औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। अति नक्सल प्रभावित देव प्रखंड के पचौखर गांव में भयंकर गर्मी के इस मौसम में पेयजल के लिए हाहाकार मचा है।
भूगर्भीय जल स्तर में गिरावट आने से गांव में लगे सभी हैंडपंप जवाब दे गये है। उनसे पानी आना बंद हो गया है। हद तो यह है कि गांव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अति महत्वाकांक्षी हर घर नल का जल योजना भी पूरी तरह फेल है। घरों तक नल की टोंटी तो पहुंचाई गई है लेकिन जल मीनार से पानी नही आ रहा है। यह स्थिति इस साल से नही बल्कि पिछले दो साल से बनी हुई है। हर साल गर्मी के मौसम में इस गांव के लोग पेयजल संकट से जूझते है पर सरकारी अधिकारी इस ओर ध्यान नही देते है। ग्रामीण हर साल अधिकारियों से लेकर जन प्रतिनिधियों तक से गुहार लगाते है लेकिन नतीजा हर बार सिफर होता है। बरसात आते ही भूगर्भ जल स्तर उपर आ जाता है।
नतीजा गांव के सूखे हैंडपंप फिर से हल्की फुल्की मरम्मत के बाद पानी देने लगते है। बात आयी गयी हो जाती है और फिर गर्मी का मौसम आते ही पुराना हाल हो जाता है और ग्रामीण पेयजल संकट से जूझने लगते है। ग्रामीण इसे लेकर बेहद आक्रोशित है। आक्रोश में वे सरकार से लेकर अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों तक को खरी खोटी सुनाते है और विरोध में नारेबाजी करने से भी गुरेज नही करते। ग्रामीणों का साफ कहना है कि मुख्यमंत्री जी यदि नल जल योजना से हमे पानी नही दे सकते है तो इसे उखाड़ कर ले जाएं। हम भगवान के रहमोकरम है। किसी तरह काम चला लेंगे। हालांकि पेयजल की समस्या की जानकारी मिलने पर गांव पहुंची मीडिया की टीम को ग्रामीणों ने यह कहकर धन्यवाद दिया कि जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने तो सुध नही ली लेकिन मीडिया ने इसकी सुध ली। ग्रामीण कहते है कि अब उन्हे किसी से कोई उम्मीद नही बची है। वे नाउम्मीदी के बीच गांव के बाहर स्थित एकलौते कुएं से पानी लाकर काम चला रहे है। यह कुआं ही गर्मी में पीने के पानी का उनका एकमात्र सहारा है। गौरतलब है कि पचौखर वही गांव है, जहां करीब डेढ़ दशक पहले नक्सलियों द्वारा लगाया गया सिलेंडर बम फटा था और आधा दर्जन बच्चों की मौत हुई थी।