भीषण गर्मी से इस मौसम में अधिकतर लोग लू के शिकार हो रहे हैं। लू की वजह से मौतें भी हो रही है। लू को हीट स्ट्रोक (Heat Stroke,Sun Stroke,Thermic Fever,Siriasis) भी कहते है। धूप में जाने पर लू लगने का खतरा बना रहता हैं। इसे साधारण नहीं समझना चाहिए बल्कि तुरंत उपचार कराना चाहिए क्योंकि ज्यादा होने पर व्यक्ति के प्राण भी जा सकते हैं। होम्योपैथी से न सिर्फ लू से बचाव किया जा सकता हैं बल्कि धूप में जाने से पहले होम्योपैथिक दवाई खाने से लू नहीं लगती हैं।
होम्योपैथिक के पुराने रोगों के विशेषज्ञ व पूर्व चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. महेन्द्र शर्मा बताते हैं कि शरीर का तापमान बढ़ जाना, तेज सिरदर्द होना, उल्टी होना, बुखार होना, पैर के तलवे में जलन होना, पसीना कम आना, कमजोरी लगना, हाथ-पैर कांपना, सांस लेने में तकलीफ, घबराहट होना, उल्टी होना आदि ये लू लगने के लक्ष्ण हैं।
डॉ. महेन्द्र शर्मा ने बताया कि होम्योपैथिक में लू लगने से बचने व लू लगने के बाद स्वस्थ्य होने दोनों की दवा है। उन्होंने बताया कि अगर चक्कर आता है। धूप में जाने पर सिरदर्द होता है। बुखार और घबराहट होती है। सिर में गर्मी लगती है। शरीर का तापमान बहुत अधिक बढ़ जाता है। जी मचलाये। तेज गर्मी से होने वाली तकलीफ। तकिये पर सिर नहीं रखा जाता। धड़कन बढ़ जाती है। सांस लेने में तकलीफ होती है। ब्लड-प्रेशर बढ़ जाता है। तो ग्लोनाईन (Glonine) दवा लेने से राहत मिलेगी।
डाॅ. शर्मा ने बताया कि वहीं त्वचा गर्म सूखी और लाल होती है। बेचैनी रहती है। बहुत तेज सिरदर्द (माथे में) रहता है। प्यास बहुत लगती है। गाल बहुत गर्म और लाल होते है। चक्कर आते है। कान में तेज दर्द होता है। धड़कन बहुत तेज हो जाती है। हाई फीवर में मानसिक अवस्था बहुत आक्रामक हो जाती है तो बेलाडोना (Belladona) लेने से राहत महशूस होगी।
उन्होंने कहा कि अगर चक्कर बहुत आती हैं। रोगी ऊंघता रहता है। हर समय नींद सी आती रहती है। सुस्ती छाई रहती है। पल्स बहुत धीमी हो जाती है। डिप्रेशन धूप में जाने बाद बढ़ जाता हैं। पलके इतनी भारी लगती है कि मरीज आखें नहीं खोल पाता है। रोगी को प्यास नहीं लगती है। त्वचा पर लाल रंग के दाने निकलते हैं। हमेशा थकान लगती है तो जेलसीमियम (Gelsimium) दवा लेने से राहत मिलेगा।
डॉ. महेन्द्र शर्मा ने बताया कि धूप में जाने पर पसीना अधिक आने से शरीर में नमक और पानी की कमी हो जाती हैं तो नेट्रम-म्यूर (Nat-Mur) लेने से राहत महाशूस होगा। चूंकि यह दवा नमक से बनती हैं इसलिए इससे शरीर में नमक की पूर्ति हो जाती हैं। दिन में 10/11 बजे तकलीफ ज्यादा बढ़ती हैं। सिरदर्द होता है। कमजोरी लगती है। आंखों में जलन होती है। प्यास अधिक लगती है। ब्लड-प्रेशर कम हो जाता है। इसे धूप में जाने से पहले खाने से लू नहीं लगती है।
नोट- होम्योपथी में रोग के कारण को दूर करके रोगी को ठीक किया जाता है। प्रत्येक रोगी की दवा उसकी शारीरिक और मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-अलग होती है। अतः बिना चिकित्सीय परामर्श के किसी भी दवा का उपयोग न करें। डाॅ. महेन्द्र शर्मा से +91 7870696613 पर सुबह 10 बजे से शाम-6 बजे तक उपचार के लिए संपर्क कर सकते हैं।
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