ध की शिक्षाओं में से एक विपश्यना भी है। यह वास्तव में सत्य की उपासना है। सत्य में जीने का अभ्यास है। विपश्यना इसी क्षण में यानी तत्काल में जीने की कला है। भूत की चिंताएं और भविष्य की आशंकाओं में जीने की जगह भगवान बुद्ध ने अपने शिष्यों को आज के बारे में सोचने के लिए कहा। विपश्यना जीवन की सच्चाई से भागने की शिक्षा नहीं देता है, बल्कि यह जीवन की सच्चाई को उसके वास्तविक रूप में स्वीकारने की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि चार मिलियन लोग पटना में विपश्यना कर चुके हैं।
राहुल देव, प्रोटोकॉल अधिकारी, बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति ने कहा कि बोधगया मंदिर में पहले लोग मेडिटेशन करते थे उसे हमलोगों ने विकसित किया। बिहार पर्यटन की ओर से बोधगया में मेडिटेशन सेंटर बनाया गया है। इस सेंटर में इस सत्र से पहला कोर्स शुरू होगा। इसमें बड़ी संख्या में लोग पहुंचेंगे।
पर्यटन निगम के निदेशक नंदकिशोर ने कहा कि बिहार आध्यात्मिक राजधानी है। विश्व में तीन महत्वपूर्ण जगह हैं जिसमें वेटिकन सिटी, मक्का व बोधगया। इन तीनों में एक बिहार में है जहां पूरे विश्व से पर्यटक पहुंचते हैं। कोरोना काल के बाद अध्यात्म में लोगों की रुचि बढ़ी है। लोग शांति चाहते हैं। यह अच्छा समय है कि हम आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा दें। पर्यटन विभाग केसरिया, माता सीता की जन्म स्थली सीतामढ़ी में पुनौरा धाम, गया जी, बोधगया व नालंदा में ब्रह्मकुंड का विकास कर रही है। परिचर्चा के बाद पर्यटन निगम के एमडी नंदकिशोर ने बिहार पर्यटन को लेकर एक प्रजेटेशन दिया। जिसमें बिहार टूरिस्ट की बढ़ती संख्या के बारे में विस्तार से जानकारी दी और पर्यटन निदेशक विनय कुमार राय ने धन्यवाद ज्ञापन किया।