दूसरे दिन भी जारी रही कार्यपालक सहायकों की बेमियादी हड़ताल

औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। बिहार राज्य कार्यपालक सहायक सेवा संघ के बैनर तले जिले के विभिन्न विभागों में कार्यरत कार्यपालक सहायकों ने मंगलवार को अनिश्चितकालीन हड़ताल के दूसरे दिन संघ के जिलाध्यक्ष भूपेंद्र ठाकुर व कार्यकारी अध्यक्ष कमल कुमार के नेतृत्व में शहर के दानी बीघा में धरना दिया।

धरना को कांग्रेस जिलाध्यक्ष अरविंद कुमार सिंह, कांग्रेस पूर्व प्रदेश महासचिव डॉ. अक्षय लाल पासवान, जिला उपाध्यक्ष श्याम बिहारी सिंह, उदय पासवान समेत अन्य कांग्रेसी नेताओं ने संबोधित किया। कॉन्ग्रेस जिलाध्यक्ष ने कहा कि सरकार निजीकरण का नीति अपनाकर देश को कारपोरेट घरानों से बेचना चाह रही है। जनतंत्र में सरकार लोक कल्याणकारी कार्यों के बजाय कॉरपोरेट घरवालों के कल्याण के लिए कार्य कर रही है। इससे स्पष्ट है कि देश में भ्रष्टाचार बढ़ेगी। उन्होंने कार्यपालक सहायकों की मांगों को जायज बताते हुए कहा कि हम पूरी कांग्रेस कमेटी आपके साथ हैं। जब तक आपकी मांगो को पूरा नहीं किया जाएगा, तब तक जिला से लेकर प्रदेश स्तर पर धरना एवं आंदोलन में हम आपके भागीदार बनेंगे। कहा कि कार्यपालक सहायकों की बहाली सरकारी प्रक्रिया के अनुसार हुई है। किसी भी हालत में युवाओं को बेल्ट्रॉन के हाथ नहीं बेचने देंगे। जरूरत पड़ी तो हम सभी खुद इसके लिए आंदोलन करेंगे।

युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही सरकार

वही डॉ. अक्षय पासवान ने कहा कि निजीकरण से समाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। पूर्व में जब बर्लिन में निजीकरण की नीति अपनाई गई थी, तब वहां के लोग पानी पीने के लिए बेहाल हो गए थे। वहां सरकार की गलत नीति के कारण खूनी क्रांति हुई, जिसमें लाखों लोग मारे गए तब जाकर सरकार एवं व्यवस्था बदली। आज राज्य एवं केंद्र की सरकार भी वही नीति अपनाकर युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हुए आगे आने वाले भविष्य का भी कत्ल कर रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस महागठबंधन के विधायकों द्वारा आप सब की मांगों को सरकार के समक्ष उठाने का भी काम किया जाएगा। धरना को संबोधित करते हुए कार्यपालक सहायकों ने कहा कि जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होगी, तब तक हम आंदोलन जारी रखेंगे। यदि अनिश्चितकालीन हड़ताल के बाद भी सरकार हमारी मांगों पर विचार नहीं करती है तो हम सब आमरण अनशन करेंगे। इसके बाद भी सरकार द्वारा पहल नहीं की गयी तो विवश होकर आत्मदाह किया जाएगा। कहा कि सरकार को हर हाल में बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन की 29वीं बैठक के प्रस्ताव को वापस लेते हुए हमारी सेवा नियमित करनी होगी। विगत 10 वर्ष से हम सभी सरकार के लिए काम कर रहे हैं, जिससे राज्य का नाम रोशन हुआ है।

शासी परिषद की 29वीं बैठक का प्रस्ताव वापस नहीं होने पर करेंगे उग्र आंदोलन

कार्यपालक सहायकों ने कहा कि शासी परिषद की 29वीं बैठक में लिया गया निर्णय कार्यपालक सहायकों के लिए अपमानजनक है। शासी परिषद के अधिकारी नौकरी करने के बाद परीक्षा क्यों नहीं देते है। दूसरों पर नियम लागू करने से पहले अधिकारियों को खुद पर उस नियम का पालन करना चाहिए। कहा कि 29वीं बैठक में संविदा हटाकर हमारी नौकरी निजी कंपनी को सौंपने का निर्णय लिया गया है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। संघ के अध्यक्ष ने कहा कि बुधवार को हम अपनी मांगों को लेकर मशाल जुलूस निकालेंगे। इसी क्रम में गुरुवार को सभी कार्यपालक सहायक थाली पीठ कर अपनी आवाज सरकार तक पहुंचेंगे।

सांसद कार्यालय पहुंचकर सौंपा मांग पत्र

कार्यपालक सहायकों का एक शिष्टमंडल सांसद कार्यालय पहुंचकर अपनी मांगों से अवगत कराया। सांसद की अनुपस्थिति में उनके कार्यालय पर मृत्युंजय कुमार सिंह को मांग पत्र देते हुए जिलाध्यक्ष ने कहा कि सरकार द्वारा नियमितीकरण का निर्णय लिए जाने के बाद भी बारी-बारी से सभी विभागों में कार्यपालक सहायक को हटाया जा रहा है। यदि सरकार हमारी 8 सूत्री मांगों को नहीं मानती है तो हम सब उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। फोन पर वार्ता के क्रम में सांसद ने कार्यपालक सहायकों को अपनी ओर से सरकार को पत्र लिखने की बात कही।

धरना में ये रहे शामिल

इस मौके पर संजीत कुमार, मो. अफरोज आलम, रोहित कुमार, महिला प्रकोष्ठ कह जिलाध्यक्ष शोभा कुमारी, संचीता कुमारी, रोहित कुमार, रंजीत कुमार, बलविंदर कुमार, अभिषेक कुमार, रंजीत कुमार, हर्ष कुमार, पंकज कुमार पांडेय, देवेंद्र कुमार, रोहित कुमार, रितेश कुमार, अमित कुमार, विनोद कुमार समेत सैकड़ों कार्यपालक सहायक मौजूद थे। गौरतलब है कि 8 एवं 9 मार्च को कार्यपालक सहायक सांकेतिक हड़ताल पर रहे। इसके बाद काला बिल्ला लगाकर सरकार का विरोध जताया। इसके बाद 15 मार्च से सभी कार्यपालक सहायक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। इससे आरटीपीएस, मनरेगा, निबंधन, लोक जन शिकायत, बिजली विभाग समेत सभी विभागों में कार्य ठप है। लोग कार्यालय आकर बगैर कार्य करवाएं वापस लौटने को मजबूर है।