औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। औरंगाबाद के बभंडी स्थित प्लेस ऑफ सेफ्टी से दाउदनगर के सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया एक किशोर बंदी रविवार की रात पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया।
प्लेस ऑफ सेफ्टी के प्रभारी पदाधिकारी सुजीत कुमार ने बताया कि 31 मार्च को एक किशोर बंदी ने सीने में दर्द की शिकायत की थी। औरंगाबाद के सदर अस्पताल में चल रहे निर्माण कार्य के कारण यहां बंदी वार्ड की अनुपलब्धता की स्थिति में उसे इलाज के लिए दाउदनगर के अनुमंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बंदी को वार्ड में भर्ती कर उसका इलाज चल रहा था। इसी बीच रविवार की रात वह पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया। मामले की छानबीन की जा रही है। फरार बाल बंदी की सरगर्मी से तलाश की जा रही है। बताया जाता है कि दाउदनगर अनुमंडलीय अस्पताल में दूसरे तल्ले पर कैदी वार्ड है। इसी वार्ड में किशोर बंदी का इलाज चल रहा था। उसकी सुरक्षा में पुलिस के पांच जवान तैनात थे। रविवार की रात करीब 12.30 बजे वह उठकर वह बाथरूम गया और उसने अंदर से दरवाजा बंद किया और खिड़की तोड़कर फरार हो गया। जब बाथरुम से काफी देर बाद भी वह बाहर नहीं निकला तो सुरक्षा में तैनात जवानों को शक हुआ। इसके बाद दरवाजा खोलने के लिए आवाज लगाया लेकिन दरवाजा नहीं खुला। इसके बाद जब किसी तरह से दरवाजा खोलकर पुलिस के जवान बाथरुम के अंदर गए तो देखा कि खिड़की टूटा हुआ है और किशोर बंदी कैदी फरार हो चुका है।
इसके बाद मामले की सूचना जिला प्रशासन को दी गई। सूचना मिलते ही प्रशासनिक महकमें में हड़कंप मच गया और फरार बंदी की सरगर्मी से तलाश की जाने लगी, जो अब भी जारी है। हालांकि औरंगाबाद के प्लेस ऑफ सेफ्टी से किशोर बंदियों की फरारी का यह कोई नया मामला नही है। प्लेस ऑफ सेफ्टी किसी न किसी कारण से बराबर चर्चा में रहता है। इसके पहले पिछले साल भी यहां से करीब दो दर्जन किशोर बंदी फरार हुए थे, जो बाद में पकड़े गये थे। यहां कुव्यवस्था का आरोप लगाकर किशोर बंदी पहले भी कई बार हंगामा कर चुके है। कई बार यहां मारपीट और सिर फुटौव्वल की घटना घट चुकी है। पिछले साल एक किशोर बंदी का वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें प्लेस ऑफ सेफ्टी के प्रभारी पर मारपीट करने का आरोप लगाया गया था। हालांकि बाद में अधिकारियों के पहल पर इस मामले को सुलझा लिया गया था। यहां हर घटना के बाद यहां के अधिकारी व्यवस्था में सुधार लाने का दावा करते है पर यहां की व्यवस्थाएं सुधरने का नाम ही नही ले रही है।