त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के कार्यकाल का हो विस्तार : शंकर यादवेंदु

औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। राजद नेता और जिला पार्षद शंकर यादवेंदु ने कहा है कि बिहार में त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं का चुनाव समय सीमा के अंदर नहीं कराया जाना शासन-प्रशासन एवं राज्य निर्वाचन आयोग की नाकामी के साथ ही भारतीय संविधान कि अनुच्छेद 40 और 73वें संशोधन का अपमान तथा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपनों को नेस्तनाबूद करने की गहरी साजिश है।

श्री यादवेंदु ने प्रेस बयान जारी कर कहा कि सुबे के त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधि सभी 38 जिला परिषद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सदस्य, प्रमुख, उपप्रमुख, पंचायत समिति सदस्य, मुखिया, उप मुखिया, वार्ड सदस्य सहित ग्राम कचहरी के निर्वाचित न्यायकर्ता जनप्रतिनिधि सरपंच, उपसरपंच एवं पंच परमेश्वर कुल लगभग 2 लाख 50 हजार प्रतिनिधियों के अधिकार और कर्तव्यों को समाप्त करने की सोची समझी साजिश पंचायती राज विभाग के मंत्री के वक्तव्यों से साफ झलक रही है। कहा कि पंचायती राज अधिनियम 2006 की नियमावली के तहत बहुत सारे अधिकार पंचायतों को है पर राज्य सरकार ने यह अधिकार अब तक स्वतंत्र रूप से पंचायत एवं ग्राम कचहरी प्रतिनिधियों को 20 वर्षों में नहीं दिया है और इस पर राज्य के आला अधिकारी और राजनेता कुंडली मार कर बैठे हैं। ये तरह-तरह के आदेश निर्देश जारी करते रहते हैं। कभी मतपत्र तो कभी ईवीएम का रोना, कभी कोविड-19 , का वास्ता देकर पंचायत चुनाव को टाला जा रहा है जबकि बिहार सहित अन्य राज्यों में विधानसभा और पंचायत चुनाव अभी-अभी संपन्न कराए गये है। वैश्विक महामारी कोरोना से आमजन तड़पते मरते रहे और लाश पर राजनेताओं की रैली, रैला, जनसभा, सघन जनसंपर्क, भीड़ जुटाकर रोड शो, लोकलुभावन भाषण, भीड़, शक्ति प्रदर्शन सभी दल करते नजर आए जो सर्वविदित है।

वही अब बिहार के पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्ति की बारी आई तो पुनः कोरोना और ईवीएम का रोना शुरू हो गया। खैर कोई बात नहीं हम इस प्राकृतिक आपदा मे सरकार के गाइडलाइन का शत-प्रतिशत अनुपालन व सम्मान करते हैं। वास्तव में जन रक्षार्थ सरकार ने पंचायत चुनाव नहीं कराने का निर्णय लिया है तो हम प्रतिनिधियों को स्वीकार है पर यह कहां का न्याय है कि गलती कोई करे और सजा राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों की 75 प्रतिशत आबादी तथा ढाई लाख निर्वाचित जनप्रतिनिधि भुगते। क्या पंचायत चुनाव आमजन या पंचायत प्रतिनिधियों ने रोका है, नहीं न। तब यह बात कहां से आ रही है कि पंचायती राज कानून में संशोधन कर बीडीओ तथा जिला प्रशासन को पंचायतों की व्यवस्था देखेंने का अधिकार देने की तैयारी किस आधार पर सरकार कर रही है, यह जवाब दें। कहा कि पंचायत चुनाव सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग जब कराना चाहती हो, तब कराएं हम त्रिस्तरीय एवं ग्राम कचहरी प्रतिनिधि तैयार हैं लेकिन जब तक चुनाव नहीं होता है तब तक के लिए पंचायती राज संस्थाओं के कार्यकाल का विस्तार हो। लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत सम्मानित संविधान, ग्रामीण जनता जनार्दन, ग्रामसभा तथा पंचायत प्रतिनिधियों के मान, सम्मान की रक्षा-सुरक्षा की जाए। यह लोकतांत्रिक देश भारत का बिहार है। राजतंत्र और अफसरशाही का नहीं। हर एक परिस्थिति में त्रिस्तरीय पंचायत एवं ग्राम कचहरी प्रतिनिधियों के कार्यकाल को विस्तृत किया जाए। अन्यथा ढाई लाख जनप्रतिनिधि एवं ग्रामीण जनता एकजुट होकर अफसरशाही और राजनेताओं का सभी वार्ड स्तर से प्रखंड, जिला व राज्य स्तर पर पुरजोर विरोध करने को बाध्य होंगे जिसकी सारी जवाबदेही शासन प्रशासन की होगी।