औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। बिहार विधानसभा चुनाव-2020 के प्रथम चरण में औरंगाबाद जिले की 6 सीटों पर मतदान संपन्न होने के बाद चुनावी रंजिश का रंग दिखने लगा है। मतदान के बाद चुनावी रंजिश को लेकर कही मारपीट हो जा रही है तो कही गोली चल जा रही है। कही जीत-हार के गणित की चर्चा में बहस-मुबाहिसा इतना तल्ख हो जा रहा है कि दोनो ओर से तलवारें खिंच जा रही है और मारपीट की नौबत आ जा रही है। ऐसे मामलों में समझदार लोग लड़ने-भिड़ने को तैयार दोनों पक्षों को समझा-बुझा कर शांत करा रहे है। अब देखिएं न बुधवार को ही मतदान संपन्न हुआ और उसी रात औरंगाबाद मुफस्सिल थाना क्षेत्र के भरथौली गांव में गोली चल गई। ताबड़तोड़ फायरिग हुई। गांव में काफी देर तक दे दनादन गोलियां चलती रहीं। गोलियों की तड़तड़ाहट आसपास के गांवों तक सुनाई दी। फायरिग होते ही गांव में अफरा-तफरी मच गई। घरों की खिड़कियां तक बंद हो गई। गोलीबारी की सूचना पर मुफस्सिल थाना की पुलिस गांव में पहुंची। पुलिस ने घटनास्थल से तीन कारतूस एवं दो खोखा बरामद किया। इस मामले में गांव के ही निखिल कुमार सिंह द्वारा प्राथमिकी के लिए आवेदन दिया गया है। प्राथमिकी आवेदन में गांव के ही बालू ठेकेदार चंदन कुमार सिंह, संतोष कुमार सिंह, घर्मेंद्र कुमार सिंह, रुबीन कुमार सिंह, अनिस कुमार सिंह एवं चंद्रप्रकाश सिंह पर गाली गलौज एवं फायरिग करने का आरोप लगाया गया है। एसपी सुधीर कुमार पोरिका ने बताया कि मामले में अग्रेतर कार्रवाई की जा रही है। बताया जाता है कि निखिल विधानसभा चुनाव में अपने गांव में निवर्तमान विधायक सह कांग्रेस प्रत्याशी आनंद शंकर सिंह का पोलिग एजेंट बना था। उसने पुलिस को बताया कि बालू ठेकेदार चंदन समेत अन्य लोग पूर्व मंत्री सह भाजपा प्रत्याशी रामाधार सिंह के समर्थक हैं। मतदान समाप्त होने के बाद चंदन समेत अन्य लोग उसके घर के पास पहुंचे और बिना कुछ गलती के गाली गलौज करने लगे। गाली देने से मना करने पर ताबड़तोड़ फायरिग की। निखिल ने पुलिस को बताया कि अगर वह घर से निकल जाता तो उसे गोली मार दी जाती। घटना को लेकर भरथौली गांव में दोनों पक्ष के बीच तनाव बना हुआ है। वैसे चंदन पर पहले भी कांग्रेस विधायक के समर्थक के साथ मारपीट करने का आरोप है। पूर्व के मामले में भी उस पर प्राथमिकी दर्ज है। इसी प्रकार जिले के अन्य हिस्सों से भी चुनावी रंजिश को लेकर मारपीट होने की सूचनाएं मिल रही है। हालांकि बीच-बचाव कर दिये जाने से ऐसे मामले थानों तक नही पहुंच रहे है लेकिन चुनावी रंजिश की खुन्नस निकालने का दौर अभी जारी है।