औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। बिहार में शराबबंदी है तो होली भी है। यह रंगों का त्योहार है। खास यह कि इस त्योहार में अलग तरह की रंगीनी है। यही अलग वाली रंगीनी मिजाज को भी रंगीन बनाने को कहता है। अब मिजाज में रंगीनी कैसे आएंगी। इसके लिए तो कुछ रंगीन चीज चाहिए ही, तभी तो खाएंगे-पीएंगे ऐश करेंगे और क्या?
रंगों का यह पर्व भी तो रंग में आने के लिए खाने पीने की इजाजत देता ही है। पीना तो सब समझते ही है लेकिन जब से बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू हुई है, तबसे पीना लोगो के लिए आफत वाला हो ग्या है। खैर पीने वाले मानते थोड़े ही है, वें तो आफत को मोल लेते है। पहले भी लेते रहे है होली के बहाने कुछ ज्यादा ही मोल ले रहे है लेकिन थोड़ी दिक्कत जरूर है भाई। चूंकि दारूबंदी है। लिहाजा आफत लानेवाली चीज लेने में परेशानी है, पर होली है तो लेना ही है। जब लेना ही है तो सस्ता महंगा भी नही देखना है, बस जैसे भी हो लेना है। अब लेना है तो देनेवाले भी होने चाहिए। देनेवाले है भी पर खुल्लमखुल्ला दे नही सकते है। इसी वजह से देनेवाले यह काम कुछ ओट लेकर करते है। ऐसे ही ओट लेकर होली के त्योहार में तबीयत को रंगीन करने वाली चीज औरंगाबाद शहर में बिक रही थी, जिसका पुलिस ने न केवल भंडाफोड़ किया है बल्कि एक बेंचवईया को धर दबोचने के साथ माल भी बरामद किया है। पुलिस ने 680 ग्राम गांजा बरामद किया है। साथ ही एक धंधेबाज को भी धर दबोंचा है। गांजा की बिक्री का यह गोरखधंधा कीटनाशक दवा की दुकान का ओट लेकर किया जा रहा था। औरंगाबाद की पुलिस कप्तान स्वपना गौतम मेश्राम ने बताया कि मंगलवार की दोपहर औरंगाबाद नगर थाना की पुलिस ने शहर में सिंहा कॉलेज के पास एक दुकान में गांजा बेचने का धंधा किये जाने का भंडाफोड़ किया है। उन्होने बताया कि उन्हे खुफिया इनपुट मिली कि होली के त्योहार पर औरंगाबाद शहर में सिंहा कॉलेज के पास रामविलास यादव के मकान में स्थित कीटनाशनक दवा की दुकान में गांजा की बिक्री की जा रही है। इस सूचना का सत्यापन करने का उन्होने औरंगाबाद नगर थानाध्यक्ष को निर्देश दिया। निर्देश पर नगर थानाध्यक्ष ने अविलंब कार्रवाई करते हुए पुअनि शिशुपाल कुमार एवं सअनि जगन्नाथ ठाकुर को सशस्त्र बल के साथ सिंहा कॉलेज के पास रामविलास यादव के मकान में कीटनाशक की दुकान पर छापा मारने भेजा। छापेमारी में दुकान से एक अभियुक्त को गिरफ्तार करते हुए 680 ग्राम गांजा, एक मोबाईल एवं 2290 रूपये की नगदी बरामद की गयी। इस मामले में औरंगाबाद नगर थाना में भादंवि की धारा 20/22 एवं एनडीपीएस एक्ट के तहत कांड संख्या-163/23 दर्ज किया गया है। गिरफ्तार गांजा विक्रेता राजेंद्र महतो औरंगाबाद मुफ्फसिल थाना के खान गांव का निवासी है। पुलिस ने उसे जेल भेज दिया है। गौरतलब है कि गांजा की तस्करी और बिक्री के गोरखधंधे में गाढ़ी कमाई है। यही वजह है कि नशे का अवैध धंधा करने वाले लोग खूब फल-फूल रहे हैं। मुख्यतः गांजे की खेप ओडिसा से लाई जाती है। जानकार बताते है कि ओडिसा में एक किलो गांजा ढाई हजार रुपये में मिलता है और बिहार में आकर इसकी कीमत 14 हजार रुपये प्रति किलो तक हो जाती है। रिटेल में गांजा बेंचनेवाले आठ-दस किलो गांजा ही खरीदकर ले जाते हैं, जिसे वें फुटकर में पुड़िया बनाकर बेचते हैं। इसकी खुदरा बिक्री 1/2, 1, 2, 5 एवं 10 ग्राम का पुड़िया बनाकर की जाती है। आधा ग्राम की कीमत दस रूपये की होती है। इस रेट से गांजा बेचने से होनेवाली आमदनी का अंदाज लगाया जा सकता है। हालांकि लाख टके का सवाल यह है कि उड़ीसा से लेकर बिहार के औरंगाबाद तक गांजे की खेपें आखिर कैसे आ रहीं हैं। रास्ते में कई राज्यों के बार्डर पार करने पड़ते हैं, वहां से गांजा लेकर तस्कर कैसे सुरक्षित निकल आते हैं। इसके पीछे वजह यह है कि दरअसल गांजा तस्करों का बड़ा नेटवर्क है। जहां से भी तस्कर गांजा लेकर आते हैं, वहां उसके मुखिया से उनका कभी भी आमना-सामना नहीं होता। यही वजह है कि गांजा बेंचने बाले खुदरा धंधेबाज और छोटे तस्कर तो पुलिस के पकड़ में आ जाते है। गांजे की छोटी से लेकर बड़ी खेप तक बरामद होती है लेकिन बड़े माफिया कभी भी पकड़ में नही आते है।
गांजा का सेवन करते ही ‘आउट ऑफ कंट्रोल’ हो जाता है इंसान का दिमाग–
विशेषज्ञों के अनुसार गांजा के शरीर में जाने के बाद इंसान का दिमाग ‘आउट ऑफ कंट्रोल’ हो जाता है। यह गांजे में पाए जानेवाले दो केमिकल्स टीएचसी और सीबीडी के कारण होता है। दोनो के अलग-अलग काम हैं। जहां एक तरफ टीएचसी नशा बढ़ाता है। वहीं दूसरी ओर सीबीडी, टीएचसी के प्रभाव को कम करता है। यह भी हैरान करने वाली बात है कि सीबीडी लोगों की घबराहट को कम करने में काफी मदद करता है लेकिन, यह इंसान को उस वक्त हिलाकर रख देता है जब गांजे में टीएचसी की मात्रा सीबीडी की मात्रा से ज्यादा हो। जब कोई इंसान गांजा स्मोक करता है तो टीएचसी खून के साथ उसके दिमाग तक पहुंच जाता है और गड़बड़ करने लगता है। यह तो सबको मालूम ही होगा कि हमारा दिमाग अपना सारा काम न्यूरॉन्स की मदद से करता है और गांजा पीने के बाद न्यूरॉन्स ही कंट्रोल से बाहर हो जाता है। गांजा पीने के बाद जब न्यूरॉन्स या दिमाग बेकाबू हो जाता है तो लोगों को बेशक आनंद की अनुभूति होती है लेकिन वे कोई बात ज्यादा देर तक याद नहीं रख पाते, वे पहले की तरह किसी बात तो याद भी नहीं कर पाते यानि यदि ऐसे लोगों को कोई बात बताई जाए तो वह उनके दिमाग में नहीं बैठती। यह सब कम अवधि वाली दिक्कतें हैं, जो गांजे का नशा उतरने के बाद ठीक हो जाती हैं। हालांकि भारत में गांजा की बिक्री पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है। इसके बावजूद लोग चोरी-छिपे इसका व्यापार और सेवन करते है।